-नारायणपुर प्रखंड के कुशहा गांव के अमरजीत कुमार स्वस्थ होकर खुशहाली का जीवन जी रहा
-टीवी के लक्षण दिखे तो अस्पताल में जाकर कराएं जांच, शुरुआत में इलाज हो जाने से जल्द हो जाएंगे स्वस्थ
भागलपुर, 5 फरवरी
नारायणपुर प्रखंड के कुशहा गांव का अमरजीत कुमार 23 साल की उम्र में टीबी का शिकार हो गया था. खांसी के दौरान बलगम में खून आता देख वह डर गया था. शुरुआत में तो कुछ दिनों तक उसने यह बात किसी को नहीं बताई, लेकिन एक दिन उसे यह एहसास हो गया कि आखिर डर कर कब तक रहेंगे. अगर कोई गंभीर बीमारी है तो उसका इलाज कराना ही पड़ेगा. यह सोचकर वह नारायणपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गया. वहां जांच के दौरान पता चला कि वह टीबी से पीड़ित हो गया है. इसके बाद उसका इलाज शुरू हुआ. वहां के डॉक्टर ने उसे दवा दी और नियमित अंतराल पर अस्पताल आकर जांच कराने की सलाह दी. साथ ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर ने उसे यह बात भी समझाया कि टीबी का इलाज मुफ्त है और इसकी दवा भी मुफ्त में ही मिलेगी. इसलिए आने में संकोच मत करना. यह मत सोचना कि इलाज के लिए पैसे भी लगेंगे. इसके बाद अमरजीत दवा का सेवन करने लगा और नियमित अंतराल पर अस्पताल आकर जांच भी कराने लगा. 4 महीने के बाद ही वह ठीक हो गया. हालांकि इसके बावजूद उसने दवा का पूरा कोर्स किया. आज वह पूरी तरह से स्वस्थ है. टीबी से संबंधित किसी तरह की समस्या उसमें नहीं है.
टीबी के इलाज को लेकर लगातार जागरूकता कार्यक्रम चलाते रहते हैं –
नारायणपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ विजयेंद्र कुमार विद्यार्थी ने बताया कि अमरजीत इकलौता उदाहरण नहीं है. यहां पर इलाज कराकर कई लोग स्वस्थ हुए हैं. हमलोग टीबी के इलाज को लेकर लगातार जागरूकता कार्यक्रम चलाते रहते हैं. आशा कार्यकर्ता के जरिए टीबी मरीजों की खोज करते रहते हैं. मरीज की पहचान हो जाने के बाद उसका इलाज शुरू कर देते हैं. अगर मरीज नियमित तौर पर दवा का सेवन करता है तो वह समय पर स्वस्थ भी हो जाता है.
बीच में नहीं छोड़ें दवा:
डॉ. विद्यार्थी कहते हैं कि टीबी के मरीजों में एक समस्या देखी जाती है. पहचान होने के बाद जब मरीज दवा लेना शुरू करता है तो कुछ दिनों के बाद ठीक होने पर वह दवा का सेवन छोड़ देता है. ऐसा नहीं करना चाहिए. दवा का एक पूरा कोर्स होता है जिसे कि हर हाल में पूरा करना चाहिए. बीच में दवा का सेवन छोड़ने से एमडीआर टीबी की चपेट में वह आ सकता है, जो कि और ज्यादा गंभीर बीमारी है. इसलिए टीबी की पहचान हो जाने के बाद दवा का पूरा कोर्स कर लें तो आराम से ठीक हो जाएगा.
सामाजिक भेदभाव की नहीं करें चिंता:
डॉ विद्यार्थी ने कहा कि पहले देखा जाता था कि जिसे टीबी हो जाए हो गया, उससे लोग एक सामाजिक दूरी बनाकर रखते थे. लोगों के मन में यह भय रहता था कि यह एक संक्रामक बीमारी है. एक से दूसरे में फैल सकता है, लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब समाज में जागरूकता बढ़ी है. लोग अब भेदभाव नहीं करते हैं. साथ ही लोगों में भी है समझ बन गई है कि टीबी एक सामान्य बीमारी है, जिसका इलाज संभव है. ऐसे में मैं लोगों से यह अपील करना चाहता हूं कि अगर आपको टीबी के लक्षण दिखे तो तत्काल जांच कराने आ जाएं अस्पताल. यह नहीं सोचे कि अगर हमें टीबी की बीमारी निकल गया तो लोग हमसे दूरी बनाकर रहेंगे. ज्यादा दिन तक इलाज नहीं होने से बीमारी गंभीर हो सकती है. इसलिए संकोच को छोड़कर जल्द इलाज शुरू करवाएं.