-नारायणपुर प्रखंड के आशाटोल की रहने वाली बुजुर्ग टुनटुन देवी की कहानी
-दो साल पहले हुई थी टीबी, अब दवा का सेवन करने से पूरी तरह हो गई स्वस्थ
भागलपुर, 9 फरवरी
नारायणपुर प्रखंड के आशाटोल की रहने वाली टुनटुन देवी को दो साल पहले खांसी आनी शुरू हुई थी. लोगों ने बताया कि यह टीबी होने का लक्षण है. यह सुनकर वह सकते में आ गई थी. जब यह जानकारी आसपास के लोगों को मिली तो उनलोगों ने भी उनसे दूरी बना ली. इससे टुनटुन देवी और डर गई. लेकिन एक दिन हौसला बनाते हुए उन्होंने इलाज कराने का फैसला किया और नारायणपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची. वहां पर जांच में उनको टीबी होने की पुष्टि हो गई. फिर उन्हें डॉक्टर ने दवा दी और इसका नियमित सेवन करने को कहा. तकरीबन एक साल तक उन्होंने लगातार दवा का सेवन किया. इसके बाद वह स्वस्थ हो गई. जब वह पूरी तरह से स्वस्थ हो गई, इसके बावजूद समाज के लोग उन्हें अपना नहीं रहे थे. समाज के लोगों के मन में यह आशंका थी वह ठीक नहीं हुई है, लेकिन जब ठीक होने के एक साल तक उनमें कोई लक्षण नहीं दिखा तो लोग धीरे-धीरे उनके करीब आने लगे. अब वह फिर से अपनी पुरानी जिंदगी में लौट आई है.
परिवार के सदस्यों ने बढ़ाया हौसला:
टुनटुन देवी कहती हैं कि जब मुझे टीबी होने का पता चला तो लोग क्या मैं खुद भी हिम्मत हार गई थी, लेकिन घर के सदस्यों के समझाने से मेरा हौसला बढ़ा. मेरे परिवार के लोगों ने बताया कि यह बीमारी अब लाइलाज नहीं है. यह ठीक हो सकता है तो फिर मैं इलाज कराने नारायणपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची. जहां डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों ने न सिर्फ मेरा इलाज किया, बल्कि मेरा हौसला भी बढ़ाया. इसी का नतीजा है कि मैं अब पूरी तरह से स्वस्थ हूं और समाज में भी मुझे वापस वही इज्जत मिल गई है जो कि दो साल पहले ही मिलती थी.
लक्षण दिखाई पड़े तो नजदीकी अस्पताल जाएं:
नारायणपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ विजयेंद्र कुमार विद्यार्थी ने कहा कि टीबी का इलाज संभव है और बिल्कुल मुफ्त में. सरकार टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है. इसलिए अगर किसी को टीबी के लक्षण दिखाई पड़े तो वह अपने नजदीकी सरकारी अस्पताल में जाएं. जहां पर जांच से लेकर दवा तक मुफ्त में मिलती है. इसलिए आर्थिक संकट के बारे में भी लोगों को नहीं सोचना है. जांच कराकर दवा लेना शुरू करें. जल्द ही ठीक हो जाएंगे.
टीबी मरीजों को प्रोत्साहित करें, हतोत्साहित नहीं:
अस्पताल के लैब टेक्नीशियन सौरभ कुमार कहते हैं कि टीबी मरीजों में थोड़ी झिझक होती है. लोग भी उनसे मिलने से संकोच करने लगते हैं. इस वजह से टीबी मरीजों में और झिझक बढ़ जाती है. ऐसा नहीं करना चाहिए. मैं भी तो जांच करता हूं. अगर यह संक्रमण से ही फैलता तो मैं कब का संक्रमित हो गया होता. इसलिए लोगों से मैं अपील करना चाहता हूं कि किसी को टीबी बीमारी हो तो उन्हें इलाज के लिए प्रोत्साहित करें, न कि उनसे दूरी बना कर उन्हें हतोत्साहित करें.