पुणे: जीवन में हम कितनी भी सफलता हासिल कर लें, हमें माता, मातृभाषा और मातृभूमि को नहीं भूलना चाहिए. हमारे जीवन की जड़ माता है और उनसे हमें जो संस्कार और जीवनमूल्य मिलते हैं।
वो हमें आकार देते हैं. हमेशा मातृशक्ति का सम्मान करे, ऐसा प्रतिपादन महाराष्ट्र के राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने किया. स्त्रीशक्ती अद्भुत है।
मातृत्व का मतलब केवल बच्चे को जन्म देना नहीं होता है, वो धैर्य, प्रेम और करुणा का प्रतिक होती है, ऐसा भी उन्होंने कहा है।
सुर्यदत्ता ग्रुप ऑफ इन्स्टिट्यूट पुणे की और से ‘सुर्यदत्ता स्त्रीशक्ती राष्ट्रीय पुरस्कार-२०२१ वितरण कार्यक्रम में राज्यपाल कोश्यारी बोल रहे थे.
मुंबई राजभवन में हुए इस पुरस्कार समारोह में सुर्यदत्ता ग्रुप ऑफ इन्स्टिट्यूट के संस्थापक अध्यक्ष प्रा. डॉ. संजय चोरडिया, उपाध्यक्षा और सचिव सुषमा चोरडिया, मुख्य विकास अधिकारी सिद्धांत चोरडिया, संचालक प्रा. सुनील धाडीवाल, प्रा. अक्षीत कुशल, अधिष्ठाता प्रा. नूतन जाधव, प्रा. मिलिना राजे, प्रा. रोहित संचेती आदी उपस्थित थे।
भारतीय सिनेमा क्षेत्र में योगदान के लिए अभिनेत्री निशिगंधा वाड, विशाखा सुभेदार, उर्वशी रौतेला, विशेष बच्चों के लिए कार्य करनेवाले सिस्टर लुसी कुरियन, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के कार्य के लिए डॉ. स्वाती लोढा, आरती देव, साहित्य में के कार्य के लिए ललिता जोगड, सायबर सुरक्षा जागृती करने के लिए ऍड. वैशाली भागवत, क्रीडा क्षेत्र में कार्य करने के लिए कविता राऊत-तुंगार, सामाजिक कार्य का तृषाली जाधव, कलासंगीत क्षेत्र में कार्य के लिए पलक मुच्छाल को ‘सुर्यदत्ता स्त्रीशक्ती राष्ट्रीय पुरस्कार’ देकर सन्मानित किया गया. ललिता जोगड ने डॉ. संजय चोरडिया पर किये १३५० पंक्ति के कविता का प्रकाशन किया गया।
भगतसिंग कोश्यारी ने कहा, कोई भी व्यक्ति कितना भी सफल क्यों न हो, वह सुख-दुख में सबसे पहले अपनी मां को याद करता है. हम माँ की शिक्षा के माध्यम से आगे बढ़ रहे होते हैं।
जिस क्षेत्र में हम काम करते हैं, वो कार्य सर्वश्रेष्ठ होने के लिए प्रयास करना चाहिए. विश्व में भाईचारा पैदा करने के साथ-साथ विकास के लिए भी सभी ने अपना योगदान देना चाहिए।
प्रा. डॉ. संजय चोरडिया ने कहा,”विविध क्षेत्र में उल्लेखनीय कामगिरी करके अपनी अलग पहचान बनानेवाले महिलाओं को हर साल सुर्यदत्ता स्त्रीशक्ती राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा जाता है।
इस साल राज्यपाल के हाथों स्रीशक्ती को सन्मानित करके ख़ुशी हो रही है. महिला सशक्तिकरण के लिए उनका सन्मान करके आगे के कार्य के लिए प्रेरित करना हमारा कर्तव्य है।
निशिगंधा वाड, विशाखा सुभेदार, डॉ. वैशाली भागवत, पलक मुच्छाल, उर्वशी रौतेला ने अपना मनोगत व्यक्त किया. सिमरन आहुजा ने सूत्रसंचालन किया और धन्यवाद दिया।