कृषि का अनमोल रत्न जैविक खाद ।
आजकल सभी का कहना है कि रासायनिक खाद जरुरी है। खेती के उत्पाद बनानेवाली कंपनियों की संख्या लाखों में है, सभी का कहना है, हमारे उत्पाद का इस्तेमाल करो उत्पादन अच्छा मिलेगा, जब किसान भाई खेत में रासायनिक खाद डालता है, तब फसल का उत्पादन मिलता है, अगर रासायनिक खाद नहीं डाला तब उत्पादन नहीं मिलता, वास्तविकता यह है की, इंसान के पृथ्वी पर आने से पहले प्रकृति ने वनस्पति की निर्मिति की थी, इसलिए जब पहला इंसान पृथ्वी पर आया, उसने फल या कंद मूल ही खाया होगा।
रासायनिक खाद से प्राकृतिक पोषण व्यवस्था।
रासायनिक खाद से प्राकृतिक पोषण व्यवस्था बंद हो गई। अर्थात वनस्पति के पोषण की सम्पूर्ण व्यवस्था प्रकृति के द्वारा संचालित है इसलिए जंगल में कोई खाद नहीं डालना पड़ता, फिर भी वनस्पति बढ़ती रहती है, परन्तु हमारे खेतों में खाद डालना पड़ता है क्योंकि जबसे हमने रासायनिक खादों का प्रयोग शुरु किया है।हमारी मिटटी ख़राब हो गई, फसलों को प्राकृतिक पोषण देनेवाली व्यवस्था बंद हो गई है।
अपना लाभ हमारे हाथ में है।
हमारे सामने दो पर्याय हैं, एक हम रासायनिक खाद डालते रहें, इसमें पैसा खर्च होगा, साथ में फसलों पर किड रोग का अटेक बढ़ता जायेगा। उसके कंट्रोल पर भी पैसा खर्च होगा। दूसरा पर्याय है कि रासायनिक खादों के इस्तेमाल से मिटटी में आई खराबी को हमेशा के लिए दूर करना, जब फसल को प्राकृतिक भोजन मिलेगा, किड रोग से भी मुक्ति मिल जायेगी।
मिटटी को शुद्ध बनाएं।
इन सब बातों को ध्यान में रखकर प्रकृति ने जो हमें दिया है, उसके इस्तेमाल से मिटटी को शुद्ध बनाकर प्राकृतिक पोषण व्यवस्था को सुरु करनेवाले जैविक खाद का मुख्य उद्देश्य है, खेती में बाहर से कुछ भी ना डालना पड़े प्रकृति से पोषण मिले, फसल किड रोग मुक्त बने और मिटटी को और ज्यादा पावरफुल बनाने के लिए जो भी डालना हो, वही डाला जाय जो प्रकृति को प्रिय हो।
जैविक खाद से मिलती है सभी समस्याओं से मुक्ति।
आपकी मिटटी को रासायनिक खादों के दुष्परिणामों से मुक्त कराता है। मिटटी में खादों के कारण निर्माण हुई खराबी को दूर करता है। मिटटी की गर्मी को ख़तम करके ठन्डे वातावरण की निर्मिति करता है। मिटटी में आक्सीजन के प्रमाण को बढ़ाता है। परिणामस्वरूप सभी हानिकारक विषाणु समाप्त हो जाते हैं। फसल को पोषण देनेवाले अच्छे जीवाणुओं की संख्या बढ़ती है। फसल को प्रचुर मात्रा में भोजन मिलने लगता है ।इसलिए उत्पादन किड रोग मुक्त होने के साथ बढ़ा हुआ उत्पादन मिलता है।