श्रीलंका में परिवारवाद की वास्तविक स्थिति फिलहाल ये है, कि राजपक्षे परिवार के आधा दर्जन से ज्यादा सदस्य श्रीलंका की केन्द्रीय सरकार में शामिल हैं।
श्रीलंका के राष्ट्रपति हैं गोटबया राजपक्षे, जो 72 साल के हैं। उनके बड़े भाई हैं महिंदा राजपक्षे, जो श्रीलंका के प्रधानमंत्री हैं और उनकी उम्र 75 साल है। महिंदा राजपक्षे के पास श्रीलंका का शहरी विकास मंत्रालय भी है।
महिंदा राजपक्षे, इससे पहले श्रीलंका के राष्ट्रपति भी रह चुके हैं। वहीं, राजपक्षे परिवार के सबसे बड़े भाई, चमल राजपक्षे श्रीलंका के गृहमंत्री हैं, तो एक भाई बासिल राजपक्षे श्रीलंका के वित्तमंत्री हैं।
श्रीलंका की सत्ता पर काबिज इन निरंकुश शासकों ने भ्रष्टाचार की सारी हदें पार करते ना सिर्फ देश को चीन की आर्थिक गुलामी में धकेल दिया, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को पूरीतरह से तबाह कर दिया है।
करीब 2 करोड़ 20 लाख की आबादी वाले देश श्रीलंका में पिछले एक दशक में सबसे खराब आर्थिक उथल-पुथल का सामना कर रहा है।
दुर्भाग्यपूर्ण उर्वरक प्रतिबंध की वजह से देश में चावल और चाय जैसी फसलों की भारी किल्लत हो गई, तो विदेशी मुद्रा संकट से निपटने में सरकार की विफलता ने देश को आर्थिक कंगाली में झोंक दिया। अब स्थिति काफी बिगड़ चुकी है और खुद श्रीलंका का रिजर्व बैंक देश के दिवालिया होने की तरफ इशारा कर चुका है।
भारत विरोधी रथ पर सवार महिदा राजपक्षे चीन के इतने करीब चले आए, कि शायद अब श्रीलंका के पास अपना कुछ नहीं बचा है और अगर श्रीलंका ने चीन को कर्ज के पैसे नहीं लौटाए, तो पूरा श्रीलंका चीन के पास गिरवी हो सकता है, जैसे श्रीलंका को अभी तक हंबनटोटा बंदरगाह 99 सालों के लिए चीन के पास गिरवी रखने के लिए मजबूर होना पड़ा।