चंदेल राजाओं द्वारा निर्मित 9वीं सदी से आज तक विद्यमान, 3 मीटर ऊँचे हनुमान

विश्व पर्यटन नगरी खजुराहो के मध्य में तीन मीटर ऊंची मूर्ति वाले हनुमान जी का प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर में विराजमाज हनुमानजी को गैल के बब्बाजू के नाम से जाना जाता है।

मंदिर लगभग 922 ईस्वी का बताया गया है,जिसे तात्कालीन चंदेल राजा हर्ष सिंह ने बनवाया था। प्राचीन लेखों के अनुसार खजुराहो के मंदिर 900 ईस्वी के बताए गए हैैं।

खजुराहो के मंदिरों के गर्भगृह में वैष्णव पंथ तथा शिव सम्प्रदाय के स्वरूप विष्णु तथा शिव के साथ ही जैन सम्प्रदाय के तीर्थंकरों को समर्पित मूर्तियां थी, लेकिन इन मंदिरों को हनुमान मंदिर के बिना शून्य बताया गया।

खजुराहो के मंदिरों के बाहरी आवरण में कामकला की मूर्तिकला स्थापित होना थी और हनुमानजी अविवाहित देव थे। तब ये मंदिर पूर्वी मंदिर समूह तथा पश्चिमी मंदिर समूह के मध्य दक्षिण दिशा की तरफ को दर्शाया गया।

खजुराहो के सभी मंदिरों के मुख्यद्वार तथा गर्भगृह पूर्वी तथा पश्चिमी दिशा की ओर हैं। हालांकि कालांतर में देवी जगदम्बी तथा ब्रम्हा को समर्पित भी मंदिर निर्मित हुए हैं।

गैल के बब्बाजू हनुमान मंदिर के बारे में मान्यता है कि ये संभवत:पूरे बुंदेलखंड अंचल के सबसे प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर में लगभग 3 मीटर ऊंची मूर्ति विराजमान है। बाद में इस मूर्ति पर सिन्दूर भी चढ़ाया जाने लगा और हिन्दू पंथ के लोगों द्वारा पूजा अर्चना भी पुरातन समय से चली आ रही है।


ये एकमात्र ऐंसा मंदिर है जो एक चबूतरे पर बगैर छत के निर्मित है,हालांकि बाद में इस मंदिर को भी भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा अपने अधिपत्य में ले लिया गया और मूर्ति के ऊपर टीनशेड लगवाया गया। मान्यता अनुसार मंदिर में दूर दूर से लोग अपनी मन्नत लेकर आते हैं और मनोकामना पूरी होने पर अपना प्रसाद चढ़ाते हैं।

लोगों की ये भी मान्यता है कि खजुराहो आने वाले हवाई जहाज इसी मंदिर के ऊपर से गुजरते हैं और इसी दिशा में हनुमानजी की दृष्टि रहती है, यही वजह है कि यहां कभी हवाई दुर्घटना नहीं हुई है।

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