वसूली के लिए उत्पीडऩ नहीं कर सकते ‘रिकवरी एजेंट’

अनेक बार आर्थिक वातावरण, प्राकृतिक आपदाओं अथवा ऐसे कारकों के कारण जो ऋणी के नियंत्रण से बाहर हैं, से भी ऋणी समय पर किस्तों का भुगतान नहीं कर पाता है। कई बार बैंक व वित्तीय संस्था के रिकवरी एजेंट ऋणी की मजबूरियों को समझे बिना उसे अनावश्यक उत्पीडि़त करते हैं।

कई बार तो ऋणी उत्पीडऩ से परेशान होकर आत्महत्या तक कर लेते हैं। ऐसे में ऋणियों को अपने अधिकारों एवं रिकवरी एजेंट की सीमाओं की जानकारी होना आवश्यक है।


रिकवरी एजेंट द्वारा ऋण की किस्तें लेने के लिए बार-बार संपर्क, ऋणी की सहमति के बिना कर्ज के बारे में उसके दोस्तों और रिश्तेदारों से संपर्क करना, ऋणी अथवा उसके परिवार के सदस्यों को धमकी देना, कार्यस्थल या घर पर आकर अपमानित करने का प्रयास करना तथा सार्वजनिक रूप से यह कहकर ऋणी का अपमान करना कि वह कर्ज में डूबा है व भुगतान करने में सक्षम नहीं हैं-उत्पीडऩ की परिभाषा में आएंगे।

रिकवरी एजेंटों के उत्पीडऩ से ऋणी को बचाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने समय-समय पर दिशा-निर्देश दिए हैं। इन निर्देशों के अनुसार ऋण लेने वाले के कार्यस्थल पर जाकर अथवा कार्यालय के फोन पर तकाजा करना, ऋणी को किसी भी तरह से परेशान करना या धमकी देना, बातचीत में अभद्र भाषा का प्रयोग करना मार्गनिर्देशों का उल्लंघन माना जाएगा। रिकवरी एजेंट प्रात: सात बजे से पहले और सायं सात बजे बाद ऋणी के दरवाजे पर दस्तक नहीं दे सकते।

अगर कोई रिकवरी एजेंट ऋणी को उत्पीडि़त करता है तो वह आरबीआइ में शिकायत दर्ज करा सकता है। रिकवरी एजेंट के सभी कॉल, ईमेल और टेक्स्ट संदेशों का रेकॉर्ड रखना चाहिए। इससे उत्पीडऩ साबित करने में मदद मिलेगी। उत्पीडऩ की स्थिति में बैंक या रिकवरी एजेंट के खिलाफ पुलिस में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। बैंक के खिलाफ अंतरिम राहत और दुरुपयोग के मुआवजे के लिए अदालत में दीवानी निषेधाज्ञा का मुकदमा दायर किया जा सकता है।

पीडि़त ऋणी बैंक और रिकवरी एजेंट के खिलाफ मानहानि की शिकायत दर्ज करवा सकते हैं, यदि उन्होंने आरबीआई के दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर ऋणी को बदनाम करने की कोशिश की है। यदि ऋण वसूली एजेंट पूर्व अनुमति या सहमति के बिना ऋणी के घर या कार्यालय में प्रवेश करते हैं, तो गैरकानूनी प्रवेश (ट्रेसपास) के लिए मुकदमा किया जा सकता है।


हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने एक प्रमुख फाइनेंस कंपनी के रिकवरी एजेंटों द्वारा ग्राहकों को परेशान करने पर 2.5 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। इससे स्पष्ट है कि भारतीय रिजर्व बैंक अपने दिशानिर्देशों को लागू करने और इस तरह के अवैध उत्पीडऩ के खिलाफ उधारकर्ताओं की सुरक्षा के प्रति गंभीर है।

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