सबौर में टीबी को लेकर जीविका दीदियों को दी गई जानकारी

-टीबी के लक्षण और बचाव के साथ-साथ सरकारी योजनाओं के बारे में बताया गया

-टीबी के बारे में किस तरह से जानकारी लोगों तक पहुंचाई जाए, दी गई जानकारी 

भागलपुर- सबौर प्रखंड के जीविका के जिज्ञासा कार्यालय में शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) ने टीबी को लेकर पर्सपेक्टिव बिल्डिंग वर्कशॉप का आयोजन किया। वर्कशॉप में केएचपीटी की श्वेता कुमारी और सुमित कुमार ने लोगों को टीबी से बचाव को लेकर जानकारी दी। इस दौरान 27 जीविका दीदियों की उपस्थिति रही। दो दिवसीय वर्कशॉप के पहले दिन बताया गया कि हममें से सभी लोगों को पास कई तरह की भूमिका निभाने की क्षमता होती है। इस दौरान सुनने और साझा करने के महत्व के बारे में भी बताया गया। मुख्य तौर पर टीबी के बारे में जीविका दीदियों को बताया गया। टीबी के लक्षण, बचाव और सरकारी स्तर पर इससे निपटने के लिए क्या-क्या सुविधाएं होती हैं, इस बारे में बताया गया। इसका  मुख्य मकसद यह है कि जीविका दीदियों के जरिये समाज में टीबी के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़े।टीबी को खत्म करने के लिए जागरूकता बहुत जरूरीः केएचपीटी की डिस्ट्रिक्ट टीम लीडर आरती झा ने बताया कि टीबी से निपटने के लिए सरकार द्वारा तमाम योजनाएं चलाईं जा रही हैं। इसके साथ-साथ जागरूकता भी बहुत जरूरी है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए तमाम तरह के कार्यक्रम किए जा रहे हैं। जीविक दीदी समाज में काम करती हैं। इनके जरिये टीबी का प्रचार-प्रसार बढ़ेगा तो लोगों में इस बीमारी के प्रति जो छुआछूत  की भावना है, वह भी खत्म होगी। साथ ही लोग इसके बारे में जानेंगे भी। अगर लोग टीबी के बारे में जानेंगे तो इससे बचने के तरीके भी अपनाएंगे, जिससे इस बीमारी को जड़ से खत्म करने में मदद मिलेगी। साथ ही टीबी मरीजों के अनुभव के बारे में भी बताया गया।इन बातों की भी दी गई जानकारीः आरती झा ने बताया कि वर्कशॉप के दौरान बताया कि किसी व्यक्ति को लगातार दो हफ्ते या उससे ज्यादा समय तक खांसी, बलगम के साथ खून का आना, शाम को बुखार आना या वजन कम होना की शिकायत हो तो उसे तुरंत नजदीक के सरकारी अस्पताल में ले जाकर जांच कराने की सलाह दें। ये टीबी के लक्षण हैं। साथ ही जीविका दीदियों को यह भी कहा गया कि लोगों को यह भी बताएं कि सरकारी अस्पताल में टीबी की जांच और इलाज पूरी तरह मुफ्त है। लोगों को जागरूक कर ही टीबी बीमारी को समाज से मुक्त कर सकते हैं। टीबी के अधिकतर मामले घनी आबादी वाले इलाके में पाए जाते हैं। वहां पर गरीबी रहती है। लोगों को सही आहार नहीं मिल पाता और वह टीबी की चपेट में आ जाते हैं। इसलिए हमलोग घनी आबादी वाले इलाके में लगातार जागरूकता अभियान चला रहे हैं। लोगों को बचाव की जानकारी दे रहे  और साथ में सही पोषण लेने के लिए भी जागरूक कर रहे हैं।

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