-जमुआ पंचायत के रहने वाले चंदू कुमार सिंह ने नौ महीने में टीबी को दी मात
-सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज करा मरीजों का ठीक होने का सिलसिला जारी
बांका, 14 अगस्त- सदर प्रखंड की जमुआ पंचायत के रहने वाले चंदू कुमार सिंह इस साल की शुरुआत में टीबी की चपेट में आ गए थे। पहले तो वह चिंतित हुए, लेकिन जब उन्हें जानकारी मिली कि सरकारी अस्पतालों में इसका मुफ्त में इलाज होता है तो वह जिला यक्ष्मा केंद्र बांका आ गए। यहां पर उनकी मुलाकात वरीय पर्यवेक्षक शिवरंजन कुमार से हुई। शिवरंजन ने जब उनकी जांच करवाई तो उन्हें टीबी होने की पुष्टि हुई। इसके बाद उनका इलाज शुरू हुआ। जिला यक्ष्मा केंद्र से चंदू कुमार सिंह की लगातार निगरानी होती रही। बीच-बीच में जांच और दवा के लिए वह जिला यक्ष्मा केंद्र भी आते रहे। छह महीने तक जब नियमित दवा का सेवन किया तो आज चंदू कुमार सिंह पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हैं। अब उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हो रही है।जांच और इलाज से लेकर दवा तक मुफ्त में मिलीः चंदू कुमार सिंह कहते हैं कि जब मुझे टीबी होने का पता चला तो मैं चिंतित हो गया था। पहले तो घर-परिवार और आसपास के लोगों से सलाह ली। इसके बाद मैं जिला यक्ष्मा केंद्र बांका आया। यहां पर भी मुझे समझाया गया कि अब टीबी लाइलाज बीमारी नहीं रही। इसका इलाज संभव हो गया है। सबसे महत्पवूर्ण बात यह कि सभी सरकारी अस्पतालों में टीबी का मुफ्त इलाज संभव है। इसके बाद से मेरी जांच और इलाज शुरू हुआ। जिला यक्ष्मा केंद्र से मुझे मुफ्त में दवा मिलती रही। साथ में जांच और इलाज का भी पैसा नहीं लिया गया। टीबी के इलाज को लेकर सरकारी सुविधा बेहतर है। मैं तो अब ठीक हो ही गया हूं। अब दूसरे लोगों को भी टीबी का इलाज सरकारी अस्पताल में ही कराने की सलाह दूंगा।सराकारी सुविधाओं का लाभ लेकर जिले के लोग टीबी को दे रहे मातः जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. उमेश नंदन प्रसाद सिन्हा कहते हैं कि 2025 तक जिले को टीबी से मुक्त बनाना है, इसे लेकर लगातार प्रयास हो रहे हैं। लोगों को टीबी के प्रति जागरूक किया जा रहा है। इसके लक्षणों के बारे में बताया जा रहा है। मुझे खुशी इस बात की है कि लोग इसका लाभ भी उठा रहे हैं। जमुआ पंचायत के रहने वाले चंदू कुमार सिंह इसका जीता जागता उदाहरण हैं। उसने लगातार टीबी की दवा का सेवन किया। इसका परिणाम है कि आज वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं । टीबी के इलाज में नियमित दवा का सेवन बहुत जरूरी होता है। अगर बीच में मरीज दवा खाना छोड़ देते हैं तो एमडीआर टीबी का खतरा हो जाता है। अगर एमडीआर टीबी हो गया तो उससे उबरने में समय लगता है। इसलिए लोगों से मेरी अपील है कि अगर टीबी की चपेट में आ गए हैं तो नियमित तौर पर दवा का सेवन करें। बीच में दवा नहीं छोड़ें।