हाईकोर्ट के जज पीवी कुन्हीकृष्णन ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि केरल को भगवान की अपनी जमीन माना जाता है। लेकिन अब स्थिति ऐसी है कि कई नए धार्मिक स्थल तैयार किए जा रहे हैं। बहुत ही दुर्लभ मामलों में ही नए धार्मिक स्थलों के निर्माण की अनुमति दी जानी चाहिए।
कुरान यह नहीं कहता है कि हर नुक्कड़ पर मस्जिद होनी चाहिए। संविधान सभी को अपने धर्म का पालन करने की अनुमति देता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि लोग हर नुक्कड़ पर धार्मिक स्थान बनाएं।
हाईकोर्ट ने कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो लोगों के रहने के लिए जगह नहीं बचेगी। अगर लोगों को धार्मिक स्थलों की कमी महसूस होती है तो वे अपने घरों में पूजा या नमाज अदा कर सकते हैं। जहां घर के पास मस्जिद हो वहां जा सकते हैं।
हाईकोर्ट ने कहा कि ईश्वर-अल्लाह हर जगह है। कोई नया धार्मिक स्थान बनाने के बजाय, कोई घर पर पूजा या नमाज अदा कर सकता है या पास के किसी धार्मिक स्थान पर भी जा सकता है।
जिस इलाके में नई मस्जिद की मांग की गई थी, वहां पहले से ही 36 मस्जिदें हैं। केरल बहुत छोटा राज्य है। हर नुक्कड़ पर धार्मिक स्थल बनाने की जरूरत नहीं है।