-कृषि विज्ञान केंद्र में पौधरोपण, 40 सेविकाओं के बीच पोषण वाटिका किट का वितरण, दी गई जरूरी जानकारी
- ऑंगनबाड़ी केंद्रों पर भी अन्नप्राशन, पौधारोपण समेत पोषण से संबंधित अन्य कार्यक्रमों का हुआ आयोजन
खगड़िया
जिले में संचालित पोषण माह के तहत जिले भर में स्थानीय आईसीडीएस द्वारा लगातार पोषण से संबंधित विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। सामुदायिक स्तर पर एक-एक व्यक्ति तक पोषण का संदेश पहुँचाया जा रहा है।
इसी कड़ी में कृषि विज्ञान केंद्र खगड़िया के सहयोग से पौधरोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसका उद्घाटन सदर विधायक छत्रपति यादव ने कृषि विज्ञान केंद्र में पौधरोपण कर किया। इसके बाद सेविका को पौधरोपण से संबंधित आवश्यक जानकारी दी गई और सेविकाओं के बीच पोषण वाटिका किट का भी वितरण किया गया।
इस मौके पर विधायक ने कहा, सिर्फ वर्तमान ही नहीं, बल्कि भविष्य की सुरक्षा के लिए भी प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम एक पौधा लगाना चाहिए। दरअसल, वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ी समस्या है। इस समस्या का निदान पर्यावरण संरक्षण के बिना संभव नही है। इसलिए वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण की समस्या को जल, जंगल एवं प्रकृति को संरक्षित करते हुए पौधा रोपण कर संतुलन बनाया जा सकता है।
ऑंगनबाड़ी केंद्रों पर भी अन्नप्राशन, पौधारोपण समेत पोषण से संबंधित अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। आईसीडीएस डीपीओ सुनीता कुमारी ने बताया, ऑंगनबाड़ी केंद्र पर भी अन्नप्राशन, पौधारोपण समेत पोषण से संबंधित अन्य कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। जिसके तहत कुपोषण मुक्त समाज निर्माण को लेकर लोगों को उचित पोषण से संबंधित आवश्यक और जरूरी जानकारी दी गई।
उन्होंने बताया, अन्नप्राशन कार्यक्रम के तहत छः माह की उम्र पार करने वाले बच्चों को अन्नप्राशन कराया गया और बच्चे की माँ को बच्चे के 6 माह के बाद ऊपरी आहार की विशेषता बताते हुए अन्नप्राशन के महत्व की विस्तार से जानकारी दी गई। ताकि बच्चे के स्वस्थ शरीर का निर्माण हो सके। वहीं, बच्चों के सर्वांगीण शारीरिक और मानसिक विकास के लिए उचित पोषण की जानकारी दी गई और कुपोषण मुक्त समाज निर्माण को लेकर जागरूक किया गया।
40 सेविकाओं के बीच पोषण वाटिका किट का वितरण किया गया।आईसीडीएस के डीसी अंबुज ने बताया, जिले की 40 चयनित सेविकाओं के बीच पोषण वाटिका किट का वितरण किया गया एवं इसके उद्देश्य की विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई। जिसमें पोषण वाटिका की देखरेख, उसमें लगी साग-सब्जी, पेड़-पौधे का विकास कैसे करना है समेत अन्य आवश्यक और जरूरी जानकारी दी गई।
उन्होंने बताया, ऑंगनबाड़ी केंद्र पर पोषण वाटिका तैयार होने से केंद्र पर पढ़ने वाले बच्चों को ताजा, हरी पत्तेदार और पौष्टिक आहार मिलेगा और सेविका शिक्षा के साथ-साथ कृषि से भी जुड़ेंगी व दूसरों को जोड़ने का काम करेंगी ।
वहीं, उन्होंने बताया, अन्नप्राशन कार्यक्रम के दौरान मौजूद बच्चों की माँ को बच्चे के स्वस्थ शरीर निर्माण को लेकर आवश्यक जानकारियाँ दी गई। जिसमें बताया गया कि बच्चों को अन्नप्राशन के साथ कम से कम दो वर्षों तक स्तनपान भी कराएं और छः माह तक सिर्फ स्तनपान ही कराएं, यानी छः माह तक पानी भी नहीं दें। तभी बच्चे का स्वस्थ शरीर निर्माण हो पाएगा। इसके अलावा 6 माह से ऊपर के बच्चों के अभिभावकों को बच्चों के लिए पूरक आहार की जरूरत के विषय में जानकारी दी गयी। 6 माह से 9 माह के शिशु को दिन भर में 200 ग्राम सुपाच्य मसला हुआ खाना, 9 से 12 माह में 300 ग्राम मसला हुआ ठोस खाना, 12 से 24 माह में 500 ग्राम तक खाना खिलाने की सलाह दी गयी।
इसके अलावा अभिभावकों को बच्चों के दैनिक आहार में हरी पत्तीदार सब्जी और पीले नारंगी फल को शामिल करने की बात बताई गयी। चावल, रोटी, दाल, हरी सब्जी, अंडा एवं अन्य खाद्य पदार्थों की पोषक तत्वों के विषय में चर्चा कर अभिभावकों को इसके विषय में जागरूक किया गया।
पोषण में बदलाव जरूरी :
वरीय कृषि वैज्ञानिक डॉ अनिता कुमारी ने कहा, कुपोषण मुक्त समाज का निर्माण के लिए पोषण में बदलाव यानी उचित पोषण बेहद जरूरी है। दरअसल, कुपोषण का सामना हर आयु वर्ग के लोगों को करना पड़ता है। इसलिए, इससे बचाव के लिए पौष्टिक और संतुलित आहार का सेवन करना चाहिए।