बीमार नहीं, बीमारी से करें परहेज…टीबी मरीजों के इलाज में हरसंभव मदद के लिए आएं आगे

-टीबी मुक्त समाज निर्माण के लिए सामाजिक सहयोग भी बेहद जरूर

-केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुरू की है अडॉप्ट पीपल विद टीबी कार्यक्रम

– स्वास्थ्य विभाग की तत्परता व जन-जन के सहयोग ही लक्ष्य होगा पूरा

लखीसराय, 06 अक्टूबर

टीबी मुक्त भारत निर्माण को लेकर सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग काफी गंभीर है। इसे सुनिश्चित करने को लेकर राष्ट्रीय उन्मूलन अभियान के तहत जिले में लगातार विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों को जागरूक और मरीजों को इलाज कराने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया। जिसे सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार टीबी रोगियों को चिह्नित करने, जाँच व इलाज सहित निक्षय पोषण योजना का लाभ दिलाने का काम किया जा रहा है।

इस कड़ी में एक अहम दायित्व को भी जोड़ा गया है, जिसका नाम अडॉप्ट पीपल विद टीबी योजना है। इसके अलावा आमजनों का भी सकारात्मक सहयोग बेहद जरूरी है। क्योंकि, सामाजिक सहयोग से ही इसे पूरी तरह खत्म करना संभव है। यह हर नागरिक की जिम्मेदारी भी है। इसलिए, टीबी मुक्त समाज निर्माण के लिए हर तबके के लोगों को आगे आने की जरूरत है।

टीबी मरीजों की सहायता के लिए काफी मददगार होगा अडॉप्ट पीपल विद टीबी कार्यक्रम :
जिला संचारी रोग पदाधिकारी डाॅ श्रीनिवास शर्मा ने बताया,
अडॉप्ट पीपल विद टीबी कार्यक्रम की मदद से टीबी मरीजों के समुचित इलाज के साथ-साथ उनकी देखभाल में स्वास्थ्य विभाग को काफी मदद मिलेगी। इसकी जानकारी जनप्रतिनिधियों सहित आमजनों को होनी चाहिए। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सभी से टीबी मरीजों की सामुदायिक सहायता को लेकर आगे आने की अपील की है। अडॉप्ट पीपल विद टीबी प्रोग्राम के तहत निर्वाचित जनप्रतिनिधियों, गैर सरकारी संगठनों, आम व्यक्ति, सार्वजनिक और निजी संस्थाओं को टीबी मरीज को गोद लेने और रोग को खत्म करने की कोशिश में अपना योगदान देने की अपील की गई है।

बीमार नहीं, बीमारी से करें परहेज…टीबी मरीजों के इलाज में हरसंभव मदद के लिए आएं आगे :
लोगों को किसी भी बीमार से नहीं, बल्कि बीमारी से परहेज करने की जरूरत है। खुद के सुरक्षा का ख्याल रखते हुए टीबी मरीजों की सहायता की जा सकती है। इसके लिए सबसे पहले यह जरूरी है मरीजों के साथ भावनात्मक संबंध होना चाहिए। इसके लिए यह जरूरी है टीबी मरीजों को यह विश्वास दिलायें कि नियमित दवा सेवन से वे जल्द ठीक हो सकते हैं। दवा सेवन के प्रति लापरवाही बरतने से टीबी गंभीर हो जायेगा।

लगातार खाँसी की शिकायत टीबी बीमारी की सबसे प्रमुख और पहला लक्षण है। 2-3 सप्ताह से अधिक समय तक खांसी रहता व खांसी के साथ खून आता तो इस स्थिति में तुरंत संबंधित व्यक्ति को स्थानीय स्वास्थ्य संस्थानों में जाँच कराने के लिए प्रेरित करने की जरूरत है। साथ ही जाँच कराने में मरीजों की आवश्यकतानुसार हरसंभव मदद भी करनी चाहिए।

इसके अलावा अगर अन्य सहयोग की भी जरूरत है तो सामाजिक दायित्व के तहत निश्चित रूप से हर संभव सामाजिक सहयोग करना चाहिए। साथ ही टीबी के मरीजों को पौष्टिक आहार के लिए प्रेरित करें तथा उनके आहार का प्रबंधन करें। बेहतर खानपान के लिए निक्षय पोषण योजना के तहत मिलने वाली 500 रुपये राशि दिलाने में मदद करें। एचआईवी संक्रमित व्यक्ति तथा फेफड़ों के किसी अन्य संक्रमण से ग्रसित व्यक्ति को टीबी का जोखिम अधिक होता है। यदि ऐसे लोग आसपास हैं तो उन्हें यह जानकारी दें।

टीबी के प्रति भ्रांतियों को दूर करने के लिए जागरूकता का जगाएं अलख :
टीबी रोग अब लाइलाज नहीं है। बल्कि, समय पर जाँच और इलाज कराना जरूरी है। समय पर जाँच और नियमित दवा सेवन से इस बीमारी से स्थाई निजात संभव है। इसे ध्यान में रख मरीजों के प्रति होने वाले सामाजिक भेदभाव को को दूर करने के लिए लोगों को सही जानकारी दें। टीबी के प्रति भ्रांतियों को दूर करें। टीबी मरीजों को सरकारी सहायताओं की जानकारी दें।

पंचायती तथा अन्य निर्वाचित जनप्रतिनिधि टीबी से पीड़ित मरीजों की आर्थिक सामाजिक रूप से मदद कर सकते हैं। समाज के प्रतिनिधि होने के कारण वे पूरे समुदाय में सही जानकारी देकर टीबी उन्मूलन की दिशा में अलख जगा सकते हैं। इससे समुदाय के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।

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