यज्ञ चिकित्सा अर्थात हवन से भी रोगों की रोकथाम सम्भव है

 

हवन से भी बीमारियों की रोकथाम की जा सकती है आओ जानें।

जी हां हवन में विशेष प्रकार के पदार्थों की आहुति देने से कई प्रकार के रोग नष्ट होते हैं, इसे आधुनिक विज्ञान की भाषा में अग्निहोत्र चिकित्सा अथवा  यज्ञ चिकित्सा कहते हैं। विश्व के कई देशों में रोगों को दूर करने के लिए इस भारतीय चिकित्सा पद्धति का प्रचलन अत्यधिक बढ़ता ही जा रहा है।

 

टाइफाईड के लिये:

टाइफाईड: नीम, चिरायता, पितपापडा, त्रिफला सम्भाग शुद्ध गौ घृत मिश्रित आहुति दें ।

 

ज्वर के लिये:
ज्वरनाशक व अनेकोनेक रोगो से मुक्ति देेने वाली अजवाइन की आहुति हवन में दें।

 

नजला, जुकाम, सिरदर्द:

नजला, जुकाम, सिरदर्द: मुनक्का की आहुति हवन में दें।

नेत्रज्योति हेतु:

नेत्रज्योति वर्धक: शहद की आहुति हवन में दें।

 

मस्तिष्क बलवर्धन हेतु:

मस्तिष्क बलवर्धक: शहद व सफ़ेद चन्दन की आहुति दें।

 

वात रोग

वातरोग नाशक पिप्पली की आहुति दें।

 

मनोविकार रोग 

मनोविकार नाशक: गुग्गल और अपामार्ग की आहुति दें।

मानसिक उन्माद नाशक: सीताफल के बीज एवं जटामासी चूर्ण की आहुति दें।

पीलिया रोग 

पीलिया नाशक देवदारु, चिरायत, नागरमोथा, कुटकी और वायविडग्ग की आहुति दें।

मधुमेह रोग 

मधुमेह नाशक गुग्गल, लोभान, जामुन के वृक्ष की छाल और करेला के डंठल संभाग की आहुति दें।

चित्त भ्रम रोग 

चित्त भ्रम नाशक: कचूर, खस, नागरमोथा महुआ, सफ़ेद चन्दन, गुग्गल, अगर, बड़ी इलायची, नरवी और शहद की आहुति दें।

 

 

क्षय रोग 

क्षय नाशक(टी.बी) – गुग्गल, सफ़ेद चन्दन, गिलोय बांसा का चूर्ण और कपूर की आहुति दें।

मलेरिया नाशक गुग्गल, लोभान, कपूर, कचूर, हल्दी, दारुहल्दी, अगर, वायविडग्ग, जटामासी, वच, देवदारु, कठु, अजवाइन, नीम पत्ते, समभागचूर्ण, की आहुति दें।

सर्वरोग नाशिनी: गुग्गल, वच, गंध, नीम पत्ते, आक पत्ते, अगर, राल, देवदारु, छिलका सहित मसूर की आहुति दें।

 

जोड़ों का दर्द:

जोड़ों का दर्द:  निर्गुन्डी के पत्ते, गुग्गल, सफ़ेद सरसों, नीम पत्ते और राल संभाग चूर्ण की आहुति दें।

निमोनिया रोग 

निमोनिया नाशक: पोहकर मूल, वच, लोभान, गुग्गल और अडूसा संभाग चूर्ण की आहुति दें।

जुकाम रोग 

जुकाम नाशक: खुरासानी अजवाइन, जटामासी, पशमीना कागज, लाल बूरा और संभाग चूर्ण की आहुति दें।

पीनस बरगद पत्ते, तुलसी पत्ते, नीम पत्ते, वायविडग्ग, सहजने की छाल संभाग चूर्ण में धूप का चूरा मिलाकर आहुति दें।

 

कफ रोग 

कफ नाशक:  बरगद पत्ते, तुलसी पत्ते, वच, पोहकर मूल, अडूसा पत्र सम्भाग चूर्ण की आहुति दें।

 

सिर दर्द के लिये

सिर दर्द नाशक: काले तिल और वायविडग्ग चूर्ण की आहुति दें।

चेचक, खसरा

चेचक, खसरा नाशक: गुग्गल, लोभान, नीम पत्ते, गंधक, कपूर, काले तिल और वायविडग्ग चूर्ण की आहुति दें।

 

जिव्हा तालू रोग

जिव्हा तालू रोग नाशक मुलहटी, देवदारु, गंधाविरोजा, राल, गुग्गल, पीपल, कुलंजन, कपूर और लोभान की आहुति दें।

 

कैंसर रोग

कैंसर नाशक: गूलर फूल, अशोक छाल, अर्जन छाल, लोध्र, माजूफल, दारुहल्दी, हल्दी, खोपरा, तिल, जौ चिकनी सुपारी, शतावर, काकजंघा, मोचरस, खस, मंजीष्ठ, अनारदाना, सफ़ेद चन्दन, लाल चन्दन, गंधा, विरोजा, नरवी, जामुन पत्ते, धाय के पत्ते सम्भाग चूर्ण में दस गुना शक्कर और एक गुना केसर से दिन में तीन बार हवन करें।

संकलन कर्ता

श्री गुरुजी भू

लेखक : प्रकृति प्रेमी, मुस्कान योग के प्रणेता, भारतीय विद्याओं के शोधार्थी, विश्व चिन्तक ।

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