सम्पन्न देश वेनेज़ुएला आज भुखमरी के कगार पर, भारत के कुछ नेता भी वही चाहते हैं

सम्पन्न देश वेनेज़ुएला आज भुखमरी के कगार पर है। सब कुछ मुफ्त में बाँटकर भारत के कुछ नेता भी वही करना चाहते हैं ।

विश्व में कभी एक सम्पन्न देश वेनेज़ुएला की आज भुखमरी के कारण?

आओ थोडा विश्लेशन करके वस्तु स्थिति समझते है।

अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों के अनुसार सरकार को शिक्षा, चिकित्सा, सुरक्षा, न्याय और किसान व मजदूर को फसल बीमा सबको निशुल्क देना चाहिए, ना कि मासिक वेतन, मुफ्त राशन, मुफ्त बिजली, पानी, यात्रा, हर गृहणी को पैसा आदि। ये सब मुफ्त का माल देकर लोगों को निष्क्रिय बनाकर उन लोगों को और देश को कंगाली की ओर ले जाया जा रहा है। इसका जीता जागता उदाहरण वेनेजुएला है, जहाँ भयंकर भुखमरी फैली है। उस देश के बारे में सुना है कि वहाँ के लोगो को उनके नेताओं ने निकम्मा बनाकर पूरा देश बर्बाद कर दिया है।

ये बहुत ही बड़ा देश है। इतना बड़ा की हमारा पूरा उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा, बंगाल व उड़ीसा मिला दो तो इन सबसे भी बड़ा है।

जनसंख्या मात्र साढ़े तीन करोड़ जी हाँ केवल दिल्ली एनसीआर की जनसंख्या से भी कम लगभग तीन करोड पचास लाख मात्र।

एक अच्छा नेतृत्व, अच्छी सोच का नेता अपने देश को 20 साल में दुबई बना सकता है, सिंगापुर बना सकता है और एक निकम्मी व घटिया सोच का नेतृत्व अपने देश को भुखमरी से, आतंक से, बर्बरता से बर्बाद भी कर सकता है । इसका जीता जागता उदाहरण है वेनेजुएला।

ईश्वर की इतनी कृपा है कि उसका दिया सब कुछ है वहां। बहुत ही शानदार उपजाऊ भूमि है, प्रचुर मात्रा में पर्याप्त वर्षा होती है। सैकड़ों छोटी बड़ी जलयुक्त नदियां है। हज़ारों किलोमीटर लंबा समुद्र तट है। वहां भी पर्याप्त मात्रा में मछली व अन्य समुद्री खजाना भरा है।

उपजाऊ भूमि, बडे चारागाह और सागर में रत्न होने के बाद भी वेनेजुएला में आज वो भुखमरी क्यों  फैली है कि आदमी आदमी को मार के खा रहा है।
देश मेंं पशुपालन खूब हो सकता है, खेती किसानी, फल सब्जी, दूध उद्योग, मछली पालन जैसा कुछ भी हो बहुतायत में हो सकता है। लेकिन है ही नही, क्योंकि कोई करने का इच्छुक ही नही है। वहां कोई कुछ करता ही नही है। इतना बड़ा देश अपने लिए गेहूं , चावल, सब्जी नही उगा सकता जहां लाखों वर्ग किलोमीटर के तो जंगल है, चारागाह हैं। वे लोग चाहे तो गाय, भैंस, भेड़, बकरी भी पालन करके भरपूर कमाई कर सकते हैं। वहाँ देश की नदियों में, सागर में समुद्री जीव जन्तुओं, मछलियों की भरमार है। पूरा देश फिर भी भूखा मर रहा है। मुद्रा स्फीति का ये हाल है कि बैग भर वहां की मुद्रा बोलिवर भर के ले जाओ तो भी एक पैकेट ब्रेड का नही मिलेता।

आज आपको एक भारतीय रुपये के बदले में लगभग 3600 की वहां की मुद्रा बोलिवर मिल जायेगी।

आश्चर्य होता है कि  इस देश में  विश्व के सबसे बड़े कच्चे तेल के विशालकाय भंडार भी हैं। सऊदी अरबिया से भी अधिक बड़े।

आपको ये जान कर भी अत्यंत आश्चर्य होगा कि 20 वर्ष पहले ये देश एक विकसित और संपन्न राष्ट्र था। लेकिन इसके नेताओं के गलत नेतृत्व के कारण, उनकी निकम्मी नीतियों ने एक सम्पन्न राष्ट्र को मात्र 20 वर्षो में भिखारी राष्ट्र बना दिया।

वहां अब ये हाल है कि वेनेजुएला की अधिकांश लड़कियां ब्रेड के लिए शरीर बेच रही है, वेश्यावृत्ति करने को बाध्य हैं। 

विनाशकारी द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जब पूरी दुनिया मे तेल की अत्यधिक मांग थी और दाम भी आसमान छू रहे थे। तब वेनेजुएला की पांचों उँगलियाँ शुद्ध घी में थींं। उस समय भी देश प्रतिदिन एक मिलीयन तेल बना रहा था।

उस समय देश के नेतृत्व ने सरकार द्वारा अपने नागरिकों को निकम्मा बनाने का काम शुरू कर दिया। सब कुछ निशुल्क बांटना शुरू कर दिया। वहां देश की प्रत्येक सेवा सरकारी थी और हर सेवा निशुल्क भी थी।

तेल के बदले में दुनिया भर से सामान आता था, राशन, सब्जी, अनाज, फल, औषधियां , मशीनरी , कपड़ा हर चीज़ आयात होती थी। वो भी तेल के बदले में।सरकार अपने नागरिकों को सबकुछ फ्री देती थी।

50 और 60 के दशक में जब कि सारी दुनिया हाड़ तोड़ मेहनत करके तरह तरह के उत्पादन में लगी थी तब भी वहां एक सूई तक नही बनती थी। वहां तो सब्जी, गोभी और टमाटर भी यूरोप से आती थी।

अत्यंत ही सुंदर देश है दुनिया के लोग देखना चाहते है, पर यदि कोई  भूला भटका पर्यटक आ भी जाता तो पूरे देश मे कोई उसको पानी पूछने वाला नही था। आमतौर पर ऐसे देशों में बाहर से विदेशी आ जाते हैं रोज़ी रोज़गार की तालाश में क्योंकि इस देश मे फ्री सेवा थी इसलिए सभी पार्टियां और जनता विदेशी लोगों के देश मे प्रवेश के विरूद्ध हो गयी। वो इसलिए कि हमारी निशुल्क सेवा का लाभ विदेशी क्यों लें।

इसका परिणाम ये हुआ कि कोई नागरिक खुद तो कुछ करता नही था। पशुपालन, खेती बाड़ी, कोई उद्योग धन्धा कुछ भी तो नही। अगर बाहर से लेबर ही आयात कर ले सरकार ये नेतृत्व होने नही देता था। इसी कारण देश में पर्यटन उद्योग विकसित ही नही हो पाया।

बताया जाता है कि 70 के दशक में अगर भूला भटका सैलानी अगर आ भी जाता तो वो उसे भगाने में ही ऊर्जा लगाते थे। 

परिस्थितियां बदली कुछ समय बाद तेल के दाम गिरने लगे क्योंकि दूसरे देश उत्पादन बढाने लगे थे। यहां सरकार की एक ही तेल कंपनी थी। सरकार ने कंपनी से कहा कि सबको नौकरी दे दो। कंपनी ने कहा कि हमको कर्मचारियों की ज़रूरत ही नही तो फिर क्यो?  सरकार ने कहा कि फिर भी दे दो। इस तरह सरकार ने हर परिवार के कम से कम एक व्यक्ति को सरकारी तेल कंपनी  में नौकरी दे दी जहां वो कोई काम नही करता था और मुफ्त की मोटी पगार लेता था।

तेल के दाम फिर गिरे अब जब तेल कंपनी बुरी तरह घाटे में आ गयी और तेल बिकना बंद हो गया तो खैरात भी बंद हो गयी।

3.5 करोड़ लोग जिन्होंने कभी कोई काम जीवन में नही किया था वो लूट खसोट करने लगे।लड़कियां वेश्यावृत्ति में उतर गई।
समाजवादी सरकार फिर भी नही चेती वो कर्ज़ा लेकर घी पिलाने लगी अपनी मुफ्तखोर जनता को।

आज राजधानी कराकास दुनिया का सबसे असुरक्षित शहर है जहां एक ब्रेड के टुकड़े के लिए हत्या हो जाती है और लड़कियां सिर्फ एक ब्रेड के लिए शरीर बेचने को बाध्य हैं।

इतना बड़ा देश सिर्फ 3.5 करोड़ लोगों के लिए गेहूं चावल सब्जी दूध पैदा नही कर सकता क्यों ??

मेरा मानना है कि आज अगर वेनेजुएला की सरकार हमारे पंजाब से मात्र 1000 किसानों को अपने यहां आमंत्रित कर ले और साथ ही कुछ आवश्यक मशीनरी दे दे तो मात्र 6 महीने में हमारे किसान इतना अनाज , सब्जी, फल और दूध पैदा कर देंगे कि पूरे वेनेजुएला से खाया नही पडेगा। हमारा अकेला एक कपूरथला जिला इतना खरबूजा पैदा करता है कि पूरा उत्तर भारत खा रहा है।

अपने देश की जनता को निकम्मा, नकारा, हरामखोर किसने बनाया ?

अब ये बिगुल भारत में भी बजने लगा है।

चुनावी वादा हो रहे कि 5 करोड़ गरीब परिवारों को 6000 महीना 72000 सालाना दे के भारत मे 7 वेनेजुएला बनाना चाहते हैं।

इस मुफ्तखोरी योजना का बजट होगा 3,60,000 करोड़ रु अर्थात हमारे कुल रक्षा बजट से भी अधिक होगा। सत्ता पाने के लिये यहाँ कुछ भी करेगें सत्ताभोग में वापसी के लिए क्या इस देश को बर्बाद कर देना चाहते है कुछ घिनौने लोग?

अब फैसला जनता के हाथ में है चोर चुनो या चौकीदार।

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