-जिले में गर्भ निरोधक साधनों के उपयोग में 32 प्रतिशत तक की वृद्धि
-जिला में 14 नवंबर से 4 दिसंबर तक मनाया जा रहा है परिवार नियोजन पखवाड़ा
लखीसराय, 18 नवंबर-
गर्भ निरोधक साधनों के उपयोग से अनचाहे गर्भ से बचा जा सकता है। अनचाहे गर्भ से जहां माताओं को बच्चों के बेहतर देखभाल में मुश्किलें आती , वहीं इससे माता एवं शिशु स्वास्थ्य के भी प्रभावित होने के ख़तरे बढ़ जाते हैं। । अनचाहे गर्भ के प्रति देश ही नहीं राज्य के साथ जिले की महिलायें भी जागरूक हो रही हैं। जिसका परिणाम राज्य के साथ जिले में भी देखने को मिल रहा है।
जिले में गर्भनिरोधक के उपयोग में बढ़ोतरी :
परिवार नियोजन के बेहतर परिणाम के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही हैं । सरकारी प्रयासों का ही ये परिणाम है कि सामुदायिक जागरूकता में कई चुनौतियों के बीच गर्भनिरोधक के उपयोग के साधन ने मिसाल पेश की है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे- 4 के अनुसार लखीसराय जिले में 15 साल से 49 साल तक की 34.7 प्रतिशत महिलाएं किसी ना किसी गर्भनिरोधक साधन का उपयोग करती थी वहीं राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे- 5 के अनुसार 67.0 प्रतिशत महिलाएं किसी ना किसी गर्भनिरोधक साधन का उपयोग कर रही हैं । इसके साथ ही राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे- 4 के अनुसार 34.4 प्रतिशत महिलाएं नवीन गर्भनिरोधक साधन का इस्तेमाल करती थीं वहीं अब राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे- 5 के अनुसार 50.4 प्रतिशत महिलाएं इन साधनों का उपयोग कर रही हैं ।
कंडोम बॉक्स एक अच्छी पहल :
जिला सिविल सर्जन डॉ. देवेंद्र कुमार चौधरी ने बताया कि गर्भ निरोधक साधनों का उपयोग बेहतर प्रजनन स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी है । इसको ले जिलास्तर से लेकर सामुदायिक स्तर तक परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं ।
वर्ष 2025 तक प्रजनन दर 2.1 करने का लक्ष्य:
मिशन विकास परिवार के तहत वर्ष 2025 तक बिहार के प्रजनन दर को 2.2 तक लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके साथ ही परिवार नियोजन कार्यक्रमों को मजबूती प्रदान करने के लिए परिवार नियोजन पखवाड़ा के तहत कुछ विशेष सेवाओं को शामिल किया गया है। जिसमें नवीन गर्भनिरोधक साधन अंतरा एवं छाया, सारथी वैन से परिवार नियोजन पर जागरूकता, नवदंपति के लिए नई पहेली किट एवं सामुदायिक जागरूकता के लिए दम्पति सम्पर्क जैसी नवीन गतिविधियों को शामिल किया गया है।
गर्भनिरोधक के फ़ायदे
- मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी
- प्रजनन संबंधित स्वास्थ्य जटिलताओं से बचाव
- अनचाहे गर्भ से मुक्ति
- एचआईवी-एड्स संक्रमण से बचाव
- किशोरावस्था में गर्भधारण में कमी
- जनसंख्या स्थिरीकरण प्रक्रिया में सहायक