23 जिलों में खिलाई जायेगी फ़ाइलेरिया की दवा, रणनीति पर हुई चर्चा

• कार्यक्रम की सफलता के लिए ऑनलाइन माध्यम से प्रशिक्षकों को दिया गया प्रशिक्षण
• 12 दिसंबर से संचालित किया जायेगा एमडीए अभियान
• देश में फ़ाइलेरिया मरीजों की संख्या 60 करोड़ से ज्यादा

पटना/ 19 नवंबर

“फाइलेरिया को जड़ से समाप्त करने के उद्देश्य से राज्य में मास्क ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) की शुरुआत 12 दिसंबर से होने वाली है। फ़ाइलेरिया उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल करने में एमडीए अभियान की भूमिका अहम् मानी जाती है। अभियान के दौरान सभी 23 चिन्हित जिलों में स्वास्थ्यकर्मियों की टीम घर -घर जाकर लोगों को फ़ाइलेरिया की दवा खिलायेगी। बांका, भागलपुर, पूर्वी एवं पश्चिमी चंपारण, गया, गोपालगंज, जहानाबाद, जमुई, कटिहार, कैमूर, खगड़िया, मुंगेर, सहरसा, सीतामढ़ी, सिवान एवं सुपौल सहित 16 जिलों में दो तरह की दवाएं खिलाई जाएगी। वहीं, राज्य के 7 जिलों यानी शिवहर, शेखपुरा, औरंगाबाद, मुजफ्फरपुर, सारण, अरवल एवं बेगुसराय जिले में ट्रिपल ड्रग थेरेपी के अंतर्गत अभियान के दौरान 3 तरह की दवाएं खिलाई जाएगी’’। उक्त बातें राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, फ़ाइलेरिया डॉ. परमेश्वर प्रसाद ने प्रस्तावित एमडीए राउंड की सफलता के लिए प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण (टीओटी) के दौरान कही।

अभियान की सफलता के लिए सटीक रिपोर्टिंग जरुरी:
डॉ. परमेश्वर प्रसाद ने कहा कि कार्यक्रम की सफलता के लिए सूक्ष्म कार्य योजना, मरीजों की लाइन लिस्टिंग, दवा सेवन के उपरांत संभावित दुष्परिणाम की तैयारी के लिए रैपिड रिस्पांस टीम की बेहतर तैयारी इत्यादि की महत्वपूर्ण भूमिका होगी. एमडीए अभियान की सफलता के लिए प्रतिदिन का आंकलन जरुरी है। इसके लिए हर दिन की जाने वाली रिपोर्टिंग अहम् होती है। अभियान के दौरान सटीक एवं ससमय रिपोर्टिंग हमें अपनी रणनीति को और बेहतर तरीका से संपादित करने में मदद करती है। उन्होंने सभी प्रतिभागियों से अपील किया कि हर दिन की जानी वाली रिपोर्टिंग को ससमय सटीक तरीके से बना कर भेजना सुनिश्चित करें।

माइक्रो-फ़ाइलेरिया दर के हिसाब से संचालित होगा एमडीए राउंड :
उन्मुखीकरण कार्यशाला में डॉ. राजेश पांडेय, स्टेट कोऑर्डिनेटर, एनटीडी ने कहा कि राज्य में पहली बार प्रखंड स्तर पर रात्रि रक्त पटल सर्वे यानी नाईट ब्लड सर्वे किया गया है। एमडीए अभियान की सफलता के लिए नाईट ब्लड सर्वे एक महत्वपूर्ण सूचकांक माना जाता है। इससे क्षेत्र में माइक्रो-फ़ाइलेरिया की दर का पता चलता है। जहाँ माइक्रोफ़ाइलेरिया की दर 1% से अधिक है वहां के सभी ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र में अभियान को संचालित किया जायेगा।

उन्होंने बताया कि माइक्रोफ़ाइलेरिया की दर 1% से कम है, उन जिलों में चयनित जगहों पर ही दवा खिलाई जाएगी। डॉ. पांडेय ने बताया कि देश में इस समय 60 करोड़ से अधिक फ़ाइलेरिया मरीज चिंहित हैं जो कि चिंता का विषय है। बिहार के सभी 38 जिले फ़ाइलेरिया से प्रभावित हैं। इसलिए एमडीए अभियान को सफल बनाने पर विशेष जोर देने की जरूरत है।
इस दौरान एमडीए अभियान की सफलता के लिए सामुदायिक जागरूकता की रणनीति पर भी चर्चा हुई। कार्यशाला में सभी 23 जिले के वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी, स्वास्थ्यकर्मी, सहयोगी संस्थाओं में पीसीआई, सीफ़ार, केयर एवं जीएचएस के प्रतिनिधि में शामिल हुए।

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