जनपद न्यायालय प्रांगण पर किया गया अंतर्राष्ट्रीय न्याय दिवस का आयोजन

फिरोजाबाद।

अंतर्राष्ट्रीय न्याय दिवस के अवसर पर जनपद न्यायालय प्रांगण में गोष्ठी का आयोजन किया गया। उपरोक्त कार्यक्रम में समस्त न्यायिक अधिकारीगण एवं समस्त कर्मचारीगण उपस्थित रहे।

उक्त कार्यक्रम के शुभ अवसर पर माननीय जनपद न्यायाधीश ने उक्त अन्तर्राष्ट्रीय न्याय दिवस को मानने के बारे में बताया कि वैश्विक स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय न्याय प्रणाली के प्रयासों को मान्यता देने एवं इस प्रणाली को और अधिक मजबूत करने हेतु प्रतिवर्ष 17 जुलाई को विश्व अंतर्राष्ट्रीय न्याय दिवस मनाया जाता है। यह दिवस पीड़ितों के अधिकारों, न्याय हेतु समर्थन, अपराध को रोकने और विश्व में शांति, सुरक्षा एवं कल्याण सुनिश्चित करने में न्याय प्रणाली की भूमिका को बढ़ावा देता हैं। इस दिवस का प्राथमिक लक्ष्य दंड से मुक्ति के खिलाफ लड़ने तथा युद्ध अपराधों, मानवता एवं नरसंहार के पीड़ितों को न्याय दिलाना है।

उपरोक्त कार्यक्रम में श्री धर्मेन्द्र कुमार पाण्डेय, पीठासीन अधिकारी मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण द्वारा बताया गया कि इस दिवस को अंतरराष्ट्रीय अपराधिक न्याय दिवस या अंतरराष्ट्रीय न्याय दिवस भी कहा जाता है. इस दिन वे सभी लोग एकजुट होते हैं जो न्याय का समर्थन करते हैं, पीड़ितों के अधिकारों और हितों का संरक्षण करना चाहते हैं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैले अपराधों को रोकना चाहते हैं जो सुरक्षा और शांति और दुनिया के खिलाफ हैं।

इसी क्रम में श्री अवधेश पाण्डेय अपर जिला जज/पोक्सो कोर्ट 2 द्वारा बताया गया कि यह दिवस वर्ष 1998 में ‘रोम घोषणा’ को स्वीकार करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय पर रोम संविधि के माध्यम से ही ‘अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) की स्थापना की गई थी। 1 जुलाई, 2002 रोम संविधि के लागू होने के साथ ही ‘अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय ने अपना कार्य प्रारंभ किया था। ‘अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) का गठन शांति और कानून के शासन की स्थापना के उद्देश्य से किया गया था। हालांकि यह राष्ट्रीय न्याय प्रणाली का स्थान नहीं लेता है। इस न्यायालय की संधि पर 139 देशों ने हस्ताक्षर किये हैं।

इसी क्रम में श्री अवधेश कुमार सिंह अपर जिला जज/पोक्सो कोर्ट 1 द्वारा बताया गया कि संसार में आज वैश्विक व्यवस्था ( Global System) का बहुत महत्व है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापारिक लेनदेन, सांस्कृतिक और सूचना आदान प्रदान इतना ज्यादा होता है कि अंतर्राष्ट्रीय न्याय व्यवस्था की जरूरत को खारिज नहीं किया जा सकता है। इतना ही नहीं दुनिया में अपराध का भी अंतर्राष्ट्रीयकरण हो चुका है। इसके लिए अब व्यवस्थित रूप से अंतर्राष्ट्रीय न्याय (International Justice) व्यवस्था की जरूरत है। इसीलिए युद्ध के अपराधियों के शिकार लोगों, देशों के बीच किसी तरह के विवादों, मानवता के खिलाफ अपराधों, आदि के लिए हर साल विश्व अंतर्राष्ट्रीय न्याय दिवस (World Day for International Justice) मनाया जाता है।

प्राधिकरण के सचिव श्री यजुवेन्द्र विक्रम सिंह, द्वारा बताया गया कि अंतर्राष्ट्रीय न्याय के लिए विश्व दिवस का उद्देश्य आईसीसी के प्रयासों की सराहना करना और अंतर्राष्ट्रीय अपराधों के पीड़ितों के लिए न्याय को बढ़ावा देने के लिए सभी को एकजुट करना है। ICC ने मुख्य रूप से मानवता के खिलाफ अपराधों (विनाश, हत्या, आदि), नरसंहार (जानबूझकर एक समुदाय को नुकसान पहुंचाना), युद्ध अपराध (जानबूझकर पीड़ा, यातना, आदि का कारण), और आक्रामकता के अपराध (सैन्य व्यवसाय, विलय, आदि) पर ध्यान केंद्रित किया। 17 जुलाई, 1998 को, 120 देशों ने अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के रोम संविधि नामक एक संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए एक साथ आए। स्थापना को अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) के रूप में जाना जाने लगा, जो 1 जुलाई 2002 को लागू हुआ। रोम संविधि पर हस्ताक्षर करने का जश्न मनाने के लिए, विश्व अंतर्राष्ट्रीय न्याय दिवस तब से हर साल मनाया जाता रहा है।

उपरोक्त कार्यक्रम में उपस्थित समस्त न्यायिक अधिकारीगणों एवं कर्मचारीगणों द्वारा भी अपने-अपने विचार विमर्श किये गये। कार्यक्रम का संचालन प्राधिकरण के सचिव श्री यजुवेन्द्र विक्रम सिंह द्वारा किया गया।

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