मुश्किल ही है अगस्त में सिविल एन्क्लेव का निर्माण शुरू हो पाना
आगरा सिविल एन्क्लेव का निर्माण फेस-1 के रूप में अगस्त में शुरू करने की जानकारी जहां कई राजनेताओं के द्वारा दी गयी,वहीं जो जानकारियां आयी है, उनसे लगता है कि अगस्त तो दूर आने वाले कई सालों में भी कार्य शुरू होना मुश्किल है।एयरपोर्ट अथॉरिटी के द्वारा निर्माण शुरू करवाने की जवाबदेही से बचने को 95 एकड़ जमीन और अधिग्रहित करवाने तथा 5.79 अरब की राशि उपलब्ध करवाने की बात प्रचारित की जाएगी ।
सुप्रीम कोर्ट से क्लियर प्रोजेक्ट शुरू होने के स्थान पर दो गुनी राशि से भी अधिक का केसे हो गया इसे लेकर टूरिस्ट ट्रेड के प्रतिनिधियों से लेकर आम जनता तक को दिलचस्पी एवं आश्चर्य है। दरअसल आगरा का दिल्ली में रहा कमजोर प्रतिनिधित्व इसका मुख्य कारण है,जिसका भरपूर फायदा उठा एयरपोर्ट अथॉरिटी की नौकरशाही ने उठाया । केवल सांसद और विधायक मंत्रालयों से प्रभावी पूछताछ करने में आधिकारिक रूप से सक्षम हैं,किंतु लगता है कि उन्होंने अपने इस अधिकार का उपयोग किया ही नहीं किया।
सुप्रीम कोर्ट के जनवरी 2023 में सिविल एन्क्लेव आगरा को वायुसेना परिसर से धनौली,अभुआपुरा,बल्हेरा आदि गांवों की जमीन पर शिफ्ट करने का प्रोजेक्ट सुप्रीम कोर्ट से क्लीयर हो जाने के बाद कोई भी जनप्रतिनिधि एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सीनियर ऑफिसर से नहीं मिला,यह जानकारी एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने दी है, इसी प्रकार की जानकारी नागरिक उड्डयन मंत्रालय के द्वारा दी गयी है। जो किसी भी आगरा वासी से के लिये बेहद निराशाजनक है।
जहां आगरा के जनप्रतिनिधियों में , मंत्रालय और एयरपोर्ट अथॉरिटी से सिविल एन्क्लेव के सुप्रीम कोर्ट से क्लियर प्रोजेक्ट की क्लीयरेंस के बाद निर्माण कार्य शुरू करवाने में पैरोकारी करने को लेकर उदासीनता रही ,वहीं एयरपोर्ट अथॉरिटी के अधिकारियों ने इस स्वीकृत प्रोजेक्ट को पांच अरब उन्यासी करोड़ (Rs.579 crores) जैसी भारी भरकम राशि का कर डाला। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस बजट को PIB (पब्लिक इन्वेस्टमेंट बोर्ड ) को भेज दिया गया है।
पहले उपलब्ध बजट का पैसा कहाँ गया यह बहुत अहम सवाल है? इसके लिये अपनी ही पहल पर एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के बोर्ड की 215 वीं बैठक के एजेंडे में इसे शामिल कर पारित करवा के प्रस्ताव पर मुहर भी लगवा डाली। 16 जून 2023 को हुई मीटिंग में रखे गये प्रस्ताव के बारे में अब तक किसी भी जनप्रतिनिधि के द्वारा न तो अब तक जानकारी दी गयी है और नहीं उनमें से किसी ने भी अथॉरिटी से यह जानने में ही दिलचस्पी दिखायी कि उन्हें ओवर लुक कर इसे आर्थिक दृष्टि से कई गुना कैसे कर डाला गया। इस मीटिंग के कार्यवृत्त के आगरा सिविल एन्क्लेव से संबंधित भाग की फोटो प्रति तक देने से बचने का प्रयास जिन तर्कों के आधार पर किया जा रहा है, वह भारत सरकार की पारदर्शिता के भी विरुद्ध है।
–जमीन को खरीदने के लिये बजट की अस्पष्टता
नई जरूरत के हिसाब से 95 एकड़ जमीन अधिग्रहित की जानी है। इसके लिए एक सर्वेक्षण भी किया हुआ बताया गया है,किन्तु इसके बारे में आधिकारिक जानकारी अब तक प्रकाश में नहीं आ सकी है1इस जमीन को राज्य सरकार के द्वारा खरीदा जाना है, इसके लिये बडी राशि की जरूरत है।साथ ही कैबिनेट की स्वीकृति भी जरूरी है किन्तु न तो इसे स्वीकृति मिली है और नहीं इसे कैबिनेट की बैठक तक ले जाया ही गया है।
–रहस्यमयी 215 वीं बैठक
वैसे जमीन अधिग्रहण करने के लिए चर्चा में रहे संयुक्त सर्वेक्षण संबधी जानकारी पर भी एयरपोर्ट अथार्टी और आगरा प्रशासन दोनों ही जानकारी देने से बच रहे हैं। सिविल एडमिनिस्ट्रेशन ने जनसूचना अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के लिये दी गयी अर्जी एयरपोर्ट अथॉरिटी को ट्रांसफर कर दिया ,वहीं एयरपोर्ट अथॉरिटी की ओर से कोई कोई जवाब ही नहीं दिया गया । सबसे दिलचस्प तथ्य यह है कि एयरपोर्ट अथॉरिटी की 215 वीं मीटिंग की फोटो कापी दिये जाने के लिये भी तेयार नहीं है।सिविल सोसायटी ऑफ आगरा के जनरल सेक्रेटरी अनिल शर्मा ने कहा है कि वह इस मामले में उपलब्ध विकल्प का उपयोग कर एयरपोर्ट अथॉरिटी के विरूद्ध सूचना आयुक्त अपील करेंगे।
सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आगरा प्रशासन की ओर से तहसील स्टाफ तथा एयरपोर्ट अथॉरिटी की संयुक्त टीम के सर्वेक्षण के बाद अकोला विकास खंड के अनेकों गांवों के किसानों में अपनी खेती की जमीन को लेकर तमाम आशंकाएं है, वह इस संबंध में स्पष्ट नोटिफिकेशन अपेक्षित कर हैं। सिविल एन्क्लेव को वायुसेना परिसर से बाहर ले जाये जाने का प्रोजेक्ट 2012 में शुरू हुआ ,लेकिन अब तक किसी भी सरकार ने इसकी महत्ता नहीं समझी ।
टी टी जैड ए संबधी सूचना देने से भी देने से बचने की कोशिश
सिविल एयर टर्मिनल आगरा से उडान भरने वाली नियमित फ्लाइटों का विवरण एयरपोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं, जिनकी जानकारी एयरपोर्ट की आधिकारिक वेवसाइट www.aai.aero जो कि जन जानकारी (public domain) पर लोड है।
एक जानकारी में आवेदक को बताया गया है कि वायुसेना परिसर से सिविल टर्मिनल को शिफ्ट करने के लिये उप प्र सरकार को 95 एकड़ जमीन अधिग्रहित कर उपलब्ध करवानी है, जिसका इस्तेमाल एयर टर्मिनल के फेस -2 के लिये किया जायेगा। अन्य कारणों में हाईटेंशन तारों के खम्बो को चिन्हित जमीन से शिफ्ट किया जाना है। मांगी गई जानकारी में भारत सरकार के पर्यावरण ,वन और जलवायु मंत्रालय के द्वारा एनवायरमेंट क्लीयरेंस होना अभी लंबित है। नये एयरपोर्ट के निर्माण की प्रक्रिया शुरू होने के संबंध में बताया गया है कि जब जमीन अधिग्रहण तथा मंत्रालय से क्लीयरेंस की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी तभी निर्माण शुरू हो सकेगा।
ताज ट्रिपेजियम जोन प्रतिबंधित क्षेत्र में आगरा होने के कारण तो नये एयरपोर्ट का निर्माण तो बाधा नहीं है, पर दी गयी जानकारी में एयरपोर्ट निदेशक ने कहा है कि उपरोक्त जानकारी देना जनसूचना अधिकार अधिनियम 2005 के दायरे में नहीं आता है।बाकी तो एयरपोर्ट अथॉरिटी जो भी जवाब दें उनके अधिकार क्षेत्र में है किन्तु ताज ट्रिपेजियम अथॉरिटी एक जनहित याचिका के तहत गठित प्राधिकरण है, इसके तहत अगर कोई जानकारी है, तो पब्लिक को इसे देने से कैसे मना किया जा सकता है। प्राधिकरण एयरपोर्ट अथॉरिटी के दायरे में नहीं आता नहीं प्राधिकरण बोर्ड ने ही कभी किसी मीटिंग में फैसला किया हे कि कौन सी सूचनाये जन सूचना अधिनियम के तहत आती है और किन की जानकारी इस अधिनियम के बाहर है।
आज कि प्रेस वार्ता में शिरोमणि सिंह; अनिल शर्मा, राजीव सक्सेना,ग्रुप कैप्टन डॉ जय पाल सिंह चौहान, दीपक दान , शमशुद्दीन; के एन अगिहिनोत्री, अभिनय प्रसाद, प्रशांत अग्रवाल , अमित खत्री,असलम सलीमी आदि उपस्थित थे।