विधिक सेवा दिवस के अवसर पर जनमानस को जागरूक करने हेतु निकाली गयी जनजागरूकता रैली


फिरोजाबाद।

विधिक सेवा दिवस के अवसर पर प्राधिकरण के सचिव श्री यजुवेन्द्र विक्रम सिंह, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश फिरोजाबाद द्वारा हरी झंडी दिखाकर जैन मंदिर चौराहे से घंटाघर चौराहे तक एन०सी०सी० कैडेट्स एवं परा विधिक स्वयं सेवकों के सामंजस्य से जनमानस को विधिक अधिकारों से जागरूक करने एवं “न्याय सबके लिए” तथा राष्ट्रीय टोल फ्री नं० 15100 का प्रचार प्रसार करने हेतु निकाली गयी जनजागरूकता रैली। विधिक सेवा दिवस मनाये जाने का उददेश्य प्रचार प्रसार करना है।
इस अवसर पर आर०के० काॅलेज आफ लाॅ फिरोजाबाद में विधि छात्रों हेतु प्राधिकरण के सचिव श्री यजुवेन्द्र विक्रम सिंह, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश फिरोजाबाद की अध्यक्षता में गोष्ठी का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर प्राधिकरण के सचिव श्री यजुवेन्द्र विक्रम सिंह, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश फिरोजाबाद द्वारा उपस्थित समस्त विधि छात्र/छात्राओं एवं अध्यापकों को विधिक सेवा दिवस के महत्व के बारे में बताया एवं लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त करने के संवैधानिक अधिकार के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए संचार के विभिन्न के माध्यमों के जरिए व्यापक प्रसार के महत्व पर बल दिया। उन्होंने इस अधिकार के बारे में जानकारी के अभाव के समाप्त होने की आशा व्यक्त की ताकि अधिक से अधिक लोग इस अधिकार का लाभ उठाने के लिए आगे आयें।

उन्होंने नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों के बारे में अज्ञानता को मिटाने के उद्देश्य से विधिक सहायता से जुड़े कार्यक्रमों में कानून के छात्रों के शामिल होने के महत्व पर जोर दिया। इसी क्रम में सभा को संबोधित करते हुए प्राधिकरण के सचिव ने कहा कि न्यायाधीश मामलों की सुनवाई के अपने काम में व्यस्त होते हैं और इसलिए नागरिकों के बीच कानून के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा)की सेवाओं की जरूरत है।

उन्होंने लोक अदालत के संचालन और उनके द्वारा समय पर न्याय प्रदान किये जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इससे लोगों के दरवाजे तक न्याय पहुंचा है। उन्होंने कहा कि न्याय तक पहुंच और आम आदमी के बीच की सेतु को जोड़ना होगा। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए एक मजबूत न्यायपालिका का होना जरूरी है।

उन्होंने सभी विधि महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के मानकों को उन्नत बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार कानून के छात्रों के करियर को ध्यान में रखकर वैकल्पिक निवारण तंत्र और ऐसे अन्य रास्तों की तलाश कर रही है। उन्होंने भारत को मध्यस्थता का वैश्विक केंद्र बनाने के प्रधानमंत्री के वादे को याद किया। उन्होंने एक सरल और छोटा कानून लाने का पक्ष लिया ताकि आम आदमी कानून को आसानी से समझ सके आैर कहा कि 1948 में की गई मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा के अनुच्छेद 8 का उल्लेख किया जिसमें यह कहा गया है कि “संविधान या कानून द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाले कृत्यों के खिलाफ हर किसी को सक्षम राष्ट्रीय न्यायाधिकरणों द्वारा प्रभावी उपचार पाने का अधिकार है।”

उन्होंने कहा कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 39ए सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करने के प्रतिमान के बारे में बताता है। उन्होंने कहा कि “समान न्याय और मुफ्त कानूनी सहायता” की संवैधानिक दृष्टि एक ऐसे राष्ट्र के लिए अनिवार्य है, जहां लाखों लोग घोर गरीबी में जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि मौलिक अधिकार होने भर से कोई देश महान नहीं हो जाता। लोगों को मौलिक कर्तव्यों के बारे में पता होना चाहिए और उन्हें उनका पालन करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि अगर उचित कानूनी सहायता दी जाए, तो एक आम आदमी सम्मानजनक जीवन जी सकता है। उन्होनें कानून के बारे में जागरूकता फैलाने और गरीबों एवं जरूरतमंदों के लिए न्याय कायम रखने के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा)की सराहना की। उन्होंने विधिक सेवा दिवस को भव्य रूप से सफल बनाने के लिए कानून के छात्रों की सराहना की। उन्होंने इतने बड़े पैमाने पर विधिक सेवा दिवस मनाने पर प्रसन्नता व्यक्त की।

उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हुए विधिक सेवा आंदोलन को याद किया। उन्होंने कहा कि पहले विधिक सहायता की सेवा अदालत के कक्ष तक ही सीमित थी,लेकिन अब इसका विस्तार कानून के बारे में जागरूकता, कानून से जुड़ी साक्षरता, सामाजिक कार्रवाई से संबंधित मुकदमेबाजी, वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र आदि तक हो गया है। उन्होंने कानून के छात्रों से बेसहारा लोगों की आवाज बनने और सामाजिक समस्याओं के बारे में सतर्क रहने तथा उनका हल निकालने दिशा में काम करने का आग्रह किया। उन्होंने लोगों के बीच कानून के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए कानून के छात्रों की सराहना की।

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