समाज को करना चाहते हैं टीबी संक्रमण से मुक्त

सामुदाय को जागरूक कर रहे हैं  ‘जिलेश्वर पंडित’ 

कोविड -19  संक्रमण के प्रति जागरूकता एवं टीकाकरण में भी निभायी महत्वपूर्ण भूमिका 

 लखीसराय ,14 नवम्बर।

 जब कोविड -19 का समय था तो हर कोई अपनी सेहत एवं अपने जीवन को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहा था। सभी लोग बस फ़िक्र कर रहे थे तो बस, अपने साथ अपने परिवार को इस संक्रमण से बचाने का। लोगों ने अपनी जरूरत के हिसाब से अपने आप को  सीमित कर लिया था। वहीं  संक्रमण भरे  इस माहौल में समाज को कोविड -19 संक्रमण से बचाने के लिए अपने दायरे से बाहर निकले जिलेश्वर पंडित। जो पेशे से एक शिक्षक हैं।

वे स्थानीय के.आर. के हाईस्कूल में प्रधान-अध्यापक पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने लोगों को संक्रमण से न सिर्फ जागरूक किया बल्कि टीकाकरण में भी समाज के लोगों को जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। जिलेश्वर पंडित इस बाबत बताते हैं कि जब मैंने कोविड -19 संक्रमण के बीच लोगों की परेशानी को देखा तो लगा कि कितनी पीड़ा है इस संक्रमण को लेकर। जो कुछ समय बाद समाप्त हो सकता है पर  टीबी जो पूर्व से ही एक संक्रमण के रूप इंसान को संक्रमित कर रहा वो कितना कष्टदायक होता होगा। क्यों न उसके प्रति भी समाज को जागरूक किया जाये और सरकार के  वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त समाज बनाने के रास्ते को मजबूत किया जाय।

समाज को टीबी मुक्त करना चाहते हैं- लखीसराय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के स्वास्थ्य प्रबंधक निशांत राज बताते हैं कोविड के दौर से ही मास्टर साहब समाज के साथ अपने स्कूल में बच्चों को टीबी बीमारी के प्रति जागरूक कर कर रहे हैं। जिलेश्वर पंडित जब बच्चों को क्लास में पढ़ाने  जाते हैं तो बच्चों को टीबी जैसे गंभीर बीमारी से बचने की सलाह भी देते  हैं। साथ ही  साफ – सफाई रखने के लिए भी बताते हैं। वो इस बारे में बच्चों को सिखाते हैं कि किसी भी बीमारी को हम तब न्योता देते हैं जब हम सब गंदगी के प्रति लापरवाह बन जाते हैं। 

साफ  -सफाई हम सभी को किसी भी बीमारी से कोसों दूर रख सकता  है। उसके साथ खान -पान के प्रति भी सतर्क रहना  चाहिये। जिलेश्वर पंडित को जब भी  स्कूल के बाद  समय मिलता है तो वो  समाज के लोगों के बीच  टीबी संक्रमण से बचाव एवं जागरूकता लाने के लिए कार्य करते रहते  हैं। अगर किसी में टीबी होने को संभावना दिखती है तो मास्टर साहब  हमें उसके बारे में बताते हैं। फिर हमारी टीम के द्वारा उस व्यक्ति की जाँच उपरांत अगर टीबी संक्रमण पाया जाता है तो उसका पूरा इलाज किया जाता है।  

ये हैं टीबी के लक्षण : – भूख न लगना, कम लगना तथा वजन अचानक कम हो जाना।- बेचैनी एवं सुस्ती रहना, सीने में दर्द का एहसास होना, थकावट व रात में पसीना आना।- हलका बुखार रहना।- खांसी एवं खांसी में बलगम तथा बलगम में खून आना। कभी-कभी जोर से अचानक खांसी में खून आ जाना।- गर्दन की लिम्फ ग्रंथियों में सूजन आ जाना तथा वहीं फोड़ा होना।- गहरी सांस लेने में सीने में दर्द होना, कमर की हड्डी पर सूजन, घुटने में दर्द, घुटने मोड़ने में परेशानी आदि।- महिलाओं को बुखार के साथ गर्दन जकड़ना, आंखें ऊपर को चढ़ना या बेहोशी आना ट्यूबरकुलस

मेनिन्जाइटिस के लक्षण हैं – पेट की टीबी में पेट दर्द, अतिसार या दस्त, पेट फूलना आदि होते हैं।- टीबी न्यूमोनिया के लक्षण में तेज बुखार, खांसी व छाती में दर्द होता है।  जिलेश्वर पंडित कहते हैं उनका मकसद सिर्फ यही  है कि कोविड की तरह  अपने समाज को टीबी संक्रमण से मुक्ति दिलाने में अपनी अहम् भूमिका अदा कर सकूँ।

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