इजराइल और हमास के अलावा कौन किससे लड रहा है? और क्यों? कोई नहीं जानता, विश्व युद्ध के बनने लगे हैं आसार

इजराइल और हमास के अलावा कौन किससे लड रहा है? और क्यों? कोई नहीं जानता। इस स्थिति को देखते हुए लगता है कि विश्व युद्ध के आसार बनने लगे हैं। अमेरिका-ब्रिटेन समेत पश्चिमी देश इजराइल के समर्थन में हैं तो रूस-चीन ईरान का समर्थन कर रहे हैं। हूती, हिजबुल्लाह भी अपनी जिद पर अड़े हैं। पाकिस्तान पर ईरान ने ताजा हमला किया है तो पाक ने भी इसका पलटवार किया है।

ईरान का अपने मित्र पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक करना अब तक की सबसे चौंकाने वाली खबर है। इजरायल गाजा और लेबनान पर लगातार एयर स्ट्राइक कर रहा है। ईरान के कर्मान में भी एक के बाद एक बम विस्फोट हुए। यमन में हूती ने लाल सागर और अदन की खाड़ी में इजराइल और अन्य वाणिज्यिक शिपों को निशाना बनाया। तो ईरान ने कुर्दिस्तान क्षेत्र में इजराइली जासूसी केंद्र, सीरिया में आईएसआईएस ठिकानों पर हमला किया। सबसे ज्यादा हैरान करने वाला हमला पाकिस्तान के बलूचिस्तान में पंजगुर पर था। पाकिस्तान ने भी इसका जवाब दिया और ईरान के सिस्तान प्रांत में बलूच अलगाववादी शिविरों पर अटैक किया।

इजराइल और हमास को छोड़ दें तो ये कहना मुश्किल है कि आखिर कौन किससे और क्यों लड रहा है? बात अगर ईरान की जाए तो इसे रूस, चीन और पाकिस्तान और सीरिया का खुला समर्थन हासिल है। मगर ईरान ने पाकिस्तान और सीरिया पर हाल ही में हमला कर अपने इरादे जाहिर कर दिए। हूती इजरायलियों, अमेरिकियों और ब्रिटिशों पर हमला कर रहे हैं। अमेरिका और ब्रिटिश हूतियों पर बमबारी कर रहे हैं। इजराइल लेबनान पर बम बरसा रहा है। यमन लाल सागर तक मालवाहक जहाजों पर निशाना बना रहा है।

खाड़ी देश किसी न किसी से सैन्य संघर्ष में उलझा है। जब जिस देश का मन करता है वह दूसरे पर हमला कर देता है। इजराइल के गाजा पर ताबड़तोड़ हमले जारी हैं। सीरिया पर कभी अमेरिका हमला कर देता है तो कभी रूस। अब ईरान भी इस लिस्ट में शामिल हो गया है।यमन के हूती विद्रोही अलग राग अलाप रहे हैं। सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात इनके विरोध में है। लेबनान का हिजबुल्लाह इजराइल से खार खाए है और हमले जारी रखे है। ईराक को लेकर ईरान और अमेरिका आमने-सामने थे, लेकिन अब ईरान ने भी ईराक पर हमला कर दिया है।

मिडिल ईस्ट से जंग बाहर निकली तो यकीनन ये विश्व युद्ध में तब्दील हो सकती है। इसके आसार इसलिए ज्यादा है, क्योंकि खाड़ी देशों पर सीधे तोर पर महाशक्तियों का प्रभाव है। अमेरिका-ब्रिटेन समेत पश्चिमी देश इजराइल के समर्थन में हैं तो रूस-चीन ईरान का समर्थन कर रहे हैं।

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