राम मंदिर आंदोलन के जनक लालकृष्ण आडवाणी को देश का सर्वोच्च पुरुस्कार भारत रत्न देने का ऐलान

नई दिल्ली।

राम मंदिर आंदोलन के जनक लालकृष्ण आडवाणी को देश का सर्वोच्च पुरुस्कार भारत रत्न देने का ऐलान किया गया है।आडवाणी बीजेपी के वो नेता हैं जिन्होंने पार्टी को फर्श से लेकर अर्श तक पहुंचाने में एक अहम भूमिका निभाई। ये उनका ही करिश्मा था कि दो सीटे पाने वाली बीजेपी ने उनके नेतृत्व में 1989 में हुए लोकसभा चुनाव में 85 सीटें हासिल की थी ।

इसके पहले 2015 में मोदी सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तथा काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक मदन मोहन मालवीय को यह सम्मान एक ही वर्ष में दिया था। 23 जनवरी को कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा हुई और दस दिनों बाद ही लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न सम्मान देने की घोषणा की गई है।

आडवाणी को भारत रत्न देने की जानकारी खुद प्रधानमंत्री ने तीन फरवरी को अपने सोशल मीडिया पर दी। प्रधानमंत्री ने यह भी बताया, कि उन्होंने आडवाणी जी को फोन कर उन्हें इस सम्मान की सूचना दे दी है। लालकृष्ण आडवाणी भाजपा और उसकी पूर्ववर्ती जनसंघ के आज सबसे वरिष्ठ नेता हैं और राम मंदिर आंदोलन के जनक भी हैं।

अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी दोनों ही कुशाग्र और रणनीति व कूटनीति में माहिर रहे, लेकिन जहां अटल बिहारी वाजपेयी भाषण देने तथा जनता के बीच अपनी लोकप्रियता दर्ज करने में अव्वल थे वहीं आडवाणी चुप रहकर कूटनीति बनाने में बेमिसाल।

भाजपा हिंदुओं में जातियों के आधार पर बंटते जा रहे मतदाताओं के समूह से चिंतित हो उठी थी अतः 25 सितंबर 1990 को लाल कृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा निकालने की घोषणा की। तब इसे मंडल की काट के लिए भाजपा का कमंडल आंदोलन कहा गया। यह यात्रा 30 अक्तूबर 1990 को अयोध्या जा कर समाप्त होने वाली थी, किंतु वीपी सिंह के इशारे पर बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने 23 अक्तूबर को रथ रोक कर आडवाणी को समस्तीपुर में गिरफ्तार करवा लिया। यह आडवाणी और भाजपा की जीत थी। क्योंकि जो हिंदू अगड़े और पिछड़े में बंट रहा था, वह एक हो गया। परिणाम यह निकला कि 1991 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 120 सीटें मिलीं।

2014 में जब भाजपा ने अपने बूते बहुमत हासिल किया और उसके गठबंधन का आंकड़ा 300 पार कर गया तब भाजपा का चेहरा आडवाणी के शिष्य नरेंद्र मोदी थे। क्योंकि तब तक आडवाणी 84 वर्ष के हो चुके थे अतः उन्हें लोकसभा का टिकट भी नहीं मिला और मान लिया गया कि भाजपा के आडवाणी युग का समापन हो गया। इसके बाद अभी 22 जनवरी 2024 को वे राम लला की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में भी नहीं जा पाए, जिसके जनक आडवाणी बताए जाते रहे।

लेकिन फिर भी देर आए दुरुस्त आए! नरेंद्र मोदी सरकार ने देश के इस सबसे बड़े सम्मान से उनको सम्मानित कर उनके आंसू भी पोंछ दिए तथा उनके समर्थकों के कलपने का कारण भी खत्म कर दिया, इसलिए भी भारत रत्न मिलने पर इस बुजुर्ग योद्धा को हम बधाई देते हैं।

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