छोटे उद्यमियों पर दिल्ली सरकार की दोगुणी मार

दिल्ली में इंडस्ट्री चलाने वाले आज मज़बूर हो कर के हरियाणा और उत्तर प्रदेश जाने के लिए विवश हो गए है उन्हें ऐसा लगता है वो कोई अपराध कर रहे हैं ।और उनको विवश भी धीरे धीरे परेशान कर के किया जा रहा है जैसे हलाल किया जाता है , झटका इन्हें पसंद नही , केंद्र सरकार और राज्य सरकार तथा सभी विभाग जिसमे MCD , DPCC, LABOUR, FIRE शामिल हैं ।आज हर फ़ैक्टरी को परेशान करने में लगे हैं । एक ही बार ये फ़रमान क्यों नही जारी करते कि दिल्ली में कोई फ़ैक्टरी नही चलेगी । सरकार को अब इनके टैक्स की कोई जरूरत ही नही है । हर विभाग एक दूसरे का लाइसेंस मांगता है , इसलिए कोई भी लाइसेंस नवीनीकरण नही हो पा रहा । जैसे ट्रैफिक लाइट खराब होने पर सारा ट्रेफिक अपनी जगह पर स्थिर हो जाता है ठीक वैसे। सरकार कानून बनाये पॉल्युशन सबकी समस्या है । परंतु इस बात का भी ख्याल रखे की अगर सभी दिल्ली छोड़ गए तो बेरोजगारी कहाँ तक जाएगी और क्या बेरोजगारी से लूट की वारदातें बढ़ेगी नही । आपने दिल्ली में मजदूरी सबसे ज्यादा कर के अपना वोट बैंक मज़बूत किया क्या आपके इस कदम से कारखाने हरियाणा और उत्तर प्रदेश नही जाएंगे जहां मज़दूरी दिल्ली से लगभग आधी है । किसी के अगर 50 मज़दूर हैं और बाहर जाने पर पांच हज़ार कम देने पड़ेंगे तो उसके ढाई लाख बचते हैं वो बाहर जा के ये बचा लेगा मगर आप बेरोजगारी का क्या करेंगे । व्यापार की हालत खराब है मार्किट में पैसा नही है , मंदी कि मार से वैसे ही झूझना पड़ रहा है । बचत बंद हो गयी है । आप जितने सख्त कानून बना रहे हैं corruption उतनी बढ़ रही है।और आदरणीय प्रधान मंत्री जी कानून कम करने और इंस्पेक्टर राज खत्म करने का दावा करते हैं । आप दिल्ली के सभी इंडस्ट्रियल एरियाज को रियायशी घोषित कर दीजिए आपकी समस्या अपने आप खत्म हो जाएगी और बेरोजगार हो कर लोग खुशहाल होंगे। दिल्ली सरकार कहती है 15000 मज़दूरी दो मालिको के पास होगी नही तो वो पास के राज्यों में जाएंगे मज़दूर अगर इस वक़्त दस हज़ार ले रहा है वो उससे भी जाएगा। ये क्या समझदारी हुई । किसी की फैक्ट्री में आग लगी आपने फायर के कानून ऐसे कर दिए कि कोई पूरा न कर पाए । इससे coruption badega हर आदमी अपना बचाव करता ही है उसका ही तो नुकसान है। सड़क दुर्घटना होने से आप ट्रैफिक बंद तो नही कर देते । या लाइसेंस दोबारा लेने को तो नही कह देते सभी को । दुर्घटना को दुर्घटना की तरह ही लेना होगा। पॉल्युशन डिपार्टमेंट सीधा क्लोजर नोटिस भेजता है कोई सफाई नही बस बंद करो फ़ैक्टरी । आप उसकी गलती पकड़िए जुर्माना कीजिये , दूसरी गलती पर ज्यादा जुर्माना कीजिये पर उसे मौका तो दीजिये । आज दिल्ली में construction करना इतना मुश्किल हो गया है कि जितने में एक मंजिल बन जाये इतना विभिन्न विभागों को देना पड़ता है । सबको खुश करते करते व्यापारी की अपनी खुशी फुर्र हो गयी है। आप सभी विभागों से हम कारखाने दारों का विनम्र निवेदन हमे प्रोत्साहित करें हम रोज़गार और टैक्स देते हैं । हमें slow poisen से मत मारिये अगर दिल्ली से भेजना है तो पालिसी लाईये और इंडस्ट्रीयल एरिया को रिययशी घोषित कर एक ही बार इस मुद्दे का अंत कीजिये । आपकी अभी की पॉलिसी से बाहर के जमीनों के रेट बेतहाशा बढ़ गए और दिल्ली के घट गए ।
आपके अपने :
दिल्ली के सभी कारखानेदार।

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