1 अप्रैल से सोलर पैनलों के आयात पर सख्त प्रतिबंध फिर से लागू, देश में सोलर पैनल के उत्पादन के लिए प्रोत्साहन पर जोर दिया गया है। इससे सोलर पैनल में चीन से आयात कम करके देश में अपने पैनल बनाये जाएंगे और चीन पर निर्भरता खत्म हो जाएगी। इस कदम से शुरू में कठिनाई हो सकती है लेकिन आगे चलकर देश को बहुत बडा फायदा होगा और साथ ही भारत सोलर पैनल का अन्य देशों को निर्यात भी करेगा जिससे देश की अर्थव्यवस्था को बड़ा लाभ होगा।
1 अप्रैल से भारत में चालू होने वाले प्रोजेक्ट्स के लिए “मॉडल्स और मैन्युफैक्चरर्स की अप्रूव्ड लिस्ट (ALMM)” में शामिल सप्लायर्स के पैनल का इस्तेमाल करना अनिवार्य हो गया है। संशोधित लिस्ट में अब किसी भी विदेशी मैन्युफैक्चरर्स को शामिल नहीं किया गया है। इसके चलते अगले कुछ सालों में सोलर और वेफर्स के आयात में भी गिरावट आएगी।
पिछले तीन सालों में मॉड्यूल या पैनल फॉर्म में असेंबल किए गए फोटोवोल्टिक सेल के भारत के कुल आयात में चीन का योगदान औसतन 82% है। हालांकि, आयात पर अंकुश के बाद यह व्यापार प्रभावित होने की संभावना है, लेकिन इसके दूरगामी लाभ अधिक मिलेंगे। ब्लूमबर्ग के अनुसार, चीन ने मार्च 2024 तक छह महीनों के दौरान भारत में 2.1 बिलियन डॉलर के सौर पैनल भेजे, जिससे यह चीन का टॉप एक्सपोर्ट डेस्टिनेशन बन गया।