’शिव’ के राज में गेहूं का घोटाला आरोपियों को मिला 7-7 साल का कारावास

शिवराज और मोहन कैंप के बीच बढ़ा खींचतान, परेशान भाजपा आलाकमान

-रितेश सिन्हा की स्पेशल रिपोर्ट।

नर्मदापुरम/नई दिल्ली-

मध्य प्रदेश में जिस तरह भाजपा आलाकमान के इशारे पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को हटाकर प्रदेश को नया मुखिया दिया गया है तब से सूबे की राजनीति कई खेमों में बंटी नजर आ रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जब से डॉ. मोहन यादव मुख्यमंत्री बने हैं, तब से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नाराज से चल रहे हैं। शिवराज खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। मध्य प्रदेश का विधानसभा चुनाव शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में लड़ा गया था और भाजपा सरकार बनाने में सफल रही थी। अचानक भारतीय जनता पार्टी द्वारा लिए गए निर्णय से शिवराज और उनके समर्थकों के मन में एक खटास सी पैदा हो गई। इसका असर लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद देखने को जरूर मिलेगा।
जानकार बताते हैं कि शिवराज को मुख्यमंत्री पद से इसलिए हटाया गया कि उनके कार्यकाल में अनेक घोटाले हुए थे जिसको कांग्रेस लगातार हर चुनाव में मुद्दा बनाती रही। मामा शिवराज के 18 वर्ष के कार्यकाल में कांग्रेस द्वारा जारी किए गए घोटाला शीट’ में व्यापम घोटाला (2,000 करोड़), अवैध खनन मामला (50,000 करोड़), ई-टेंडर घोटाला (3,000 करोड़), आरटीओ घोटाला (25,000 करोड़), शराब का खेल सहित 254 घोटालों को सूचीबद्ध किया गया है। घोटाला (86,000 करोड़), महाकाल लोक (100 करोड़) और बिजली घोटाला (94,000 करोड़)। कांग्रेस द्वारा प्रकाशित पत्रक की टैगलाइन थी “घोटाला ही घोटाला, घोटाला सेठ-50 प्रतिशत कमीशन दर।“ ऐसा ही एक घोटाले में भाजपा के कुछ नेताओं को 7 साल के कारावास की सजा न्यायालय द्वारा सुनाई गई है। इस फैसले के बाद कांग्रेस कुछ ज्यादा हमलावर नजर आ रही है।
मध्य प्रदेश में ’शिवराज’ राज में हुए गेहूं के घोटाले के आरोपियों को न्यायालय ने जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया है। विपणन सहकारी समिति मर्यादित पिपरिया में वर्ष 2013 के 11 साल पुराने गेहूं की सरकारी खरीदी घोटाले के मामले में शुक्रवार को न्यायालय ने दस आरोपितों को सात वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। प्रथम अतिरिक्त सेशन न्यायाधीश कैलाश प्रसाद मरकाम द्वारा फैसला सुनाया गया। मामले में पिपरिया नपा अध्यक्ष नीना नागपाल के पति, पिपरिया के बहुचर्चित भाजपा नेता व विधायक के सबसे करीबी माने जाने वाले भाजपा नेता नवनीत नागपाल, शाखा प्रबंधक राजेंद्र दुबे सहित अन्य आठ आरोपित थे। लोक अभियोजक सुनील कुमार चौधरी के अनुसार न्यायालय के आदेश के बाद सभी अभियुक्तों को 7 वर्ष सश्रम कारावास और अर्थदंड की सजा से दंडित किया गया है।
अभियुक्त राजेंद्र कुमार दुबे शाखा प्रबंधक, नवनीत सिंह नागपाल, अजय कुमार माहेश्वरी, जो पूर्व विधायक मुरलीधर माहेश्वरी के पुत्र बताए जाते हैं, सतीश कुमार जायसवाल, हेमराज हैं। पराज सिंह चौधरी, राघव सिंह पुरविया, जगदीश कुमार अग्रवाल, संध्या अग्रवाल, सुनीता रघुवंशी एवं जानकी पटेल को भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 409 के अंतर्गत कारावास दिया गया है। विदित हो कुछ वर्षों से नवनीत नागपाल को पिपरिया का सबसे प्रभावशाली भाजपा नेता माना जाता है, जिनके एक इशारे पर नपा पिपरिया से जुड़े कार्य हो जाते हैं तो वहीं कई मामलों में वे विधायक से जुड़े कार्यों को भी फटाफट करा देते हैं। प्राप्त जानकारी अनुसार विपणन सरकारी समिति मर्यादित पिपरिया के समिति संचालक रहते हुए समिति द्वारा वर्ष 2013-14 के उपार्जित गेहूं के संबंध में लोकसेवक के रूप में कार्यरत थे। समिति द्वारा वर्ष 2013 में समर्थन मूल्य पर उपार्जित किये गये 1,04,034.19 क्विंटल गेहूं में से उपार्जित मात्रा के अनुपात में 1416.19 क्विंटल गेहूं निगम को कम परिदत्त किया गया। 1628.86 क्विंटल गेहूं अमानक स्तर का उपार्जित किया तथा परिवहन के दौरान 185.02 क्विंटल गेहूं की कमी पाई गई।
इस प्रकार अभियुक्त ने कर्तव्यहीनता से गेहूं स्कंध में कमी, सूखत, परिवहन में कमी, अमानक स्तर के गेहूं की खरीदी पर हुई क्षति पर निगम को 1416.19 क्विंटल गेहूं की राशि 21 लाख 24 हजार 285 रूपए का नुकसान हुआ। 1628.86 क्विंटल गेहूं की राशि 20 लाख 93 हजार 528 रूपए एवं 185.02 क्विंटल गेहूं की क्षति हुई। 20 लाख 77 हजार 530 रुपए की क्षति हुई। अपर लोक अभियोजक ने बताया कि राजेंद्र दुबे, नवनीत सिंह नागपाल, अजय कुमार माहेश्वरी, शिवनारायण जायसवाल, हेमराज सिंह, राघव सिंह, जगदीश अग्रवाल, संध्या अग्रवाल, सुनीता रघुवंशी, जानकी पटेल को धारा 409 में दोषी पाते हुए सात वर्ष का कारावास एवं 5000 रूपये अर्थदंड की सजा से दंडित किया गया। आरोपियों द्वारा राशि जमा न किये जाने पर अलग से सजा दी जाएगी। सात आरोपितों को पिपरिया उप जेल ले जाया गया जबकि तीन महिला आरोपितों को नर्मदापुरम महिला जेल भेजा गया।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में घोटाला की बात नई नहीं हैं। पहले भी व्यावसायिक परीक्षा मंडल, बाद में एंप्लॉई सिलेक्शन बोर्ड और अब कर्मचारी चयन मंडल नाम, नाम भले ही बदल गया हो, लेकिन चयन बोर्ड पर हमेशा आरोप लगे हैं। शिवराज सरकार के कार्यकाल में बड़ी मछलियों पर कार्रवाई कम ही होती थी। मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के ताबड़तोड़ फैसले और अधिकारियों की तैनाती के बाद से ही शिवराज के चहेतों अधिकारियों पर गाज गिरनी शुरू हो चुकी थी। अब रही सही कसर कोर्ट के फैसले ने पूरी कर दी है। आरोपियों को सजा होने के बाद मोहन यादव पर दोषियों के खिलाफ भी एक्शन लेने का दवाब बढेगा। गुना से लेकर शाजापुर तक के मामले में अधिकारियों पर कार्रवाई कर वे मिसाल पेश कर चुके हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इन फैसलों की वजह से शिवराज सरकार में फ्रंट पर रहे अधिकारी लूपलाइन में चले गए हैं। अगर लोकसभा चुनाव के नतीजे भाजपा के पक्ष में कमजोर रहते हैं तो शिवराज और मोहन कैंप के बीच खींचतान आलाकमान के लिए सिरदर्द से कम नहीं साबित होंगे।

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