मथुरा की 55 फुट ऊंची 4 मंजिला चतुर्भुजी सती स्थम्भ में छिपा है करोडों के खजाने का रहस्य

मथुरा।

मथुरा की 55 फुट ऊंची 4 मंजिला चतुर्भुजी सती स्थम्भ में करोडों के खजाने का रहस्य छिपा है। मथुरा प्राचीन समय से है राजाओं का राज स्थान रहा है। यहां की धरोहर आज भी राजाओं की याद को सजोए हुए है। राजस्थान के कई राजा ऐसे रहे जिनकी मथुरा में सम्पत्ति आज भी मौजूद है। राजा महेंद्र प्रताप के अलावा अकबर के ससुर की याद भी मथुरा से जुडी हैं। अकबर के ससुर की मृत्यु होने के बाद उनकी पत्नी भी यहीं सती हो गईं थी। इस स्थम्भ को सती बुर्ज के नाम से जाना जाता है।

राजस्थान के कई राजाओं की धरोहर मथुरा वृन्दावन में आज भी मौजूद हैं। राजा मान सिंह, राजा महेंद्र प्रताप और ऐसे कई राजा रहे जिनकी राज धरोहर उस समय की याद दिलाती हैं। इतिहासकारों के अनुसार यमुना किनारे बने सती स्थम्भ भी राजाओं की निशानी है। अकबर के ससुर राजा बिहारी लाल की मृत्यु 1570 ईसवीं में हुई थी और उसी समय उनकी रानी भी उनकी मृत्यु के समय यहां सती हुई थी। राजा बिहारी लाल की अंत्योष्टि विश्राम घाट पर की गई थी।

उनकी स्मृति में उनके पुत्र राजा भगवान दास ने वहां एक स्तंभ का निर्माण कराया था, जो ‘सती का बुर्ज’ कहलाता है। यह स्तम्भ मथुरा की वर्तमान इमारतों में यह सबसे प्रचीन है। यह बुर्ज 55 फीट ऊँचा है, और चारमंज़िला बना हुआ है।

यह इमारत देखने में काफ़ी खूबसूरत थी। इसके ऊपरी भाग को मुस्लिम शासक औरंगजेब के काल में गिरा दिया गया था जिसकी बाद में ईंट-चूने से मरम्मत कर दी गई थी। इस स्तम्भ पर बेल-बूटे, पुष्पावली और विविध पशुओं की आकृतियाँ उत्कीर्ण की गयीं हैं। इस बुर्ज में बनी कलाकृतियों की हिन्दू स्थापत्य कला की झांकी मिलती है। स्तंंभ में जो कलाकृति लगी हुई हैं, वह किसी खजाने का नक्शा है और यह कलाकृति खजाना खोजने में अहम भूमिका निभा सकती हैं।

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