झंडारोहण के लिए हमारे देश में लागू होता है भारतीय ध्वज संहिता। झंडे के आकार का अनुपात, झंडा फहराने का नियम, झंडा उतारने का नियम आदि सभी इस संहिता में निर्धारित हैं।
भारतीय ध्वज सहिंता के अनुसार झंडा आयताकार होना चाहिए और उसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 होगा। झंडे पर किसी भी भाषा में कोई भी शब्द नहीं लिखा जाना चाहिए।। कटा-फटा या किसी भी प्रकार से क्षतिग्रस्त झंडा फहराने के लिए प्रयोग में नहीं लाना चाहिए।
ध्वजारोहण के समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:-
- ध्वजारोहण के समय तिरंगा झंडा किसी भी प्रकार से जमीन को नहीं छूना चाहिए।
- तिरंगे को ऐसे जगह फहराया जाना चाहिए जहां से वह हर किसी को दिखाई दे।
- इसके साथ ही तिरंगा जिस जगह फहराया जा रहा है तो ध्यान रखना है कि वक्ता का मुंह श्रोताओं की ओर हो और झंडा उसके दाहिनी ओर होना चाहिए।
- तिरंगे झंडे के साथ अगर किसी और झंडे को जगह दी जानी है तो उसे तिरंगे के बराबर में नहीं फहराया जाना चाहिए, उस झंडे को तिरंगे के नीचे जगह दी जानी चाहिए।
झंडे को उतारने के समय भी कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए:-
- झंडे को अकेले में उसके स्थान से हटाया जाना चाहिए।
- इसके बाद उसको नियमों के तहत फोल्ड करने रखना चाहिए।
- किसी भी झंडे को उतारने के बाद किसी सार्वजनिक पर ऐसे ही नहीं छोड़ना चाहिए।
- यदि झंडा किसी प्रकार से कट या फट जाये तो उसे अकेले में जाकर ही पूर्ण रूप से नष्ट करना चाहिए।