दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के इस्तीफे पर अन्ना हजारे का कटाक्ष, कहा- ‘मैंने उनसे कहा था कि राजनीति में न जाएँ”

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली शराब नीति मामले में 177 दिनों के बाद जेल से रिहा होने के बाद सीएम पद से इस्तीफे की घोषणा की है। केजरीवाल के इस फैसले पर पूरे देश की सियासत गरमा गई है। इस पर तमाम राजनीतिक नेता अपनी राय रख रहे हैं। इस बीच सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने भी अपनी राय रखी है। उन्होंने कहा, ‘मैंने उनसे कहा कि राजनीति में मत जाओ। मैंने उनसे कई बार राजनीति के बजाय समाज सेवा करने को कहा लेकिन केजरीवाल ने मेरी बात नहीं सुनी।’

अन्ना हजारे ने कहा, ‘मैंने उनसे कई बार कहा कि राजनीति में न जाएं। समाज की सेवा करें. तुम बहुत बड़े आदमी बनोगे। हम कई सालों तक साथ थे. उस समय मैं उन्हें बार-बार टोकता था कि राजनीति में न जाएं। मैं समझा रहा था कि समाज सेवा जीवन में आनंद लाती है, आनंद में डूबे रहो, लेकिन उसके दिल में तो कुछ और ही था और आज जो होना था हो गया।

जेल से बाहर आने के बाद केजरीवाल ने कहा, ‘मैं अगले दो दिनों में इस्तीफा दे दूंगा। मैं आपके दरबार में आया हूं। अब आप ही तय करें कि कौन सही था। मनीष सिसौदिया भी मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। दिल्ली में चुनाव फरवरी में हैं, लेकिन हम चाहते हैं कि नवंबर में महाराष्ट्र के साथ चुनाव हो। तब तक आम आदमी पार्टी का कोई भी नेता मुख्यमंत्री बन सकता है। मैं और सिसौदिया अब जनता के बीच जाएंगे और जनता को तय करने देंगे कि हम दोषी हैं या ईमानदार। अब जितनी जल्दी हो सके दिल्ली का मुख्यमंत्री चुनें। जब तक लोग यह तय नहीं कर लेते कि केजरीवाल ईमानदार हैं या नहीं, मैं कुर्सी पर नहीं बैठूंगा।’

केजरीवाल की मांग बेहद अहम है क्योंकि फरवरी-2025 में विधानसभा चुनाव के कारण दिल्ली सरकार का कार्यकाल केवल छह महीने ही बचा है। उन्होंने चुनाव आयोग से अपील की है कि महाराष्ट्र और झारखंड के साथ-साथ दिल्ली में भी नवंबर में चुनाव कराए जाएं। हालांकि, इस पर अंतिम फैसला चुनाव आयोग और मोदी सरकार के हाथ में है। वे केजरीवाल की इस मांग पर विचार करेंगे कि क्या चुनाव की तारीखें बदली जा सकती हैं।

चुनाव आयोग इस संबंध में निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है और आयोग केंद्र सरकार से परामर्श कर सकता है। इसलिए केजरीवाल की मांग चुनाव आयोग के लिए भी एक परीक्षा की तरह है। अगर दिल्ली में विधानसभा चुनाव जल्दी कराने हैं तो कई कानूनी और प्रशासनिक मुद्दों पर विचार करना होगा और इनमें मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल और चुनाव के लिए जरूरी तैयारियां भी शामिल हैं।

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