मुस्कान योग से करें मनोकामना पूर्ति।
कोई भी व्यक्ति केवल आनन्द के लिये ही जीता है ? मुस्कान योग हर तरह के आनन्द को बढ़ाता है। यहां तक कि मेरा अनुसंधानात्मक अध्ययन बताता है कि हर एक जीव भी आनंद की प्राप्ति के लिए ही जीता है। कौन से आनंद की प्राप्ति के लिए ? एक एसा काम जो तृप्ति दायक हो, एक एसी परिस्थिति जो मन की चाहत को पूरा करें। जो कार्य इच्छाओं को शांत करने वाला हो, लंबे समय तक टिका रहे, ऐसे ही आनंद की कामना लगभग सृष्टी के हर जीव मेंं है। मानव भी यही सब चाहता है। वो आनन्द को जीना चाहता है, जीतना चाहता है। सदैव आनन्दमग्न रहना चाहता है।
इस आनंद को व्यक्ति संसार के भोगने योग्य भौतिक पदार्थों में ढूंढता रहता है। वैसे तो भौतिक वस्तुओं में भी आनंद है। परंतु वह क्षणिक है। व्यक्ति क्षणिक आनंद को नहीं चाहता, स्थिर आनंद को चाहता है। स्वस्थ रहने का अपना अलग ही आनन्द है। पैसे का अलग ही आनन्द है।
दूसरी बात – मानव उस आनंद को भोग कर अपनी इच्छाओं को शांत करना चाहता है, भड़काना नहीं चाहता। भौतिक वस्तुओं से जो आनंद मिलता है, न तो वह इच्छाओं को शांत करता है, और न ही उससे लंबे समय तक तृप्ति होती है।
अब एक बात और कि तृप्ति किस तरह होती है, तृप्ति के मापदण्ड क्या है।
मेरी शोध बताती है कि यहां विशेष बात ये है कि हर जीव का, हर मानव के तृप्ति के मापदण्ड अलग हो सकते है। अलग अलग समय में अलग अलग हो सकते है। किस समय किस काम से तृप्ति, किस काम से आनंद मिलेगा ये सब समय, काल, परिस्थितियों पर निर्भर करता है।
तो प्रश्न हुआ कि लंबे समय तक तृप्ति दायक आनंद कैसे मिलता है, जिससे इच्छाएं शांत हो जाएं?
इसका उत्तर है, मुस्कान योग से, पुण्य कर्म करने से। सेवा परोपकार दान दया न्याय से उत्तम व्यवहार सच्चाई से ईमानदारी से जीवन जीना प्राणियों की रक्षा करना गरीब रोगी विकलांग आदि की सहायता करना। इन उत्तम कार्यों से व्यक्ति को जो आंतरिक आनंद होता है, वह तृप्ति दायक होता है और इच्छाओं को शांत करने वाला होता है। उसे आध्यात्मिक आनंद कहते हैं।
यदि आप सच में सदैव आनन्दित रहना चाहते है तो मुस्कान योग में लगे रहे। अगर आप स्थाई आनंद चाहते हैं, तो ऊपर बताए उत्तम कार्यों को करें, मुस्कान योग करें। आज से ही हर पर्व पर अपनी आनंद की इच्छा को दोहराते हुएं मुस्कान योग करें।प्रतिदिन करें, आज तो अवश्य ही करें। मुस्कान योग से आपकी सभी इच्छाओं की पूर्ति सम्भव है। आपका पर्व मनाना भी सार्थक होगा, पुण्य मिलेगा तथा आनंद भी मिलेगा।
श्री गुरुजी भू
(मुस्कान योग के प्रणेता, प्रकृति ऋषि)