बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए अत्याचार परिलक्षित करते हैं उनकी विचारधारा
ठोस कदम उठाने की आवश्यकता
जिलाधिकारी को सौंपा राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन
फिरोजाबाद। भारत कुटुंबकम् की भावना वाला देश है, जहां अहिंसा और बलिदान का अदभुद संगम मिलता है, धर्म के मार्ग पर चलना इसका स्वभाव है। यह उदगार महासभा को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता व प्रांत संपर्क प्रमुख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ श्री प्रमोद जी ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा भारत ने हमेशा सभी धर्मों का सम्मान रखा है, यह बात विश्व भी स्वीकारता है। किन्तु जो बांग्लादेश भारत से सहारा प्राप्त करता है, जिसकी पूर्व प्रधानमंत्री हसीना शेख अपने आप को भारत में सुरक्षित महसूस करती है, वहीं बांग्लादेश के मुट्ठीभर कट्टरपंथी लोग अल्पसंख्यकों पर जघन्नतम अत्याचार कर रहे हैं। माता बहिनों के साथ बलात्कार किए जा रहे हैं, फिर भी वहां की एजेंसियां मूक दर्शक बनी हुई हैं।
हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वैसे भी कुछ कट्टरपंथियों की विचारधारा किसी से छिपी नहीं है, ज्ञात हो कि उन्होंने अपनी देश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ किस प्रकार का व्यवहार किया था, यहां तक कि बांग्लादेश बनाने में जिनका विशेष सहयोग रहा, उन्हीं की प्रतिमा को तोड़ना और बेहद निचले तरीके का व्यवहार किसी से छिपा नहीं है। ऐसे कट्टरपंथियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की आवश्यकता है।
अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक मानवाधिकार के तत्वाधान में नगर के गांधी पार्क में हिंदुओं की एक विशाल महासभा का आयोजन संयोजक बृजेश यादव एवं सह संयोजक सौरभ शर्मा के नेतृत्व में किया गया। इस अवसर पर हजारों की संख्या में हिंदू समाज के युवा, पुरुषों एवं माताओं बहिनों ने प्रतिभाग किया।
कार्यक्रम के संयोजक एवं सह संयोजक ने राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन जिलाधिकारी फिरोजाबाद को सोपा। ज्ञापन के माध्यम से वर्तमान में बांग्लादेश में हिंदुओं एवं अन्य सभी अल्पसंख्यकों पर इस्लामी कट्टर पंक्तियों द्वारा हमले हत्या लूट आगजनी और महिलाओं पर हो रहे अमानवीय अत्याचार को अत्यधिक चिंताजनक बताया गया।
बांग्लादेश के इस कृत्य की चहुंओर घोर भर्त्सना हो रही है। क्योंकि बांग्लादेश सरकार और उसकी एजेंसियां इस घटनाक्रम को रोकने के बजाय मात्र मुख्य दर्शक बनी हुई है जिसके परिणाम स्वरुप बांग्लादेश के हिंदुओं द्वारा स्वसंरक्षण हेतु लोकतांत्रिक पद्धति से उठाई गई आवाज को दबाने उन पर अत्याचार और अन्याय का नया दौर उभर रहा है। जिससे बांग्लादेशी हिंदू अल्पसंख्यकों के न सिर्फ मूल अधिकारों का हनन हो रहा है अपितु उनके मानवाधिकार को भी बुरी तरह कुचला जा रहा है।
बांग्लादेश की शांतिपूर्ण प्रदर्शनों में हिंदुओं का नेतृत्व कर रहे इस्कॉन के धर्मगुरु चिन्मय कृष्ण दास प्रभु जी को बांग्लादेश सरकार द्वारा कारावास भेजना अन्याय पूर्ण है। इस प्रकार बांग्लादेश सरकार का उपरोक्त हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को रोकना तथा संत चिन्मय कृष्णदास प्रभु जी को तत्काल रिहा किया जाना अत्यंत आवश्यक है।
उपरोक्त तथ्य व परिस्थितियों की सापेक्ष भारत सरकार से यह आह्वान किया जाता है कि वह बांग्लादेश के हिंदुओं एवं अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रही अत्याचारों को रोकने का प्रयास हर संभव जारी रखें और इस संबंध में वैश्विक अभिमत बनाने हेतु यथाशीघ्र कार्यवाही अमल में लाई जाए ताकि बांग्लादेश में शांति और सौहार्दपूर्ण वातावरण पुनः स्थापित हो सके।
इस अवसर पर मंचासीन अतिथियों में जैन समाज से आदरणीय अमित सागर जी महाराज बौद्ध धर्म के भंते बुद्ध शरण महाराज, पंजाबी मनमोहन जी सरदार, प्रजापति ब्रह्मकुमारी से राजयोगिनी सरिता दीदी, सिंधी समाज के अशोक आनंदानी जी, विशिष्ट अतिथि के रूप में हरिओम जी आचार्य जी, महंत कामाख्या धाम महेशानंद जी महाराज, अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक मानवाधिकार के राष्ट्रीय महासचिव बृजेश यादव, इस्कॉन मंदिर के महंत विष्णु ठाकुर जी, राष्ट्रीय संयोजक मुस्लिम राष्ट्रीय मंच से कल्लू अंसारी आदि ने अपने विचार व्यक्त किए एवं बांग्लादेश के इस काले करतूतों की जबरदस्त भर्त्सना की।
इस अवसर पर सेवा भारती, भारत विकास परिषद, हिन्दू जागरण मंच, भारतीय मजदूर संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, संस्कार भारती, भारतीय जनता पार्टी, सक्षम, क्रीड़ा भारती, स्वदेशी जागरण मंच, शैक्षिक मंच, विद्या भारती, श्री नारायण विकलांग समिति सहित अन्य संगठनों के प्रमुख पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओं के साथ साथ हिन्दू समाज के लोग उपस्थित रहे।