सरकार स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करें – ज्ञानेन्द्र रावत

-ज्ञानेन्द्र रावत*

नई दिल्ली: आज कोरोना समूचे विश्व के लिए महामारी बन चुका है।  आज रात भारत के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी इस बाबत देश को संबोधित करने वाले हैं। क्या वे कोरोना की वजह से बिगड़ती स्थिति को काबू में करने के लिए आपात स्थिति की घोषणा करेंगे?
प्राप्त जानकारी के अनुसार समूची दुनिया में अभी तक कोरोना संक्रमितों की तादाद 2,25,253 पार कर चुकी है। इनमें 9227 की मौत हो चुकी है। 85831 इसके चंगुल से बाहर आकर यानी बचकर दोबारा दुनिया देख पाने में समर्थ हुए हैं। हालात की भयावहता का आलम यह है कि स्विट्जरलैण्ड में इमरजेंसी घोषित की जा चुकी है। फ्रांस में शटडाउन की तैयारी है और सेना को कमान सौंप दी गई है। एम्सटरडम की गलियां सूनी पड़ी हैं। आलम यह है कि कोरोना के चलते दुनिया के देशों के बाजारों की रौनक फीकी पड़ चुकी है या इसे यूं कहें कि वहां सन्नाटा छाया हुआ है तो कुछ गलत नहीं होगा। असलियत यह है कि लाख चेतावनियों के बावजूद दुनियाभर में लोग कोरोना से इस तरह आतंकित हैं, भयग्रस्त हैं कि उन्हें कुछ समझ में ही नहीं आ रहा कि वे करें तो क्या करें।

जहां तक हमारे देश का सवाल है, हमारे यहां अभी तक कोरोना संक्रमित लोगों की तादाद भले 166 बताई जा रही है और इसके चलते चार मौतें होने का दावा किया जा रहा है। लेकिन दुनिया में चीन के बाद दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश में कोरोना संक्रमित लोगों की तादाद केवल इतनी ही है, इस पर सहज भरोसा नहीं किया जा सकता। उस हालत में तो कतई नहीं जबकि देश में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली जगजाहिर है। वह भी उस हालत में जबकि अभी तक इस महामारी की दुनिया में कोई दवा ही न हो। इस बाबत अमरीका भले दावा कर रहा है लेकिन उसकी ही मानें तो यह दवा आने में अभी दो साल का वक्त लग जायेगा। हालात की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि सरकार ने आगामी 31 मार्च तक के लिए स्कूल, कॉलेज, सिनेमाघर नाइट क्लब, जिम सभी बंद करने की घोषणा की है। मॉल बंद करने पर विचार जारी है। अफगानिस्तान, फिलीपींस, मलेशिया, टर्की, ब्रिटेन सहित योरोपीय यूनियन सहित यूरोप के 32 देशों के पर्यटको के भारत में प्रवेश पर रोक लगा दी है।

देश की औद्यौगिक राजधानी मुंबई में विख्यात सिद्धि विनायक मंदिर जहां रोजाना तकरीब 40 हजार से ज्यादा दर्शनाथी रोज आते हैं, शिरडी स्थित साईं मंदिर और आगरा स्थित दुनिया का सातवां आश्चर्य ताजमहल अगले आदेश तक पर्यटकों के लिए बंद करना पड़ा है। वैष्णो देवी मंदिर में विदेशी पर्यटकों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई है। सभा-सेमिनार-सम्मेलन के आयोजन पर रोक लगा दी गई है। सरकार द्वारा 50 से अधिक लोगों के एक जगह एकत्रित न होने की और लोगों से भीड़-भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचने की सलाह दी गई है। पश्चिम बंगाल सरकार ने स्थानीय निकाय चुनाव स्थगित कर दिये हैं। कुछ राज्यों की विधान सभायें अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई हैं। देश के प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थान आईआईटी से हॉस्टल खाली कराये जा रहे हैं। मुंबई में संक्रमित व्यक्ति के हाथ पर ‘होम क्वारोटाइन‘ का ठप्पा लगाने का महाराष्ट्र् सरकार आदेश दे चुकी है ताकि संक्रमित की पहचान हो सके और रोग के फैलने से बचाने हेतु उसे दूसरे लोगों से अलग रखा जा सके। इसका प्रमुख कारण देश में महाराष्ट्र् में कोराना संक्रमित लोगों की सबसे अधिक तादाद 39 तक पहुंच जाना है।

गौरतलब यह है कि देश में अभी तक कोरोना का प्रभाव शहरी इलाकों तक ही सीमित है। ग्रामीण क्षेत्र अभी तक इसके प्रभाव से अछूते हैं। यह संतोष का विषय है। लेकिन इसकी भयंकरता को नकारा नहीं जा सकता। इस बारे में जागरूकता और बचाव ही सबसे बड़ा कारगर उपाय है। वैसे सरकार के प्रयासों को भी नकारा नहीं जा सकता। इस दिशा में वह युद्ध स्तर पर व्यवस्था करने में जुटी है। लेकिन वह देर से चेती, इस सच्चाई को झुठलाया नहीं जा सकता। आवश्यक है कि सरकार इस आपदा की घड़ी में आपातकाल की घोषणा करे। कोरोना आपदा से कम नहीं है। जबकि यह जगजाहिर है कि यह स्पर्श से और संपर्क में आने से फैलता है, इसलिए वह ऐतिहासिक किलों सहित सभी धार्मिक स्थलों, पर्यटन, दर्शनीय स्थलों को कुछ समय के लिए बंद कर दे। आवश्यक हो, तभी कार्यालय खोले जायें। महाराष्ट्र सरकार का इस दिशा में सरकारी दफ्तरों को बंद करने का निर्णय प्रशंसनीय कदम है। कुछ बहुराष्ट्र्ीय कंपनियों, प्रतिष्ठित औद्यौगिक संस्थानों ने इस दिशा में कदम उठाये हैं। इस बारे में एम्स के डायरेक्टर डा. रणदीप गुलेरिया का कथन महत्वपूर्ण है। उनका कहना है कि ऐसी हालत में लॉक डाउन समय की मांग है। मनुष्य को सामाजिक गतिविधियां कुछ समय के लिए बंद करनी होंगी या उनपर अंकुश लगाना होगा। घर में ही रहें तो बहुत अच्छा होगा। बाहर जाने से बचना होगा। एक दूसरे के संपर्क में आने से बचें। थूकने से भी यह वायरस फैलता है। मुंह को ढंकें। खांसते समय रूमाल का इस्तेमाल करें। लगातार बार-बार हाथ धोएं। किसी चीज को छूने के बाद सैनिटाइजर या साबुन से अच्छी तरह हाथ धोवें। आमतौर पर इसका प्रभाव 5 से सात दिन तक रहता है। विशेष परिस्थिति में ही इसका प्रभाव दो से तीन हफ्तों तक रहता है। सबसे बड़ी बात बचाव की है और अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की है। इससे बचने का यही इसका कारगर उपाय है।

*लेखक वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं पर्यावरणविद् हैं

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