मैंने जब से होश सम्भाला है, सदैव विश्वगुरु भारत ही कहा है। हम विश्वगुरु ना होते, हम सबका भला करो भगवान, सर्वे भवन्तु सुखिनः, वसुधैव कुटुम्बकम, यत्र नारी पुज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता।
सनातन ने कहा – अभिवादन हेतु नमस्ते कीजिए।
लिबरल्स बोले – पिछड़ी सोच , पिछड़ी संस्कृति।
हाथ मिलाना आधुनिक।
आज कोरोना के डर से दुनिया नमस्ते कर रही है।
सनातन ने कहा – नित्य क्रियाकर्म में पानी का उपयोग करें। शौच और भोजन के पहले व बाद पानी से हाथों को अच्छी तरह धोएँ।
लिबरल्स बोले – पिछड़ी सोच , पानी की बर्बादी। टिशू पेपर से पोछना मॉडर्नाइजेशन। तभी प्रकृति का विनाश हुआ।
आज WHO भी साफ सफाई हेतु पानी से धोने की सलाह दे रहा है ।
सनातन – शव दाह अथवा किसी भी तरह की यात्रा से आने के बाद हमेशा घर आते ही स्नान करें। साथ ले गए कपड़े अच्छी तरह धोएँ ।
लिबरल्स बोले – घटिया सोच। संकीर्ण मानसिकता । बार-बार कपड़ा धोना अनावश्यक और पानी की बर्बादी।
आज समस्त दुनिया यात्रियों के कपडों की सफाई पर विशेष ध्यान रख रही है और एडवाइजरी जारी कर रही है।
सनातन ने कहा:- शवों का दाह संस्कार करें। पंचतत्व से बना शरीर पंचतत्व में विलीन करें।
लिबरल्स – बकबास । पंचतत्व थ्योरी , केवल अंधविश्वास। शव जलाना – वायु प्रदूषण का कारक , पिछड़ी संस्कृति।
आज कोरोना वायरस के कहर के बाद चीन , ईरान जैसे देश भी शवों के दाह संस्कार पर जोर दे रहे हैं।
जड़ों की और लौटें । सनातन ही सर्वश्रेष्ठ और सुरक्षित है।
इन लिबरल्स से तो कोरोना वायरस ही अच्छा !
जय हो विश्वगुरु भारत की सनातन संस्कृति की ,
यूंं ही नही आज भी भारत विश्वगुरु हैै।
आज योग की भांति नमस्ते भी ग्लोबल हो चुका है।
पूरा विश्व आज नमस्ते कर एक दूसरे का अभिवादन कर रहा है जिसमे विश्वभर के राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री भी शामिल है।
हमारे ऋषि मुनियों को हजारो लाखों वर्ष पहले ही ज्ञात था कि हाथ जोड़ कर अभिवादन करना क्यों आवश्यक है। इसकी धार्मिक व आध्यात्मिक विशेषता पता थी।
भारत ने पहले भी विश्व को मार्ग दिखाया एव नेतृत्व किया है और आगे भी करेगा एव हम हिंदुओ को अपनी सनातन संस्कृति की विशेषता को समझ उसे अपनाना चाहिए जिसे अपनाने के लिए आज विश्व इच्छुक है।
बीमारी का नाम : रेबीज
पहचान जानवर जैसा व्यवहार
एक बार हो जाने पर 100% मौत
वायरस का नाम: *अबोला*
पहचान: *कमज़ोरी और बुख़ार*
मौत होने की संभावना: *90%*
वायरस का नाम: *Marburg मारबर्ग*
पहचान: *आंतों की प्रॉब्लम की वजह से, 10 दिन में मौत।*
मौत होने की संभावना: *88%*
वायरस का नाम: *निपाह*
पहचान: *मानसिक उलझन के बाद मौत*
मौत होने की संभावना: *75%*
वायरस का नाम: *क्रीमियन कांगो*
पहचान: *नाक और मुंह का नीला होना और ख़ून बहना*
मौत होने की संभावना: *40%*
वायरस का नाम: *सार्स*
पहचान: *सांस मुश्किल से आता है।*
मौत होने की संभावना: *36%*
वायरस का नाम: *ज़ीका*
पहचान: *जोड़ों में दर्द और त्वचा पर लाल चकत्ते होना*
मौत होने की संभावना: *20%*
वायरस का नाम: *एंफ्लुएंज़ा*
पहचान: *गले में जलन व दर्द*
मौत होने की संभावना: *13%*
वायरस का नाम: *कोरोना*
पहचान: *सांस की नाली में इंफेक्शन*
मौत होने की संभावना: *2%*
वायरस संबंधित मामले एवं उनसे प्रभावित देश
एचआईवी – कोंगो
नीपाह – मलेशिया
इबोला – सूडान
बर्डफ्लू – होंन्ग कौंन्ग
डैंन्गू – मनीला
कोरोना – चीन
भारत में लाखों लोग एक साथ शामिल होते हैं-
कुंभ मेले में
पुष्कर मेले में
वैष्णो देवी धाम
स्वर्ण मंदिर
जगन्नाथ रथयात्रा
तिरुपति
शबरीमाल
बद्रीनाथ
केदारनाथ
रामेश्वरम
गंगासागर
गंगा स्नान
दुर्गा पूजा
कावर यात्रा
नवरात्रि
चारधाम
आस्था विनायक
सिद्धि विनायक
12 ज्योतिर्लिंग
हजारों त्यौहारों, मेलों और यात्राओं में
एक नदी
एक जगह
और लाखों लोग एक साथ रहते हैं।
और खाते हैं।
और पवित्र स्नान करते हैं।
और उसी समय वॉशरूम का उपयोग करते हैं।
एक भी वायरस नहीं फैला।
टाइफाइड या ई.कोली महामारी या कोई हैजा का प्रकोप नहीं।
यह है अतुल्य भारत!
कुछ देशों के अजीब खाने की आदतों को रोका जाना चाहिए।
गर्व है कि हम प्रकृति पूजक, प्रकृति प्रेमी, भारतीय संस्कृति और पुण्य भूमि में जन्में है।
अगर आप प्रकृति का सम्मान नहीं करेंगे तो प्रकृति आपको नष्ट कर देगी। सनातन धर्म और सनातन जीवन पद्धति ही दुनिया को बचा सकती है। सनातन जीवन शैली अपनाओ। दुनिया, प्रकृति और परिवार सब सुरक्षित रहेंगे।
जियो और जीने दो। सनातन संस्कृति में सबकी स्वीकार्यता है।
संकलनकर्ता
श्री गरुजी भू