कोरोना क्या कुछ सिखा रहा है ?

यह कोरोना क्या कुछ सिखाना चाहता है? आजकल सोशल मीडिया में लोग तस्वीरें पोस्ट कर रहे हैं। पहाडों पर बनें रिसोर्ट में शेर, चीते उतर आये है। सडकों पर नील गाय और हिरणों के विचरण की। गलियों में कोयल, चिडिया व अन्य पक्षियों की। लगता है  अभी  प्रदुषण में भारी कमी आयी है।

अब इसके दूसरे पक्ष पर विचार कीजिये। बडी विचित्र बात है अस्पतालों में OPD बंद है; इसके बाद भी इमरजेंसी में भीड़ नहीं है। तो बीमारियों में इतनी कमी कैसे आ गयी? माना, सड़कों पर गाड़ियां नहीं चल रही हैं; इसलिए सड़क दुर्घटना नहीं हो रही है। परन्तु कोई हार्ट अटैक, ब्रेन हेमरेज या हाइपरटेंशन जैसी समस्याएं भी नहीं आ रही हैं। ऐसा कैसे हो गया की कहीं से कोई शिकायत नहीं आ रही है की किसी का इलाज नहीं हो रहा है? अगर आकडों की मानें तो दिल्ली के निगमबोध घाट पर प्रतिदिन आने वाले शवों की संख्या में २४ प्रतिशत की कमी आयी है। क्या कोरोना वायरस ने सभी बिमारियों को मार दिया? नहीं, अब यह प्रश्न उठाता है कि मेडिकल पेशा के वाणिज्यीकरण में कोई बीमारी नहीं भी हो तो भी वहां के डॉक्टर उसे विकराल बना देते हैं।

कॉर्पोरेट हॉस्पिटल के उदभव के बाद तो संकट और गहरा हो गया है। अब मामूली सर्दी-खांसी में भी कई हज़ारों और शायद लाख का भी बिल बन जाना कोई हैरतअंगेज़ बात नहीं रह गयी है। अभी अधिकतर अस्पतालों में बेड खाली पड़े हैं। मैं डॉक्टरों की सेवा के महत्व को कम करने की कोशिश नहीं कर रहा हूँ। वरन् कोविद १९ में जो सेवा दे रहे हैं उन्हें मैं नमन करता हूँ, उनका योगदान अतुलनीय है। लेकिन अब भय कुछ अधिक ही हो गया है। बहुत सारी समस्याएं प्राईवेट डॉक्टरों के कारण भी है। इसके अलावा लोग घर का खाना खा रहे हैं, रेस्तराओं का नहीं। इससे भी फर्क पड़ता है। अगर PHED अपना काम ठीक से करे और लोगों को पीने का पानी शुद्ध मिले तो आधी बीमारियां ऐसे ही खत्म हो जाएंगी। कनाडा में लगभग ४-५ दशक पूर्व एक सर्वेक्षण हुआ था। वहां लम्बी अवधि के लिए डॉक्टरों की हड़ताल हुई थी। सर्वेक्षण में पाया गया कि इस दौरान मृत्यु दर में कमी आ गयी। स्वास्थ्य हमारी जीवनशैली का हिस्सा है। जो केवल डॉक्टरों पर निर्भर नहीं है। महत्मा गाँधी ने हिन्द स्वराज में लिखा है कि डॉक्टर कभी नहीं चाहेंगे की लोग स्वस्थ रहें; वकील कभी नहीं चाहेंगे कि आपसी विवाद समात्म हो। जो भी हो, भारत बन्द से परेशानियां हैं। जो अपरिहार्य हैं लेकिन इसने कुछ ज्ञानवर्धक एवं दिलचस्प अनुभव भी दिए हैं।

इसीलिए मैं कहता हूं कि कोरोना अवसर भी है इस अवसर को तलाश करो। अपने अंदर झांक कर देखो। योग प्राणायाम् करो और अपने अंतःकरण में झांक कर देखो कि क्या हम जो भी कुछ कर रहे हैं, वह ठीक कर रहे हैं। क्या वो उचित है? हमारे समाज में हमारे इन कामों का क्या प्रभाव पड़ेगा? आने वाले समय में इस वर्तमान संकट से उबरने के लिए हमें क्या-क्या करना होगा? ऐसे ही कई सारे प्रश्न अपने मन से पूछो। अपने आप से पूछो और उनके लिए आज से ही तैयारी करो। घर में बैठकर ही कुछ बडी योजना बनाओ, सटीक यथार्थवादी तैयारी करो। अपने आप को शांत करो। ध्यान लगाओ। ध्यान में सारी समस्याओं का समाधान आपको मिलेगा।

मुस्कान योग करो। मुस्कान योग करने से जीवन में नई चेतना आएगी। अपने आपसे बात करो। अपनी अन्तर्यामी आत्मा से बात करो। इससे शरीर को नई चेतना, नई ऊर्जा का श्रोत मिलेगा। आपके शरीर को स्वस्थ रखने में भी बहुत बड़ी मदद मिलेगी। अपने सभी बिगड़े कामों को बनाने में सफलता मिलेगी। मुस्कान योग एक ऐसा योग है जिससे आप अपने सभी कामों को अच्छे से कर सकते हैं। अपने मनचाहे काम का संचालन ठीक से कर सकते है। मुस्कान योग से हम सभी समस्याओं का समाधान निकाल सकते हैं। ये ही उचित समय है, अपने आपको जानने का पहचानने का। आत्मावलोकन करने का। आत्मविश्वास जगाने का। आत्म स्वावलंबन का सही समय है ये।

 

गुरुजी भू

मुस्कान योग के प्रणेता, प्रकृति प्रेमी, विश्व चिन्तक,

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