गांव वालों ने हमारे लिये बहुत किया है, हम भी कुछ करके ही जायेंगे।

राजस्थान के सीकर में एक गांव के प्राथमिक स्कूल में गुजरात मध्य प्रदेश इत्यादि जगहों से आए मजदूरों को क्वॉरेंटाइन में रखा गया था।

उन मजदूरों ने देखा कि कई वर्षो से स्कूल की पेंटिंग नहीं हुई है साफ सफाई नहीं हुई है। तब उन मजदूरों ने सरपंच के सामने पेंटिंग करने का प्रस्ताव रखा।

मजदूरों के आग्रह पर तुरन्त ही पेंट, चूना, ब्रश इत्यादि की व्यवस्था की। और उन मजदूरों ने अपने क्वॉरेंटाइन के दौरान पूरे स्कूल की शक्ल सूरत बदल दी।

इसके लिए उन्होंने कोई पैसा नहीं लिया बल्कि सरपंच से कहा कि हम यहां पर हैं मुफ्त में खा रहे हैं तब हमारा फर्ज है कि हम कुछ न कुछ इस स्कूल को दें।

यही अन्तर है। तोड़फोड़ करने देशद्रोहियों, थूकने के बजाय देश प्रेमियों ने स्कूल को नया ही बना दिया।

 

एक तरफ जमाती जो अपने आप को स्कॉलर भी कहते हैं। विद्वान भी कहते हैं। अपने आपको कुछ पढ़ा लिखा भी समझते हैं। समझते हैं या नहीं लेकिन है  वो कुछ गद्दार ही। जिन्होंने कुफर मचाया। सारे देश में कोरोना को फैलाने में उनकी बहुत बड़ी भूमिका है। अपने-अपने क्षेत्रों में कोरोना अपने ही लोगों में फैलाते रहे। फिर छुपते रहे। सरकार के प्रयत्नों के बाद भी हाथ नहीं आए। उसके बाद सरकार ने निवेदन किया, प्रार्थना की, पुलिस लगाई डॉ लगाए ढूंढने पर उसके बाद भी उनकी बदतमीजी इतनी बढ़ती गई कि उन्होंने डॉक्टरों को मारना शुरू किया। पत्थरबाजी की, नर्सो पर थूकना शुरू किया, नंगे घूमने लगे। इतना घिनौना कृत्य उन्होंने किया जिसकी कुछ हद नहीं। गिरावट के सारे मापदंड तोड़ दिए। छोड़ दिए।

 

लेकिन इस देश में वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे मजदूर सज्जन जिनको अच्छे से उस गांव वाले जानते भी नही थे। गांव वालों के बीच में गए गांव वालों ने अपने स्कूल में उनको शरण दी। स्कूल में रखा। खिलाया पिलाया। तभी वह मजदूर गांव वालों से बोले कि हम मजदूर लोग हैं। खाली नहीं बैठ सकते आप हमें खिला पिला रहे हैं। हमारा भी कर्तव्य बनता है, फर्ज बनता है कि हम भी आपके लिए कुछ करें। अतः आपसे निवेदन है कि हम इस स्कूल की रंगाई, पुताई करना चाहते हैं। अगर आप हमें सामान लाकर दो तो हम अपना काम भी करते रहें। हम यही रहे हैं। आपने हमें खाना खिलाया है। इस बीच में हम कोई मजदूरी आपसे नहीं लेंगे। इनकी महानता को देखकर वहां के सभी गांव वाले और सभी अधिकारी बड़े खुश हुए। इन मजदूरों के लिए सामान लाकर दिया। उन्होंने पूरा स्कूल चमका दिया। जिस स्कूल की पिछले सात-आठ वर्षों से पुताई रंगाई नहीं हुई थी। उसको आज उन्होंने पूरे तरीके से तैयार कर दिया है। उसको सुंदर बना दिया है। यह है भारत की संस्कृति। भारत का बहुत बड़ा हिस्सा ऐसा है जहां हमारे आज भी ऐसे लोग रहते हैं जो स्वाभिमानी हैं। और बहुत ही परिश्रमी हैं। इन सबको तरंग न्यूज़ सलाम करता है, सेल्यूट करता है, नमन करता है।

 

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