आखिर करोना जैसे वायरस का शरीर में प्रवेश रोकने की परियोजना पर काम शुरू?
राजेन्द्र सिंह जादौन
दुनियाभर में फैले करोना वायरस ने जैसे मानव के अस्तित्व को ही खतरे मै डाल दिया है। इसके कारण तेजी से हो रही मानव हानि कई दृष्टिकोणों से सोचने को मजबूर कर रही है। वायरस की प्रकृति के अत्यंत घातक होने के कारण मनुष्य अपना समस्त जीवन व्यापार त्याग कर अकेले घर में बैठने को मजबूर ही गया है। कुछ लोग इस परिघटना को युगांतरकारी मान रहे है। यह मान लिया गया है कि यह वायरस मनुष्य को अपनी जीवन शैली ही बदलने को मजबूर कर रहा है। लेकिन ऐसा सोच लेना हताशा का परिणाम है। असल में यह मान लिया जा रहा है कि इस वायरस के हमले पर विज्ञान निरुत्तर हो गया है। लेकिन इस हताशा से उबरने की जरूरत है।इसके साथ ही विज्ञान को समर्थन व सहयोग देने की जरूरत है। यह विचार किया गया था कि मानव के शरीर में प्रवेश कर जटिलताएं पैदा करते हुए जीवन छीन लेने वाले इस वायरस को अगर शरीर में प्रवेश करने पर निष्प्रभावी करने वाली वैक्सीन तैयार नहीं हो पा रही है तो इसे शरीर मै प्रवेश करने से रोकने वाला कोई रासायनिक उपाय ही खोजा जाए। यह विचार अपना काम करता दिखाई दे रहा है।
वायरस का प्रवेश शरीर मै रोकने के लिए कोई रासायनिक उपाय खोजने की दिशा में एक सकारात्मक समाचार हाल मै मिला है। इस समाचार के अनुसार वायरस को रोकने वाली जेल तैयार करने की परियोजना पर काम शुरू कर दिया गया है। अनुमान है कि यह जेल अगले नो मह में तैयार हो जाएगी। इस जेल को नाक में लगाकर वायरस का शरीर में प्रवेश रोका जा सकेगा। इस जेल के आ जाने पर मनुष्य को विक्स वेपोरब की तरह ही यह जेल नाक में मलनी होगी। यह जेल तैयार करने की परियोजना भारत के विज्ञान ओर प्रोद्योगिकी विभाग के अधीन आने वाली संस्था विज्ञान ओर इंजीनियरिग अनुसंधान बोर्ड ने यह परियोजना आईं आईं टी बॉम्बे को सौंपी है। विज्ञान ओर प्रोद्योगिकी विभाग इस परियोजना को आर्थिक मदद दे रहा है। जेल के नो माह में तैयार होने की उम्मीद है।
करोना नाशक वैक्सीन बनाने का काम भी करीब 39देशों में चल रहा है। इसके लिए 300शोध परियोजनाएं चल रही है। इनमे से साथ शोध परियोजनाएं चीन ओर 49अमरीका में चल रही है। इतनी शोध परियोजनाओं से सकारात्मक परिणामों की उम्मीद है। इस दौर मै विज्ञान की प्रगति के साथ वायरस जनित महामारियों की चुनौतियां भी बढ़ी है। इसलिए वायरसों के हमले रोकने के लिए वैज्ञानिक शोध ओर बढ़ाने की जरूरत है। इस दिशा मै पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह बड़ी पहल की है ओर केंद्र सरकार को पंजाब मै वायरोलॉजी शोध केंद्र खोलने का प्रस्ताव किया है। दुनिया में वायरसों के हमले मानव जीवन को संकट में डालते रहे है।पिछले तीन सौ सालो में हर सो साल के अंतराल से वायरस जनित महामारी आईं है। इस क्रम मै करोना जनित महामारी चोथी है। सभी वायरसों को खतम करने वाली दवा या वैक्सीन नहीं खोजी जा सकी है। एच आई वी का वायरस खतम करना संभव नहीं हुआ है। इसके शरीर में प्रवेश को रोकने के उपाय ही अपनाने पड़े है। जीवन शैली को बदल कर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की दिशा में भी सोचना होगा। लेकिन विज्ञान ने कई बड़ी चुनौती समाप्त भी की है। पोलियो के वायरस को दुनिया ने विदाई दे दी है। मलेरिया, चेचक ओर हैजा को समाप्त कर दिया गया है। वायरसों के हमलों से बचने में मनुष्य की रोग प्रतिरोधक शक्ति की बड़ी भूमिका है। इसके लिए देश में फैली कुपोषण को समस्या से छुटकारा जरूरी है। कुपोषण की विदाई हमारे राष्ट्र का मंत्र होना चाहिए।