घर-घर स्क्रीनिंग कर निभा रहीं अपना कर्तव्य

-घर परिवार की चिंता छोड़ कर रहीं मरीजों की सेवा
-नारायणपुर पीएचसी में तैनात सरोजनी की कहानी
भागलपुर, 9 मई
कोरोना संकट के इस दौर में स्वास्थ्य विभाग की टीम पूरी मुस्तैदी से डटी हुई है। कई कर्मी तो ऐसे हैं जो फरिश्ते से कम भूमिका नहीं निभा रहे हैं। ऐसे समय में जब ज्यादातर लोग कोरोना का नाम सुनते ही दूर भागने लगते हैं, वहीं नारायणपुर पीएचसी में तैनात नर्स सरोजनी कुमारी घर-घर जाकर लोगों की स्क्रीनिंग कर रही हैं। गांव-गांव जाकर लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक कर रही हैं। लोगों को समझा रही हैं कि स्क्रीनिंग कराने के क्या फायदे हैं। संदिग्धों की पहचान कर रही हैं। वह ऐसे संक्रमण काल में अन्य क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा स्रोत भी बनी हैं। इस दौरान अगर कोई दूसरी बीमारी के शिकार मिल जाते हैं तो उसे भी सही इलाज का सुझाव देकर अस्पताल में भर्ती करवा देती हैं।
सरोजनी कुमारी मार्च 2003 से नारायणपुर में नर्स के तौर पर ड्यूटी कर रही हैं। तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा है। अभी जब कोरोना संकट आया है, वह गांव-गांव जाकर लोगों का थर्मल स्क्रीनिंग कर रही हैं। अभी तक वह सैकड़ों लोगों की स्क्रीनिंग कर चुकी हैं। अगर किसी में एक से अधिक लक्षण मिलते हैं तो उसे एंबुलेंस की व्यवस्था कर नवगछिया भेज देती हैं। वहां पर मरीजों का सैंपल लिया जाता है। सरोजनी मुश्किल की इस घड़ी में सेवा करना अपना धर्म समझ रही हैं। उनका कहना है कि इस मुश्किल दौर में हमारा दायित्व बढ़ जाता है। ऐसे समय में न सिर्फ घर-घर जाकर लोगों को स्क्रीनिंग करना जरूरी है, बल्कि लोगों को जागरूक करना भी जरूरी है। खासकर गांव के लोगों में थोड़ी झिझक होती है। उन्हें समझाना पड़ता है कि आखिर स्क्रीनिंग क्यों जरूरी है। दरअसल, लोगों को जागरूक कर मनाना पड़ता है। साथ ही अगर कोई दूसरी बीमारी से पीड़ित रहता है तो उसकी भी उचित व्यवस्था कर देती हूं।
कई दिनों से घर नहीं गयीं:
सरोजनी कुमारी का घर नारायणपुर से लगभग 70 किलोमीटर दूर बेगूसराय जिले के बलिया में है। घर में पति और पांच बच्चे हैं। इनमें चार बेटियां। इतना बड़ा परिवार और इतनी बड़ी जिम्मेदारी के बावजूद वह काफी दिनों से घर नहीं गई हैं। वह दिनरात अपने काम में लगी हुई हैं। वह घर जाने के बारे में सोच भी नहीं रही हैं। पीएचसी प्रभारी डॉ. विजयेंद्र कुमार विद्यार्थी कहते हैं कोरोना वायरस की रोकथाम को लेकर स्वास्थ्य विभाग की टीम पिछले डेढ़ महीने से सक्रिय है। टीम में सरोजनी की भूमिका महत्वपूर्ण है। उसका लगन देखने लायक है। स दौरान एक बार भी सरोजनी ने काम को छोड़कर परिवार के पास जाने की इच्छा जाहिर नहीं की है। काम के प्रति सरोजनी का यह समर्पण दूसरों के लिए प्रेरणादायी है।
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