• पंचायत के लोगों को उपलब्ध करा रही स्वास्थ्य सेवा
• अपने बच्चों की देखभाल से पहले कर्तव्यों को दे रही तरजीह
भागलपुर, 11 मई
कोरोना संक्रमण काल में चिकित्सकों एवं नर्सों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण हो गयी है. ऐसे में 12 मई को मनाए जाने वाले विश्व नर्सिंग दिवस पर अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पित नर्सों को याद कर उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करने की जरूरत है. इस बार के विश्व नर्स दिवस की थीम ‘ नर्स: स्वास्थ्य के लिए विश्व का नेतृत्व करने की एक आवाज’ रखी गयी है. इस मौके पर जिले की खरीक प्रखंड की लोकमानपुर पंचायत की एएनएम दीक्षा कुमारी की कहानी भी उनकी कर्तव्यों के प्रति निष्ठा को दिखाती है, जो न सिर्फ मां की भूमिका निभा रही है बल्कि अपने कर्तव्य को बढ़-चढ़कर पूरा कर रही है। वह लोकमानपुर जैसे सुदूर पंचायत में स्वास्थ्य सेवा बहाल कर लोगों को स्वस्थ रख रही है। दीक्षा कुमारी लोगों के लिए किसी उम्मीद की तरह है। कोरोना के इस दौर में वह न सिर्फ घर-घर जाकर लोगों की स्क्रीनिंग कर रही है, बल्कि गांव के लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक भी कर रही हैं। उन्हें इससे बचने की सलाह भी दे रही हैं।
चुनौतियों को दे रही मात:
कोसी किनारे स्थित लोकमानपुर जाना किसी चुनौती से कम नहीं है। यहां जाने के लिए नाव ही एकमात्र जरिया है, इसके बावजूद एएनएम दीक्षा कुमारी समय से ड्यूटी पर पहुंचकर अपने काम में लग जाती हैं। उनका कहना है गांव के लोग बीमारी के प्रति ज्यादा सजग नहीं होते हैं, लेकिन जब उन्हें समझा देते हैं तो वे लोग सतर्कता बरतने के लिए तैयार हो जाते हैं। गांव के सीधे लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने से लगता है कि मैंने भी कुछ किया है।
लोगों तक पहुंचा रहीं स्वास्थ्य सेवाएं:
लोकमानपुर जैसे सुदूर पंचायत में स्वास्थ्य सेवाएं लोगों तक पहुंचाना आसान नहीं है। इस विपरीत परिस्थिति में दीक्षा कुमारी इस गांव के लिए एक फरिश्ता बनकर आईं। इनके प्रयास से गांव के लोगों को सभी तरह की सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही हैं। दीक्षा कुमारी असाधारण रूप से बेहतर स्वास्थ्य सलाह प्रदान करने के लिए समर्पित हैं। वह गर्व से कहती हैं यह उनका गांव है. अगर वह मदद करने से इंकार कर देगी तो कौन आकर ऐसी परिस्थिति में लोगों की सेवा करेगा। वह बताती हैं वह इस उम्मीद के साथ यहां आई थी कि वह अन्य एएनएम की तरह काम करने वाली है. लेकिन कुछ दिनों के बाद, उन्हें एहसास हुआ कि स्थानीय लोगों ने उन्हें अलग बना दिया है. आज उन्हें लोगों के कार्य करने पर भीतर से ख़ुशी का अनुभव होता है.
पति का भी मिल रहा है साथ:
दीक्षा कुमारी भागलपुर शहर के आदमपुर मोहल्ले में रहती हैं। इनकी एक छोटी से बच्ची है, जो प्ले स्कूल में पढ़ती है। वह कहती हैं बच्ची को घर पर छोड़कर ड्यूटी पर जाना आसान नहीं होता है। मां की ममता इसकी इजाजत नहीं देती, लेकिन दूसरी तरफ कर्तव्य है, जिससे मुंह नहीं मोड़ सकती। इस काम में पति भी उनका साथ देते हैं। दीक्षा कहती हैं, अगर वह ऐसा नहीं करते तो वह अपने काम को अच्छे से नहीं कर पाती।