उपवन गौ आधारित कृषि, ऋषि कृषि, वैदिक कृषि, जैविक कृषि, वैदिक ज्योतिष, वैदिक गणित, धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, वैदिक सनातन संस्कृति, वैदिक रसोईघर, अत्याधुनिक जीवनशैली, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति, गौपैथी, योग, प्राणायाम् का अत्याधुनिक शोध संस्थान है। अर्थात मानव के सर्वांगीण विकास का शोध केन्द्र।
उपवन गौ रक्षा के क्षेत्र में एक अद्भुत क्रांति का सूत्र है, जिसमें गाय को कटने से रोकना है। गौसंवर्धन करना है। गौकृषि व गौपैथी का लाभ जन मानस को बताना है। गाय तब तक कटने से नहीं रुकेगी जब तक किसान को गाय की उपयोगिता ना बता दी जाए। जैसे ही किसान को गाय की उपयोगिता पता चलेगी, गाय का असली मूल्य पता चलेगा, अत्यधिक मूल्यवान होने का पता चलेगा कि गाय से किसान कितना लाभ उठा सकता है तो किसान गाय को बेचना बन्द कर देगा। बिकेगी नही तो कटेगी भी नही। जब किसान को ये पता चलेगा कि गाय को किसान नहीं पाल रहा है, वरन गाय किसान को पालती है। गाय किसान के परिवार को पालती है। तब किसान की आंखें खुलेगी। किसान उस काम को भी करेगा जिससे गाय से वह अधिकतम लाभ उठा सकें। यह दुनिया लाभ और हानि की है। बिना दूध की गाय को बेचना किसान की मजबूरी है क्योंकि किसान गरीब है। किसान जब अपने बच्चों को ही नहीं पाल पाता, तो गाय को कैसे पाले? बूढ़ी गाय को कैसे पाले? जब तक गाय दूध देती है तब तक किसान उसका दोहन करता है। दूध लेता है और उसको चारा भी खिलाता है। उसकी सेवा भी करता है, लेकिन जब गाय दूध देना बंद कर देती है तो किसान पर वह बोझ बनने लगती है। उस बोझ को कम करने का सूत्र ही हमारे उपवन के अंतर्गत आता है।
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उपवन एक तीर्थ है, यह स्वास्थ्य चिकित्सा केंद्र है। एक प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र है। स्वास्थ्य पिकनिक द्वारा मानव कल्याण का केंद्र है। मानवीय मूल्यों को संजोने का केंद्र है। किसान और गाय दोनों की रक्षा का केंद्र है। मानव कल्याण का आधार है। हमारी भारतीय संस्कृति के वैज्ञानिक आधार का केंद्र है। हमारी मूलभूत जो विज्ञान है जो हमारी संस्कृति में निहित है और उसमें छिपा हुआ रहस्य है उसको उजागर करने का एकमात्र केंद्र है उपवन। जिसमें भारत की संस्कृति के शोध और अनुसंधान के उपरांत सभी विधाओं पर कार्य किए जा रहे हैं। इससे जुड़ने पर हम सब सौभाग्यशाली लोग हैं। यह इतना बड़ा विचार है जिससे सारे देश में आमूलचूल परिवर्तन होंगे। गाय की रक्षा होगी। सभी गौशालाएं संपन्न बनेंगे। किसान के पास भी अगर दो गाय भी हैं तो भी किसान उनसे लाभ उठाकर अपना परिवार पाल सकता है। कार्यक्रम के अन्तर्गत इसमें प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने जा रहे हैं। उसके अंतर्गत हम सबको बताएंगे कि हम कैसे गाय से लाभ उठा सकते हैं। गौमाता को हम किस तरीके से उत्पादक बना सकते हैं। उसको बहुपयोगी बना सकते हैं। गाय हमारी माता क्यों है? केवल कह देने मात्र से माता नहीं। गाय को माता हमारे ऋषि-मुनियों ने क्यों कहा ? गाय को ही क्यों माता कहा? यह समझने के लिए आपको प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षण शिविर में बताया जायेगा। अब हमें यह समझना चाहिए कि भारत में एक नई क्रांति कामधेनु उपवन के रूप में आ रही है। किसान की गौ-हरित-स्वास्थ्य क्रांति का समय आ चुका है। कामधेनु उपवन में नये विचारों पर बहुआयामी, विविधतापूर्ण शोध, अनुसंधान कर सकेंगे। आपको संपन्नता की ओर कैसे ले जाएं? इस पर वहां चर्चा होगी। व्यक्ति अपने कार्य करते हुए अतिरिक्त आय कैसे प्राप्त करें? एक्स्ट्रा इनकम प्राप्त करना सीख लेगा तो गाय उनपर कभी बोझ नहीं बनेगी। गाय के लिए मर मिटने वाले भारतवासी गौ रक्षा के लिए सदैव तैयार रहते हैं। हम गाय को केवल दान पर आधारित व्यवस्था ना समझें। हमारा परम कर्तव्य है कि गाय को एक ऐसी व्यवस्था में जोड़ें जो कि विश्व की अलग तरह की व्यवस्था हो। किसान को जैविक कृषि द्वारा प्रकृति से जोड़कर हम गाय को देखेंगे तो समाज का उत्थान होगा। गाय हमारा उत्थान करती है। गाय हमारी माता इसलिए है क्योंकि वह दूध के साथ साथ स्वास्थ्य एवं औषधियों का भी भंडार होती है। गाय हमको औषधियां भी देती है। समस्त पृथ्वी पर गाय एक मात्र ऐसा प्राणी है जो मानव को सर्वांगीण विकास में सहायता करती है। पूरे विश्व में इससे कल्याणकारी प्राणी कोई भी नहीं है।