पश्चिम के आविष्कारक महा चोर थे उन्होंने भारतीय विज्ञान विद्या की चोरी की थी

हम एक बार फिर लिखना चाहते है कि पश्चिम के आविष्कारक एक नम्बर के चोर थे और भारतीय विज्ञान विद्या की चोरी की थी ।
बिजली का आविष्कार : महर्षि अगस्त्य एक वैदिक ऋषि थे।
ऐसा संसार में प्रसिद्ध है कि बिजली का आविष्कार थॉमस एडिसन ने किया था, लेकिन एडिसन अपनी एक किताब में लिखता हैं कि एक रात मैं संस्कृत का एक वाक्य पढ़ते-पढ़ते सो गया। उस रात मुझे स्वप्न में संस्कृत के उस वचन का अर्थ और रहस्य समझ में आया, जिससे मुझे मदद मिली। इसी से सिद्ध होता है कि उसने संस्कृत भाषा से अनुचित लाभ उठाया और अपना नाम प्रसिद्ध कराया ।
महर्षि अगस्त्य राजा दशरथ के राजगुरु थे। इनकी गणना सप्तर्षियों में की जाती है। ऋषि अगस्त्य ने ‘अगस्त्य संहिता’ नामक ग्रंथ की रचना की। आश्चर्यजनक रूप से इस ग्रंथ में विद्युत उत्पादन से संबंधित सूत्र मिलते हैं-
“संस्थाप्य मृण्मये पात्रे, ताम्रपत्रं सुसंस्कृतम्‌।
छादयेच्छिखिग्रीवेण, चार्दाभि: काष्ठापांसुभि:॥
दस्तालोष्टो निधात्वय: पारदाच्छादितस्तत:।
संयोगाज्जायते तेजो मित्रावरुणसंज्ञितम्‌॥
-अगस्त्य संहिता
अर्थात : एक मिट्टी का पात्र लें, उसमें ताम्र पट्टिका (Copper Sheet) डालें तथा शिखिग्रीवा (Copper sulphate) डालें, फिर बीच में गीली काष्ट पांसु (wet saw dust) लगाएं, ऊपर पारा (mercury‌) तथा दस्त लोष्ट (Zinc) डालें, फिर तारों को मिलाएंगे तो उससे मित्रावरुणशक्ति (Electricity) का उदय होगा।
अगस्त्य संहिता में विद्युत का उपयोग इलेक्ट्रोप्लेटिंग (Electroplating) के लिए करने का भी विवरण मिलता है। उन्होंने बैटरी द्वारा तांबे या सोने या चांदी पर पॉलिश चढ़ाने की विधि निकाली अत: अगस्त्य को कुंभोद्भव (Battery Bone) कहते हैं।

साभार
योगाचार्य डॉ. प्रवीण कुमार शास्त्री

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