नाम लिया दलित-मुश्लिम गठजोड़ का, मार डाला एक ही दिन मे 10 हजार दलितो को

मुझे भी गुमनामी मे मरना पड़ा ।
:- योगेन्द्रनाथ मंडल (दलित)
प्रथम कानुनमंत्री, पाकिस्तान

योगेन्द्रनाथ मंडल vs भीमराव अम्बेडकर

बाबासाहेब से भी बड़े दलित नेता क्योंकि 1945-46 में जब संविधान-निर्माण समिति के लिए चुनाव हुए तो बाबासाहेब बंबई से चुनाव हारे . जोगेंद्र नाथ मंडल ने बाबा साहेब को बंगाल के कोटे से जितवाया.

1947 से पहले अम्बेडकर जी की पार्टी के एक नेता जोगेन्द्रनाथ मंडल ने SCF(SCHEDULE CAST FEDERATION) और मुस्लिम लीग में समझौता किया, हमें भारत विखंडित करके दलितों और मुसलमानों के लिय पाकिस्तानकी योजना की।

जोगेंद्र नाथ मंडल ने भारत विभाजन के वक्त अपने दलित अनुयायियों को पाकिस्तान के पक्ष में वोट करने कहा

बाबा साहब ने जोगेन्द्रनाथ मंडल से किनारा कर लिया. वह भारत के कानून मंत्री बने. मंडल दलितों की एक बड़ी संख्या लेकर पाकिस्तान गए. जोगेंद्र नाथ मंडल पाकिस्तान के पहले कानून मंत्री

जोगेंद्र नाथ मंडल ने सोचा अब पाकिस्तान बन गया है, दलितों के मज़े होंगे. पर हुआ उल्टा. संगठित आक्रामक समाज दलितों के धर्मांतरण पर तुल गया.

दलितों को मिलने वाले सभी प्रकार के भत्ते बंद कर दिए.

दलितों के मुसलमान किरायेदारों ने दलितों को किराया देना बंद कर दिया.

दलितों की लड़कियां मुसलमान आये दिन उठा के ले जाते. आये दिन दंगे होने लगे.

अब मुस्लिम लीग के लिए हर गैर-मुस्लिम काफिर है. 30% दलित हिन्दू आबादी की जान-माल-इज्जत खतरे मे थी.

पाकिस्तान में सिर्फ एक दिन 20 फरवरी 1950 को 10,000 से ऊपर दलित मारे गए. ये सब बातें किसी संघी किताब में नहीं बल्कि खुद जोगेंद्र नाथ मंडल ने अपने इस्तीफे में लिखी हैं.

मंडल अपने दलितों को पाकिस्तान में छोड़ के भाग निकले और पश्चिम बंगाल में आ 5 अक्टूबर 1968 मे गुमनामी में मर गये ।

एक तरफ दलित-मुस्लिम गठजोड़ मण्डल का शर्मनाक अंत और दूसरी तरफ बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को हैदराबाद निज़ाम और इस्लामिक संस्थानों ने मुसलमान बन जाने के लिए अरबों रुपयों तथा तमाम तरह के पदों का लालच दिया लेकिन उन्होंने ठुकरा दिया.

उनका कहना था कि हम इसी भारतीय भूमि से निकली हुई सनातन चेतना से जुड़े रहेंगे. राष्ट्र को काटने-तोड़ने का काम बिल्कुल नहीं करेंगे.

मंडल की वजह से बंगाल का बड़ा हिस्सा बांग्लादेश जहाँ हिन्दू 72.1% था. आज वहां केवल 6.3 परसेंट हिंदू बचा हैReturn to India (1950)Edit

In 1950, Mandal came back to India after submitting his resignation to Liaquat Ali Khan, the then Prime Minister of Pakistan, citing the perceived anti-Hindubias of Pakistani administration.[2][3][4] He mentioned incidents related to social injustice and biased attitude towards non-Muslim minorities in his resignation letter.[8]

पुर्वग्रह से आप मनाना नही चाहते तो ये बात अलग है। जो बाते बतायी गयी अप्ने resignation letter मे लिखा है और जानकारी कब कहा क्या थे।

 

इस व्यक्ति को जानने के लिए चलते हैं, साल 1950 के दौर के पाकिस्तान में. इस समय लियाकत अली खान वहां पीएम हैं और उनकी टेबल पर एक इस्तीफा रखा है. खान उस इस्तीफे को खोलते हैं और उसे पढ़ते हैं. इसमें जो लिखा है, उसके शब्द कुछ यूं है. ‘जनाब, आज की तारीख में पाकिस्तान बने हुए तकरीबन ढाई साल हो चुके हैं. इतने कम वक्त में ही यह साफ नजर आ रहा है कि जिन्होंने पाकिस्तान के बनने में साथ दिया, उनके साथ ही धोखा हो रहा है।

 

मुल्क में वह दौर चल पड़ा है कि हिंदुओं के साथ लूटमार हो रही है और बलात्कार के मामलात भी बढ़ रहे हैं. अफसोस है कि गुहार के बावजूद कायदा-ओ-कानून इस ओर नजर नहीं कर रहा है. जिसे अपना घर समझा वह अब रहने लायक नहीं. लिहाजा मैं जोगेंद्र नाथ मंडल अपने श्रम और कानून मंत्री के पद से इस्तीफा देता हूं.

ये लो wikipedia की लिंक
https://en.m.wikipedia.org/wiki/Jogendra_Nath_Mandal

 

साभार

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