पहली बार वृन्दावन कुम्भ के बाद कृष्ण क्रीड़ा अतिशीघ्र ही विश्व स्तर पर खेला जायेगा – गुरुजी भू

मेरठ विश्वविद्यालय में वृक्षारोपण से कृष्ण क्रीड़ा टोली चयन का शुभारम्भ

विश्व में पहली बार होने जा रहे कृष्ण क्रीडा नाम के खेल हेतु खिलाडियों का चयन किया जा रहा है। इस चयन प्रक्रिया के लिए विश्व मित्र परिवार के संस्थापक एवं कृष्ण क्रीड़ा के रचियेता प्रकृति ऋषि श्री गुरुजी भू  संस्था की महासचिव श्रीमती भावना त्यागी भारतीय के साथ स्वयं मेरठ चलकर आये। इस महान एतिहासिक कार्य को सफलता के शिखर तक पहुंचाने हेतु आचार्य सचिन  शिवानंद को सर्व सम्मति से मेरठ की टोली गठित करने का कार्य सौपा गया है। बडौत की टोली श्रीमती इन्दु सिंह गठित करेगी। इसी तरह हर ब्लॉक में टोली बनेगी। उनको प्रशिक्षण दिया जायेगा।
मेरठ विश्वविद्यालय के संस्कृति एवं योग विभाग के डॉ वाचस्पति मिश्र, डॉ ओमपाम शास्त्री, डॉ नरेन्द्र कुमार, डॉ नवज्योति सिद्दु के साथ वृक्षारोपण करके कृष्ण क्रीड़ा की मेरठ की टोली का चयन प्रारंभ हो गया है।
इसमें अन्जु, तुशीका, सुभम, विश्वदेव, विपिन, कोनिका, प्रियंका, कदिति, हिमानी, सोनाक्षी, नीता, रेशु विद्यार्थियों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया।
कृष्ण क्रीड़ा के संस्थापक श्री गुरुजी भू ने बताया कि विश्व के नए अद्भुत रोमांचक, मनोरंजक, स्वास्थ के लिए लाभप्रद, युवाओं में अध्यात्म और संस्कृति का जागरण करने वाला ये खेल पहली बार भगवान श्री कृष्ण की जन्म स्थली वृंदावन कुम्भ में खेला जाएगा।
इस महान कार्य का शुभारंभ वृंदावन में होगा लेकिन टोली चयन का कार्यक्रम सभी छोटे बड़े नगरों और गांव से ब्लॉक स्तर पर किया जाना है। विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय, तकनीकी महाविद्यालय, चिकित्सा महाविद्यालय आदि की टोलियां गठित की जाएगी। इसमें सभी की सहभागिता होगी।
महिलाओं की टोली भी चयन की जाएगी। गुरुजी भू के अनुसार इस खेल से लिंग भेद का भेदभाव नहीं होगा। इसमें कोई भी मानव खेल सकेगा अपनी टोली बना सकेगा। टोलियों का आपस में खेल करा सकेगा। जितनी अधिक खेल प्रतियोगिता होगी युवाओं को इस खेल में अधिक जुडाव होगा। आनंद भी आएगा, मनोरंजन मिलेगा, स्वास्थ बनेगा। अपनी संस्कृति का ज्ञान बढ़ेगा और आय के साधन भी बढ़ेंगे।

प्रति व्यक्ति, प्रतिवर्ष, हर उत्सव एक वृक्ष।

 खेल के प्रशिक्षण के समय विशेष ध्यान यह रखा जाएगा कि खिलाड़ियों को जो प्रशिक्षण मिले उसमें मानवीय मूल्यों के साथ खेल भावना का प्रभाव अवश्य हो। साथ ही अध्यात्मिक प्रवृति, सात्विक प्रवृत्ति हो। प्रकृति, संस्कृति, पर्यावरण सरंक्षण, प्रतिवर्ष वृक्षारोपण अनिवार्य होगा।
खिलाडियों को योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा का भी प्रशिक्षण साथ साथ दिया जाएगा। मांसाहारी खिलाड़ियों को टोली में स्थान नहीं मिलेगा। शुद्ध शाकाहारी खिलाड़ी ही इसमें खेल सकेंगे। किसी भी तरह का व्यसन करना टोली के सदस्यों को प्रतिबन्धित होगा। यह खेल चमड़े की गेंद से नहीं खेला जाएगा। इसलिए इसके लिए विशेष गेंद की व्यवस्था की जा रही है।
सबसे बडी बात ये है कि किसी भी खिलाड़ी को शराब, गुटका, नशा व्यसन आदि का विज्ञापन करने का अधिकार नहीं होगा।
डॉ वाचस्पति मिश्र के साथ गुरुजी भू, कृष्ण क्रीड़ा की टोली
Guruji Bhu, Meerut me Vriksharopan karte
डॉ नवज्योति सिद्दु कृष्ण क्रीडा विद्यार्थियों के साथ वृक्षारोपण करते हुए
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