राम मंदिर को लेकर यूपी में सियासत उफान पर है. रोजाना नए बयान सामने आ रहे हैं. 25 नवंबर को होने वाले कार्यक्रमों के मद्देनजर देश भर की निगाहें भी यूपी और अयोध्या पर हैं. अभी नहीं तो कभी नहीं की तर्ज पर बयान दिए जा रहे हैं, कानून लाने की मांग की जा रही है और सुप्रीम कोर्ट तक पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. ऐसे में सवाल ये है कि क्या राम मंदिर का निर्माण चुनाव से पहले शुरू हो जाएगा? रास्ता बातचीत से निकलेगा या कानून से? या फिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से?
2019 के लोकसभा चुनाव बहुत दूर नहीं रह गए हैं. विपक्ष का आरोप है कि चुनावों से पहले ही बीजेपी को राम मंदिर की याद आती है. अखिलेश यादव से लेकर मायावती तक और कांग्रेस से लेकर रालोद तक बीजेपी पर सवाल उठे चुके हैं. वहीं बीजेपी का कहना है कि राम मंदिर कोई चुनावी मुद्दा नहीं, लोगों की आस्था का मुद्दा है.
बीजेपी के यूपी अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे ने कहा कि बीजेपी देश की एकमात्र पार्टी है, जिसने 1989 में अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक (पालमपुर, हिमाचल प्रदेश) में राजनीतिक प्रस्ताव पारित कर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का समर्थन किया था. बीजेपी उस प्रस्ताव पर मजबूती से कायम है. बीजेपी के लिए राम मंदिर आस्था और भक्ति का मामला है.