विपक्ष के नेता श्री विजेन्द्र गुप्ता ने आज संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री तथा दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष अरविन्द केजरीवाल की नाक के नीचे बोर्ड में भारी भ्रष्टाचार और अनियमिततायें व्याप्त है। उन्होंने दिल्ली जल बोर्ड में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर अनेक संगीन आरोप लगाते हुये उपराज्यपाल से मांग करी कि इसकी भ्रष्टाचार निरोधक शाखा से विस्तृत जांच करवाई जाये। केजरीवाल ने जब से दिल्ली जल बोर्ड का पदभार संभाला है, तब से बोर्ड को न केवल ऐतिहासिक घाटा हो रहा है अपितु बोर्ड में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। टैंकर माफिया का अभी भी बोलबाला है और टैंकरों को जीपीएस से जानबूझकर नहीं जोड़ा जा रहा। प्राइवेट स्कूलों को रेन वाटर हार्वेस्टिंग संबंधी अनापत्ति प्रमाणपत्र देने में भारी भ्रष्टाचार किया जा रहा है। आम आदमी पार्टी के घोषणापत्र में दिल्ली में पानी संबंधी वायदे पूरे नहीं किये गये हैं। जैसे जैसे गर्मी बढ़ेगी वैसे-वैसे दिल्लीवासियों को पानी की सप्लाई में कमी आयेगी। अनधिकृत कालोनियों, पुनर्वास कालोनियों, ग्रामीण इलाके और दूरदराज के क्षेत्र विशेष रूप से प्रभावित होने जा रहे हैं। पत्रकार सम्मेलन में मीडिया विभाग के सह-प्रभारी श्री नीलकांत बक्शी, मीडिया प्रमुख श्री अशोक गोयल देवराहा एवं टीवी पेनलिस्ट श्रीमती चारू प्रज्ञा भी उपस्थित थे।
श्री विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 16 नवम्बर, 2017 को शिक्षण संस्थाओं के लिये यह अनिवार्य किया था कि वे अपने परिसरों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली स्थापित करें। इसके क्रिन्यावयन की जिम्मेदारी दिल्ली जल बोर्ड को सौंपी गई। इसको लेकर बोर्ड के अधिकारी भारी भ्रष्टाचार कर रहे हैं। शिक्षण संस्थाओं का शोषण किया जा रहा है। बोर्ड के अधिकारियों द्वारा अनापत्ति प्रमाणपत्र देने में भारी हेराफेरी की जा रही है। इसके कारण अनेक स्कूल भारी परेशानी का सामना कर रहे हैं।
नेता विपक्ष ने कहा कि जल बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार सप्लाई चेन में 47 प्रतिशत पानी अपने गंतव्य तक नहीं पहुंचता। उन्होंने कहा कि यह एक अत्यंत गंभीर मामला है। इसके लिये टैंकर माफिया का बड़ा हाथ है। वे जगह जगह दिल्ली जल बोर्ड के पानी की चोरी कर टैंकर भर रहे हैं। सरकार उनके भ्रष्टाचार पर नकेल कसने में नाकाम रही है।
नेता विपक्ष ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड में भारी भ्रष्टाचार व्याप्त है। परंतु मुख्यमंत्री केजरीवाल जो कि सीधे तौर पर दिल्ली जल बोर्ड के संचालन के लिये जिम्मेदार हैं भ्रष्टाचार पर नकेल कसने में असफल रहे हैं। जल बोर्ड के विभिन्न डिवीजनों में फर्जी बिलों के आधार पर करोड़ों रूपये की हेराफेरी की जा रही है। पुरानी वस्तुओं को पेंट इत्यादि कराकर नई खरीद के रूप में पेश किया जा रहा है। स्वीकृत क्वालिटी से इतर घटिया किस्म का माल प्राप्त किया जा रहा है। फर्जी बिलों और वाउचरों के आधार पर करोड़ों रूपयों का गबन किया जा रहा है। टेंडर की शर्तें पूरी न कर पाने केे बावजूद भी धड़ल्ले से भुगतान किया गया।
श्री विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड के सभी डिवीजन उपरोक्त भ्रष्टाचार से ग्रस्त हैं। उन्होंने विशेषकर बोर्ड की एमयू ब्लाक, पीतमपुरा स्थित अधिशासी अभियंता की डिवीजन की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि इस कार्यालय में मार्च के अंत में 5 करोड़ रूपये की बोगस पेमेंट की गई है। इस विषय में ंकेजरीवाल को लिखित शिकायत भी गई तथा भुगतान रोकने के लिये अनुरोध किया गया। परंतु मुख्यमंत्री ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया और 31 मार्च तक सारे वर्क आर्डरों का भुगतान कर दिया गया। उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल से इसकी शिकायत की गई है।
श्री विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि उपरोक्त डिवीजन में विभिन्न वर्क आर्डरों को लेकर भारी गोलमाल है। इस वर्ष 20 फरवरी को सुरक्षा उपकरण खरीदने के लिये वर्क आर्डर नं. 351 जारी किया गया परंतु ये वस्तुऐं खरीदने के बजाय पुरानी वस्तुओं को नई वस्तुओं के रूप में एंट्री कर शत प्रतिशत राशि का गबन कर लिया गया। 18 फरवरी को जारी किया गया वर्क आर्डर नं. 334 में कुछ वस्तुओं को बदला जाना था परंतु इसी वस्तु को नहीं बदला गया पुरानी वस्तुओं पर पेंट कर उन्हें नया रूप देकर फर्जी बिलों के माध्यम से भुगतान कर दिया गया। 28 फरवरी को वर्क आर्डर नं. 383 के माध्यम से दिल्ली जल बोर्ड के अपने बीपीएस तथा क्षेत्रीय राजस्व अधिकारी के कार्यालय में बिजली के काम का आर्डर दिया गया परंतु सूचीबद्ध कार्यों में से 20 प्रतिशत कार्यों के उपरांत ही भुगतान कर दिया गया। डेली वेज के हिसाब से लेबर को किराये पर लेने में भारी हेराफेरी की गई।
नेता विपक्ष ने कहा कि यह तो अनियमितताओं ओर भ्रष्टाचार के हिमखंड की नोंक मात्र ही है। डिवीजनों में हेराफेरी तथा वर्क आर्डरों में अनियमितताओं की लिस्ट बहुत लंबी चैड़ी है जिसका जिक्र यहां विस्तृत रूप से नहीं किया जा सकता। उन्होंने मांग करी कि इन सभी की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा द्वारा जांच की जाये तो फर्जी वर्क आर्डरों, बिलों तथा वाउचरों के माध्यम से करोड़ो रूपयों के गबन की बात सामने आयेगी। इसके कारण सरकारी राजस्व को भारी हानि हुई है।
श्री विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड दिल्ली में जल आपूर्ति को बेहतर बनाने के लिए विदेशों से मिलने वाली करोड़ो रूपए की सहायता राशि को प्रयोग करने में विफल रहा है। एशियन डब्लपमेंट बैंक ने इस काम के लिए बोर्ड को 2200 करोड़ रूपए स्वीकृत किये। इस आबंटन का सदुपयोग नहीं किया गया। जापान इंटरनेशनल काॅपरेशन एजेंसी ने चन्द्राबल वाटर ट्रीटमेंट के अंतर्गत परियोजना स्थापित करने के लिए 2000 करोड़ रूपए की सहायता राशि स्वीकृत की। इसका भी सदुपयोग नहीं हुआ।
विपक्ष के नेता ने कहा कि सरकार ने वादा किया था कि वह हर काॅलोनी में जल बोर्ड की पाइप लाइन से पानी पहुंचायेगी पर यह दूर का ढोल ही बनकर रह गया। आज भी झुग्गी-झोपड़ी बस्तियों, ग्रामीण इलाकों, अनाधिकृत काॅलोनियों आदि में रहने वाले निवासी जल बोर्ड के पानी से महरूम हैं। गर्मी का पदार्पण होते ही शहर में जगह-जगह टैंकरों से पानी लेने को लेकर सिर फुटब्वल शुरू हो गई है।