एकादशी का व्रत रखने से सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं और मिलती है मोक्ष ये कहना है देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुदगल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल का। ज्योतिष आचार्य बताते हैं कि उत्पन्ना एकादशी तिथि की शुरुआत 25 नवंबर की रात 02 बजकर 38 मिनट से हो रही है और समापन अगले दिन यानी 26 नवंबर की रात 03 बजकर 12 मिनट पर हो रहा है। उदयातिथि के अनुसार, 26 नवंबर को ही उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
एक वर्ष में कुल 24 एकादशी का व्रत रखा जाता है। कहा जाता है कि सनातन लोगों को एकादशी का व्रत अवश्य रखना चाहिए। एकादशी का व्रत रखने से सभी प्रकार के कष्ट समाप्त हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मार्गशीर्ष महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान विष्णु के शरीर से एकादशी का जन्म हुआ था, इसलिए उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है।
एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा आराधना अवश्य करनी चाहिए और सत्यनारायण कथा सुनने से पापों से मुक्ति मिल जाती है और घर में सुख समृद्धि की वृद्धि होती है।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस उत्पन्ना एकादशी के दिन बेहद शुभ योगों का निर्माण होने जा रहा है। इस दिन हस्ता नक्षत्र के साथ प्रीति और आयुष्मान योग भी बन रहे हैं। ऐसे में इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा राम करने से अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा अवश्य करनी चाहिए, क्योंकि एकादशी का जन्म भगवान विष्णु के शरीर से ही हुआ था। भगवान विष्णु की पूजा आराधना करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। पूजा आराधना करते वक्त ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मन्त्र का जाप करें’। इस दिन भगवान विष्णु के भोग में तुलसी का पत्ता अवश्य डालें। बिना तुलसी का पत्ता डालें भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।