चैत्र नवरात्र 2019

चैत्र नवरात्र 2019

नवरात्रि हिन्दू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक है जिसे सभी क्षेत्रों में बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है। नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि पर्व में माँ दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों का पूजन किया जाता है। वैसे तो साल में चार बार चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ के महीनों में नवरात्रि आती है लेकिन उनमें से केवल चैत्र और आश्विन माह की नवरात्रि ही बड़े स्तर पर मनाई जाती है। चैत्र और आश्विन में से भी आश्विन की नवरात्रि को महानवरात्र कहा जाता है। चैत्र शुक्ल पक्ष के नवरात्रों का आरंभ वर्ष 2019 में 6 अप्रैल के दिन से होगा. इसी दिन से हिंदु नवसंवत्सर अर्थात नए साल का आरंभ भी होता है. नवरात्र के नौ दिनों में देवी की पूजा के अलावा दुर्गा पाठ, पुराण पाठ, रामायण, सुखसागर, गीता, दुर्गा सप्तशती की आदि पाठ श्रद्धा से सहित किए जाते हैं.

चैत्र नवरात्रि में माँ दुर्गा की पूजा- वसंत ऋतू में होने के कारण चैत्र नवरात्रि को वसंत नवरात्र भी कहा जाता है। आश्विन नवरात्रि की तरह चैत्र नवरात्रि में भी माँ दुर्गा के शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री स्वरुप की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करके देवी का आवाहन किया जाता है और नौ दिनों तक उपवास रख माँ दुर्गा की पूजा की जाती है। नौवें दिन कन्या पूजन करके व्रत का पारण किया जाता है।  दुर्गा जी के नौ रूपों की पूजा का विधान हिंदु धर्म शास्त्रों में प्रमुख रूप से प्राप्त होता है. ब्रह्माण्ड की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण दुर्गा कहा गया है.

चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापना- शास्त्रों के अनुसार, देवी दुर्गा के पूजन की शुरुवात कलश स्थापना से की जाती है। माना जाता है, नवरात्रि कलश स्थापना सदैव शुभ और उचित मुहूर्त में ही करना चाहिए। ऐसा करने से पूजा सफल होती है और माँ भगवती की कृपा बनी रहती है। नवरात्रि कलश स्थापना हमेशा नवरात्रि प्रारंभ होने से पूर्व शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए। गलत समय पर या गलत मुहूर्त में कलश स्थापना करना शुभ नहीं माना जाता है। इसके अलावा रात्रि समय और अमावस्या में कलश स्थापना करना भी शुभ नहीं होता। कलश स्थापना करने का सबसे उचित समय तब होता है जब प्रतिपदा तिथि प्रबल हो। अगर किसी कारणवश ऐसा शुभ मुहूर्त नहीं मिल पा रहा हो तो अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना की जा सकती है। शास्त्रों के अनुसार, कलश स्थापना दिन के मध्याह्न में जब प्रतिपदा तिथि प्रबल हो तभी करनी चाहिए। यहाँ हम चैत्र नवरात्रि 2019 कलश स्थापना मुहूर्त दे रहे हैं। शारदीय नवरात्र में इन सभी नव दुर्गाओं को प्रतिपदा से लेकर नवमी तक पूजा जाता है जो इस प्रकार हैं.

शैलपुत्री- दुर्गाजी का प्रथम स्वरूप शैलपुत्री है, यह नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं. शारदीय नवरात्र का पहला दिन शैल पुत्री की पूजा की जाती है, पहला नवरात्र, प्रथमा तिथि, 6 अप्रैल 2019 को होगा. पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा गया है,

ब्रह्मचारिणी –नवदुर्गाओं में दुर्गा का द्वितीय रूप ब्रह्मचारिणी का है. दूसरा नवरात्र, द्वितीया तिथि 7 अप्रैल 2019, के दिन रहेगा. सफेद वस्त्र में लिपटी हुई, एक हाथ में अष्टदल की माला और दूसरे हाथ में कमंडल धारण किए हुए हैं, तप का आचरण करने के कारण इन्हें ब्रह्मचारिणी कहा जाता है.

चंद्रघंटा –माँ दुर्गा जी की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है शक्ति के रूप में विराजमान, मस्तक पर चंद्रमा को धारण किए हुए है. देवी चंद्रघंटा को नवरात्र के तीसरे दिन पूजा जाता है. तीसरा नवरात्र, तृतीय तिथि, 8 अप्रैल 2019 के दिन रहेगा.

कूष्माण्डा-मां दुर्गा की चौथी शक्ति कूष्माण्डा है ब्रह्माण को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्माण्डा कहा गया. चौथा नवरात्र , चतुर्थी तिथि, 9 अप्रैल 2019, के दिन रहेगा. मां कूष्मांडा अपने भक्तों को सभी संकट, रोग, शोक का नाश करके आयु, यश, बुद्धि प्रदान करती हैं.

स्कंदमाता -दुर्गा की पांचवीं शक्ति को स्कंदमाता कहा गया है, कार्तिकेय (स्कंद) की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है. पांचवां नवरात्र , पंचमी तिथि , 10 अप्रैल 2019, दिन को रहेगा.

कात्यायनी –दुर्गा के छटे स्वरूप का नाम कात्यायनी देवी है, महर्षि कात्यायन के घर पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण इन्हें कात्यायनी कहा गया है, छठा नवरात्रा, षष्ठी तिथि, 11 अप्रैल 2019, दिन को होगा. मां कात्यायनी की पूजा भक्ति करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है.

कालरात्रि –देवी दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि है मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में भयानक है, परंतु सदैव शुभ फल देने वाला होता है जिस कारण इन्हें शुभंकरी भी कहा जाता है. सातवां नवरात्र, सप्तमी तिथि ,12 अप्रैल 2019, को रहेगी.

महागौरी-मां दुर्गा की आठवीं शक्ति महागौरी हैं. इनकी शक्ति अमोघ और शीघ्र फलदायिनी है. कठोर तपस्या द्वारा इन्होंने पार्वती रूप में भगवान शिव को पाया. आठवां नवरात्र, अष्टमी तिथि, 13 अप्रैल 2019, दिन तक होगी. इनकी भक्ति से भक्त के समस्त पाप विनष्ट हो जाते हैं.

सिद्धिदात्री -देवी दुर्गा का नौवां रूप सिद्धियात्री है, नौवां नवरात्र, नवमी तिथि , 14 अप्रैल 2019, को रहेगी. सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी सिद्धिदात्री भक्तों की हमेशा रक्षा करती हैं

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