सूअर घृणित नहीं बल्कि चमत्कारी है। मेडिकल साइंस ने सिद्ध किया

अमेरिका में डॉक्टरों की एक टीम ने चमत्कार कर दिखाया है. इस टीम ने एक 57 वर्षीय शख्स में जेनेटिकली मॉडिफाइड सूअर का दिल सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया है। मेडिकल इतिहास में यह पहली बार है और माना जा रहा है कि इससे अंगदान की कमी से निपटने में मदद मिलेगी।

इससे पहले भी कई जटिल मेडिकल केस में मरीज को सूअर के अंग लगाए जा चुके हैं। लंबे वक्त से ऐसा माना जा रहा है कि सूअर के अंगों को जेनिटिकली मॉडिफाई करके मानव शरीर के लिए उपयुक्त बनाया जा सकता है।

चीन में वैज्ञानिकों ने सूअरों और मनुष्यों के जीन को मिलाकर एक नई तरह की त्वचा विकसित की है, जिसे इंसानों पर लगाया जा सकता है। वैज्ञानिकों की इस खोज को जलने और एसिड हमलों के पीड़ितों के इलाज के लिए एक मील का पत्थर माना जा रहा है। म्यूटेंट ‘स्किन’ उस दिशा में एक और कदम है, जिसमें सूअरों को उन अंगों के साथ तैयार किया जा रहा है जिन्हें इंसानों में प्रत्यारोपित किया जा सकता है।

अमेरिका में वैज्ञानिकों को जिनोट्रांसप्लांटेशन को लेकर बड़ी सफलता मिली। वैज्ञानिकों ने एक एक्सपेरिमेंट के तौर पर सूअर की किडनी को महिला को ट्रांसप्लांट किया था ये ट्रांसप्लांटेशन न सिर्फ सफल रहा, बल्कि किडनी ने पूरी तरह से अपना काम भी किया।

न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के लैंगोन हेल्थ के डॉक्टरों ने एक सूअर के किडनी को महिला में ट्रांसप्लांट की है। महिला के शरीर की कोशिकाओं में बाहर से ही इस किडनी को 3 दिन तक जोड़ा गया इस दौरान किडनी ने सामान्य रूप से अपना कामकाज किया।

ट्रांसप्लांटेशन टीम को लीड कर रहे डॉक्टर रॉबर्ट मोंटगोमरी ने कहा है कि सूअर की किडनी ने एक सामान्य इंसान की किडनी की तरह ही काम किया है। जिस महिला को किडनी ट्रांसप्लांट की गई, वो एक ब्रेन डेड महिला है। महिला की किडनी ठीक से काम नहीं कर रही थी, इस वजह से उसे लाइफ सपोर्ट पर रखा गया था। फिलहाल ये एक एक्सपेरिमेंट के तौर पर किया गया है और महिला के परिवार से इसके लिए सहमति ली गई थी।

सूअर की जीन्स में ग्लाइकोन नाम का एक शुगर मॉलिक्यूल होता है, जो इंसानों में नहीं होता है इस शुगर मॉलिक्यूल को हमारी बॉडी एक फॉरेन एलिमेंट की तरह ट्रीट करती है और इसे रिजेक्ट कर देती है इस वजह से इससे पहले जब भी किडनी ट्रांसप्लांट करने की कोशिश की गई, वो फेल हो गई। वैज्ञानिकों ने इस समस्या से निपटने के लिए सूअर के जीन में पहले से ही बदलाव कर इस शुगर मॉलिक्यूल को निकाल दिया था साथ ही जेनेटिक इंजीनियरिंग से सूअर के जीन्स में बदलाव कर किडनी का ट्रांसप्लांट किया गया।

जिनोट्रांसप्लांटेशन को लेकर सालों से कोशिश की जा रही है वैज्ञानिक इससे पहले लंगूर और बंदर के अंगों को भी इंसानी शरीर में ट्रांसप्लांट करने के प्रयास कर चुके हैं ब्लड क्लॉट्स से लेकर शरीर के इम्यून रिस्पॉन्स की वजह से ट्रांसप्लांटेशन सफल नहीं हो सके।

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