अब अफगानिस्तान को 30.8 करोड़ डॉलर की मदद देगा अमेरिका

अमेरिका ने अफगानिस्तान के लिए 30.8 करोड़ डॉलर की मानवीय सहायता की घोषणा की है। यह नयी सहायता ऐसे समय घोषित की गई है, जब तालिबान के कब्जे के करीब पांच महीने बाद देश गंभीर मानवीय संकट की ओर बढ़ रहा है।

व्हाइट हाउस की प्रवक्ता एमिली हॉर्ने ने मंगलवार को जारी बयान में कहा कि अंतरराष्ट्रीय विकास के लिए अमेरिकी एजेंसी से नयी मदद स्वतंत्र मानवीय संगठनों के जरिये दी जाएगी। इसे आश्रय, स्वास्थ्य, सर्दियों से बचने में सहायता, आपात खाद्य सहायता, पानी और स्वच्छता सेवा पर खर्च किया जाएगा।

उधर ईरान ने अपने एक बयान में कहा है कि अभी तालिबान के कब्जे वाली अफगान सरकार को मान्यता हम नहीं देंगे। उल्लेखनीय है कि यूएसएड ने तालिबान से ‘‘सहायता कर्मियों, खासतौर पर महिलाओं को स्वतंत्र और सुरक्षित तरीके से काम करने देने का आह्वान किया है’’ताकि मानवीय समूह पीड़ितों की सहायता कर सकें।

एजेंसी ने बयान में कहा, ‘‘अमेरिका तालिबान से निर्बाध मानवीय सहायता को बनाए रखने और मानवीय कार्यों के लिए सुरक्षित माहौल बनाने, सभी असुरक्षित लोगों तक स्वतंत्र रूप से सहायता पहुंचाने के प्रावधान और सभी लिंग के सहायता कर्मियों की आवाजाही सुनिश्चित करने की मांग करना जारी रखेगा’’

इस नयी मदद के साथ ही अगस्त के बाद से अब तक अमेरिका द्वारा 78 करोड़ डॉलर की सहायता अफगानिस्तान के लिए घोषित की जा चुकी है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक अफगानिस्तान की 3.8 करोड़ आबादी में से 22 प्रतिशत अकाल की स्थिति का और अन्य 36 प्रतिशत गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रही है।

दरअसल, दशक के सबसे बुरे सूखे के कारण यहां गेहूं की एक चौथाई फसल बर्बाद हो गई है। कड़कड़ाती सर्दियों में यहां के 2 करोड़ 30 लाख लोगों के सिर पर भुखमरी का खतरा मंडरा रहा है। दूसरी तरफ यहां सत्ता परिवर्तन के बाद देश को पश्चिमी देशों और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से मिलने वाली आर्थिक मदद बंद हो गई है। अर्थव्यवस्था संकट में घिर चुकी है और सरकारी मुलाज़िमों की तनख़्वाह रुक गई है। लोगों को ये भी नहीं पता कि हालात सामान्य होंगे या नहीं, और अगर हुए, तो कब तक होंगें।

अफ़ग़ानिस्तान न केवल मानवीय संकट से जूझ रहा है, बल्कि बदलाव के दौर से भी गुज़र रहा है इसका सीधा असर यहां की आधी आबादी पर पड़ रहा है। तालिबान ने महिलाओं को अर्थव्यवस्था और शिक्षा से लगभग पूरी तरह निकाल बाहर कर दिया है, हालांकि, तालिबान ने कहा है कि सर्दियों के बाद छात्राएं स्कूल जा सकेंगी, लेकिन उसके वादे पर कम ही भरोसा किया जा सकता है।

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