सावधान ! हजारों भारतीयों का डेटा लीक हो गया

हजारों भारतीयों की निजी जानकारियों को डार्क वेब पर बेचा जा रहा है। ऐसा कहा जा रहा है कि यह डेटा एक सरकारी सर्वर से लीक हुआ है। साइबर एक्‍सपर्ट्स का कहना है कि इस डेटा का प्रयोग लोगों के साथ धोखाधड़ी करने में हो सकता है।
राजहरिया ने 20 जनवरी को एक अन्य ट्वीट में सावधान करते हुए कहा कि लोगों को अब सावधान रहने की जरूरत है। डेटा को डार्क वेब पर बेचा जा रहा है इसलिये अगर किसी व्‍यक्ति के पास कोई अनजान कॉल आये और कोई ऑफर, खासकर कोविड-19 से संबंधित, दे तो, झांसे में न आये और किसी प्रकार की जानकारी न दें।

कोविड-19 से संबंधित पर्सनल डेटा के एक सरकारी सर्वर से लीक होने का मामला सामने आया है लीक हुये डेटा में करीब 20 हजार भारतीयों के मोबाइल नंबर,पता और कोविड टेस्‍ट के परिणाम शामिल हैं। इस डेटा को रेड फोरम की वेबसाइट पर बेचने के लिये रखा गया है। साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि इस डेटा का अपराधी गलत इस्‍तेमाल कर सकते हैं। रेड फोरम पर साझा किए गए नमूना दस्तावेज से पता चलता है कि लीक डेटा कोविन पोर्टल पर अपलोड करने के लिए था।

समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार रेड फोरम पर उपलब्ध इस डेटा में बहुत सी निजी जानकारियां शामिल हैं। लोगों की कोविड-19 रिपोर्ट का रिजल्ट, नाम, उम्र, लिंग, मोबाइल नंबर, पता और तारीख जैसी जानकारियों को इसमें देखा जा सकता है। साइबर सिक्योरिटी रिसर्चर राजशेखर राजहरिया ने भी ट्वीट कर जानकारी दी है कि पर्सनली आईडेंटिफिएबल इंफॉर्मेशन जिसमें नाम और कोविड -19 रिजल्ट शामिल हैं, एक कंटेंट डिलीवरी नेटवर्क के ज़रिए सार्वजनिक किए गये हैं।
राजशेखर राजहरिया कहा कि ने प्रभावित सिस्टम से लाखों डेटा को इंडेक्स किया है। गूगल ने लगभग नौ लाख सार्वजनिक / निजी सरकारी दस्तावेजों को सर्च इंजन में क्रमबद्ध किया है। रोगी का डेटा अब ‘डार्कवेब’ पर सूचीबद्ध है इसे तेजी से हटाये जाने की जरूरत है। सरकार ने कोविड -19 महामारी और वैक्सीनेशन प्रोग्राम के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए डिजिटल तकनीकों पर बहुत अधिक भरोसा किया है। कई सरकारी विभाग लोगों को कोविड -19 संबंधित सेवाओं और सूचनाओं के लिए आरोग्य सेतु ऐप का इस्तेमाल करने के लिए बाध्य करते हैं।

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