भारत के प्राचीन सांस्कृतिक शहर बनारस में होली भी अद्वितीय है। यहां अबिर गुलाल छिड़कने के लिए पूर्णिमा का इंतजार नहीं होता है। युवाओं के एक समूह को ढोल की थाप पर फागुन के गीत गाते हुए देखा जा सकता है। बनारस में होली के अवसर पर जुलूस निकालना एक प्रसिद्ध परंपरा है। जिसमें दूल्हा रथ पर सवार होकर निकलता है।
पारंपरिक रूप से एक निश्चित स्थान पर उसका स्वागत किया जाता है। चोरी के चक्कर के लिए बरामदे को सजाया गया है। शादी की जल्दी में रहने वाली दुल्हन सोलह गहनों से सजे मंडप में नजर आती है। शादी के मंडप में दूल्हा-दुल्हन के बीच झिलमिलाहट होती है, इसलिए दुल्हन को बिना शादी किए ही लौटना पड़ता है। दूल्हा और दुल्हन के बीच चुलबुले संवादों से निकलने वाली हंसी का आनंद लेने के लिए बहुत से लोग इकट्ठा होते हैं।
राजस्थान के बीकानेर में भी एक प्रकार की खास होली :
राजस्थान के बीकानेर में एक और खास होली मनाई जाती है। इसे डोलची होली इसलिए कहा जाता है क्योंकि पानी को एक विशेष प्रकार के चमड़े के कंटेनर में छिड़का जाता है। इस डोलची में पानी भरकर पीठ पर बांधा जाता है।
मौका देखकर नाविक एक बाल्टी पानी फेंक कर होली खेलते हैं। इस चमड़े के पात्र में रखे रंग-बिरंगे पानी और फूलों की पंखुड़ियाँ जब डाल दी जाती हैं तो लोग हर्षोल्लास से वातावरण को उत्सवमय बना देते हैं। डोलची होली की यह परंपरा 400 साल पुरानी है।