बिना मिट्टी तैयार हो जायेंगें आलू के बीज

केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला ने एरोपोनिक तकनीक के माध्यम से आलू के बीज उत्पादन के लिए एक अनूठी तकनीक विकसित की है। एरोपोनिक पद्धति से किसानों को आलू की फसल के लिए मिट्टी की जरूरत नहीं पड़ेगी।

एरोपोनिक तरीके से पोषक तत्वों को धुंध के रूप में जड़ों पर छिड़का जाता है। पौधे का ऊपरी भाग खुली हवा और प्रकाश के संपर्क में रहता है। एक पौधे से औसतन 35-60 मिनीकांड (3-10 ग्राम) प्राप्त होते हैं। यदि मिट्टी का उपयोग नहीं किया जाएगा तो मृदा जनित रोग भी नहीं होंगे।

इसकी खेती पोली हाउस में की जाती है। जिसमें आलू का पौधा ऊपर की ओर होता है और उसकी जड़ें नीचे अँधेरे में होती हैं। नीचे पानी के फव्वारे हैं, जो पौधों को पानी देते हैं और फव्वारे के पानी में पोषक तत्व प्राप्त करते हैं।

मध्य प्रदेश में पहली इकाई ग्लेलियर में स्थापित की जाएगी। यहां से विभिन्न प्रकार के आलू के बीज और एरोपोनिक तकनीक को क्षेत्र के किसानों के साथ साझा किया जाएगा। मध्य प्रदेश के बागवानी मंत्री भरत सिंह कुशवाहा ने कहा कि आलू के बीज कंद के उत्पादन के लिए एरोपोनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा।

पौधों को किसान बिना मिट्टी के भी फसलों में इस्तेमाल कर सकेंगे और इस तकनीक से फसल उत्पादन में भी 10 से 12 प्रतिशत की वृद्धि होगी। इस अवसर पर आईसीएआर के डॉ. डीजी. डॉ. त्रिलोचन महापात्रा और एग्रीनोवेट इंडिया के सीईओ सुधा मैसूर भी इस विचार के साथ आईं।

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